आगामी जयपुर साहित्य महोत्सव में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्यों मनमोहन वैद्य और दत्तात्रेय होसबोले को शामिल करने को लेकर हो रही आलोचनाओं पर आयोजकों का जवाब आया है. आयोजकों का कहना है कि यह कार्यक्रम हमेशा विचारों, भाषाओं, राष्ट्रीयता और विषयों की विविधता के पक्ष में रहा है. वैद्य आरएसएस के संचार विभाग के प्रमुख हैं, जबकि होसबोले संयुक्त महासचिव हैं.
कार्यक्रम से अशोक वाजपेयी, उदय प्रकाश और के. सच्चिदानंदन जैसे लेखकों की अनुपस्थिति के लिए भी आयोजकों की आलोचना हो रही है. ये लेखक बीते साल 'असहिष्णुता' के विरोध में पुरस्कार लौटाने को लेकर सुर्खियों में रहे थे.
आयोजकों ने कहा कि साल 2017 का कार्यक्रम विविध स्वरों और दृष्टिकोणों को सामूहिक रूप से एक मंच पर लाने की शैली से अलग नहीं होने जा रहा.
आयोजकों ने कहा, "महोत्सव अपने बुनियादी मूल्यों को बनाए रखे हुए है और समता, लोकतांत्रिक पहुंच तथा बोलने की आजादी को सबसे ऊपर रखता है. इसका मानना है कि सार्थक संवाद के लिए सभी दृष्टिकोणों का प्रतिनिधित्व होना चाहिए."
साहित्य महोत्सव का आयोजन अगले साल 19 जनवरी से 23 जनवरी तक होगा. 2017 में जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के 10 साल पूरे हो रहे हैं. बीते एक दशक में यहां 1300 से भी ज्यादा वक्ताओं ने शिरकत की है. इस फेस्टिवल में ढाई सौ लेखकों, विचारकों, पत्रकारों समेत सांस्कृतिक जगत की हस्तियों को आमंत्रित किया जाता है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
कार्यक्रम से अशोक वाजपेयी, उदय प्रकाश और के. सच्चिदानंदन जैसे लेखकों की अनुपस्थिति के लिए भी आयोजकों की आलोचना हो रही है. ये लेखक बीते साल 'असहिष्णुता' के विरोध में पुरस्कार लौटाने को लेकर सुर्खियों में रहे थे.
आयोजकों ने कहा कि साल 2017 का कार्यक्रम विविध स्वरों और दृष्टिकोणों को सामूहिक रूप से एक मंच पर लाने की शैली से अलग नहीं होने जा रहा.
आयोजकों ने कहा, "महोत्सव अपने बुनियादी मूल्यों को बनाए रखे हुए है और समता, लोकतांत्रिक पहुंच तथा बोलने की आजादी को सबसे ऊपर रखता है. इसका मानना है कि सार्थक संवाद के लिए सभी दृष्टिकोणों का प्रतिनिधित्व होना चाहिए."
साहित्य महोत्सव का आयोजन अगले साल 19 जनवरी से 23 जनवरी तक होगा. 2017 में जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के 10 साल पूरे हो रहे हैं. बीते एक दशक में यहां 1300 से भी ज्यादा वक्ताओं ने शिरकत की है. इस फेस्टिवल में ढाई सौ लेखकों, विचारकों, पत्रकारों समेत सांस्कृतिक जगत की हस्तियों को आमंत्रित किया जाता है.
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