नासिरा शर्मा की कहानियों में रहती है स्त्री-पुरुष संबधों की प्रमुखता

नासिरा शर्मा की कहानियों में रहती है स्त्री-पुरुष संबधों की प्रमुखता

नई दिल्ली:

साहित्य अकादमी ने बुधवार को 24 भारतीय भाषाओं के रचनाकारों को साहित्य अकादमी पुरस्कार देने की घोषणा की. हिंदी में इस वर्ष साहित्य अकादमी का प्रतिष्ठित पुरस्कार प्रसिद्ध लेखिका नासिरा शर्मा को उनके उपन्यास 'परिजात' के लिए दिया जाएगा. ये पुरस्कार नासिरा शर्मा को अगले साल 22 फरवरी को दिया जाएगा. पुस्कारों की घोषणा साहित्य अकादमी के सचिव डॉ. के श्रीनिवास राव ने की.

नासिरा शर्मा का जन्म 1948 में इलाहाबाद में हुआ था, और उन्हें साहित्य विरासत में मिला. नासिरा शर्मा नें फारसी भाषा और साहित्य से एमए किया. इसके अलावा हिंदी, उर्दू, पश्तो और फारसी भाषाओं पर उनकी अच्छी पकड़ है, लेकिन उनके समृद्ध रचना संसार में दबदबा हिंदी का ही है. नासिरा शर्मा को ईरानी समाज और राजनीति के अलावा साहित्य, कला और संस्कृति विषयों का भी विशेषज्ञ माना जाता है.

नासिरा शर्मा की कहानियों में स्त्री-पुरुष संबधों की प्रमुखता रहती है. उनकी कहानियां महज एक कथा ही नहीं, बल्कि तर्क पूर्ण विस्तृत ब्यौरा प्रस्तुत करती हैं. कहानियों में लेखिका का स्वर कहीं भी सुनाई नहीं देता, बल्कि प्रेमचंद के पात्रों की तरह नासिरा शर्मा की कहानियों के पात्रों के ही स्वर सुनाई पड़ते हैं.

नासिरा शर्मा ने स्वतंत्र पत्रकारिता में भी काम किया किया है. उन्होंने इराक, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और भारत के कई राजनीतिज्ञों और प्रसिद्ध बुद्धिजीवियों का साक्षात्कार किया जो बहुत चर्चित हुए. वर्ष 2008 में अपने उपन्यास 'कुइयांजान' के लिए यूके कथा सम्मान से सम्मानित किया गया. अब तक दस कहानी संकलन, छह उपन्यास, तीन लेख संकलन, इनकी सात पुस्तकों का फारसी में अनुवाद हो चुका है.

नासिरा शर्मा की प्रमुख कृतियां
नाटक :
दहलीज
पत्थर गली

कहानी संग्रह :
शामी कागज
इब्ने मरियम
संगसार
खुदा की वापसी
इंसानी नस्ल
बुतखाना
दूसरा ताजमहल

उपन्यास :
सात नदियां एक समंदर
ठीकरे की मंगनी
जिंदा मुहावरे
अक्षयवट
कुईयांजान
जीरो रोड

सम्मान और पुरस्कार :
नासिरा शर्मा  को उनके उपन्यास 'कुइयांजान' के लिए उन्हें यूके कथा सम्मान से नवाजा गया था. अब नासिरा शर्मा को उनके उपन्यास 'पारिजात' के लिए साहित्य अकादमी का प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा.


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