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This Article is From Mar 10, 2017

भारत-पाक सीमा पर युद्ध लड़ चुके हैं महाबलेश्वर सैल, अब साहित्‍य के मिला ये बड़ा सम्‍मान

भारत-पाक सीमा पर युद्ध लड़ चुके हैं महाबलेश्वर सैल, अब साहित्‍य के मिला ये बड़ा सम्‍मान
नई दिल्‍ली: कोंकणी के जाने-माने साहित्यकार महाबलेश्वर सैल को वर्ष 2016 के 26वें सरस्वती सम्मान के लिए चुना गया है. उनके उपन्यास 'हाउटन' के लिए उनको यह सम्मान दिया जाएगा. यह उपन्यास साल 2009 में प्रकाशित हुआ था. साहित्य के क्षेत्र में यह प्रतिष्ठित सम्मान केके बिरला फाउंडेशन की ओर से दिया जाता है. इस सम्मान के तहत 15 लाख रूपये की पुरस्कार राशि, प्रशस्ति पत्र और प्रतीक चिन्ह दिया जाता है.

कर्नाटक के कारवाड़ स्थित शेजेबाग में चार अगस्त, 1943 को जन्में सैल ने कोंकणी और मराठी में अनके रचनाएं लिखी हैं. मराठी में उनके चार नाटक और एक उपन्यास जबकि कोंकणी में पांच लघुकथा संकलन और सात उपन्यास प्रकाशित हुए हैं. दिलचस्प है कि सैल एक सैनिक रह चुके हैं और 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान वह पंजाब की हुसैनवाला सीमा पर तैनात थे.

सैल को उनके लघु कथा संकलन तरंगन के लिए वर्ष 1993 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. उनका यह उपन्यास 'हाउटन' गोवा में तेजी से विलुप्त हो रहे मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हार समुदाय की सांस्कृतिक पृष्ठभूमि पर आधारित है.

फाउंडेशन की विज्ञप्ति में कहा गया है कि यह सम्मान प्रतिवर्ष किसी भारतीय नागरिक की ऐसी उत्कृष्ट साहित्यिक कृति को दिया जाता, जो संविधान की आठवीं अनुसूची में उल्लिखित किसी भी भाषा में पुरस्कार दिए जाने के वर्ष :2016: से पूर्व दस वर्ष की अवधि में प्रकाशित हुआ हो.

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