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This Article is From Nov 04, 2016

अब यूनान की पौराणिक कथाओं को बयां कर रहे हैं देवदत्त पटनायक

अब यूनान की पौराणिक कथाओं को बयां कर रहे हैं देवदत्त पटनायक
यूरोपीय और अमेरिकी लेखक भारतीय पौराणिक कथाओं को कई बार दोहरा चुके हैं और अब बारी है यूनान की पौराणिक कथाओं की, जिन्हें पौराणिक कथाओं की व्याख्या करने में माहिर भारतीय लेखक देवदत्त पटनायक ने पेश किया है.

पटनायक ने ‘ओलिम्पस : एन इंडियन रीटैलिंग ऑफ द ग्रीक मिथ’ के जरिए यूनानी पौराणिक कथाओं को समझने और समझाने की कोशिश की है. इस प्रक्रिया में वह यूनानी और हिन्दू पौराणिक कथाओं में अंतर बताना चाहते हैं.

लेखक ने कहा कि भारतीय पौराणिक कथाओं में हिन्दू, बौद्ध और जैन पौराणिक कथाएं उस तरह की एकल दिशा वाली नहीं है, जैसी यूनानी कथाकारों और दार्शनिकों द्वारा कही गई कथाएं हैं या फिर ईसाई मिशनरियों द्वारा किए गए वर्णन हैं. या फिर वे जिन्हें वैज्ञानिक और सामाजिक कार्यकर्ता तरजीह देते हैं. इसके पास खुद की एक संरचना है जो एक चक्रीय है.

उनके मुताबिक, पश्चिमी पौराणिक कथाएं इस विचार का प्रचार करती है कि दुनिया को बदलने की जरूरत है. यह चाहे यूनानी नायक करें या फिर अरब के पैंगबर या बादशाह या वैज्ञानिक, कार्याकर्ता या खलिफा.

पटनायक ने कहा कि जबकि भारतीय पौराणिक कथाएं यह विचार देती हैं कि मानवीय हस्तक्षेप के बावजूद दुनिया लगातार बदल रही है. इसमें न कोई नायक या खलनायक है, न कोई जालिम या मजलूम है, न कोई गाज़ी या शहीद है. बस वास्तविकता को देखने का अलग तरीका है.

उन्‍होंने कहा कि इसलिए पश्चिम खुद को महाबली, सक्रिय, निर्णायक, हिसंक और स्पष्ट समझता है और कहता है कि भारतीय विश्वदृष्टि ज़नाना, निष्क्रिय, अस्पष्ट, अहिंसक लेकिन शातिर है. पश्चिम भारतीय विश्वदृष्टि को अस्पष्ट मानते हैं इसलिए किसी नई संभावना के लिए उन्होंने अपने दिल दिमाग को बंद कर लिया है.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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