अमेरिका के तीन वैज्ञानिक को मिलेगा नोबेल अवॉर्ड.
नई दिल्ली:
अमेरिका के तीन वैज्ञानिकों- जैफ्री सी हाल, माइकल रोसबाश तथा माइकल डब्ल्यू यंग को मानव शरीर की आंतरिक जैविक घड़ी (बॉयलोजिकल क्लॉक) विषय पर किए गए उनके उल्लेखनीय कार्य के लिए इस साल के चिकित्सा के नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया है. ये तीनों वैज्ञानिक करीब 11 लाख डॉलर की पुरस्कार राशि साझा करेंगे. इन तीन वैज्ञानिकों ने इसका पता लगाया है कि क्यों वो लोग जो ज्यादा लंबा सफर करते हैं अलग-अलग टाइम जोन में जाने से परेशान हो जाते हैं. उन्हें नींद नहीं आती और सेहत को लेकर उन्हें परेशानियां क्यों होने लगती हैं. आइए जानते हैं आखिर क्या है ये बायोलॉजिकल क्लॉक.
पढ़ें- अमेरिका के तीन वैज्ञानिकों को चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार
क्या है बायोलॉजिकल क्लॉक
अलग-अलग मामलों में इसकी परिभाषा अलग दी गई है. सीधे तौर पर समझने की कोशिश करें तो हमारे शरीर की मांसपेशियां दिन के समय को समझने की कोशिश करती हैं. शरीर के हर हिस्से में एक बायोलॉजिकल क्लॉक चल रही होती है. इसी घड़ी के हिसाब से हार्मोन्स हमारी बॉडी में बनते रहते हैं. इसमें पीरिड्स आने से लेकर, समय पर नींद आना, टॉयलेट जाना, लंच टाइम तक एक्टिव रहना, लंच के बाद खाना पचना, दिन के सबसे बिजी शेड्यूल में एक्टिव रहना, जिस तरह के ट्रैवल की आदत हो वो पूरा करना सब कुछ शामिल है.
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शरीर के कई हिस्से किसी घड़ी के पुर्जों की तरह काम करते हैं. हर हिस्से का अपना अलग काम और समय बताने में अपनी अलग पहल. जिन साइनटिस्ट को अभी नोबेल मिला है उन्होंने इस बायोलॉजिक क्लॉक में सिरकार्डियन रिथम (एक ऐसा प्रोसेस जो बॉडी में हर 24 घंटे में होता है) में आणविक बदलावों को समझाया.
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इनकी इस खोज से एक अहम कारण समझ में आया कि आखिर क्यों इंसानी शरीर को सोने की जरूरत होती है और ये होता कैसे है. कैसे किसी भी इंसान को नींद आती है और क्यों बायोलॉजिकल क्लॉक का बिगड़ना नींद न आने का और बाकी समस्याओं का कारण बन सकता है.
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क्या है बायोलॉजिकल क्लॉक
अलग-अलग मामलों में इसकी परिभाषा अलग दी गई है. सीधे तौर पर समझने की कोशिश करें तो हमारे शरीर की मांसपेशियां दिन के समय को समझने की कोशिश करती हैं. शरीर के हर हिस्से में एक बायोलॉजिकल क्लॉक चल रही होती है. इसी घड़ी के हिसाब से हार्मोन्स हमारी बॉडी में बनते रहते हैं. इसमें पीरिड्स आने से लेकर, समय पर नींद आना, टॉयलेट जाना, लंच टाइम तक एक्टिव रहना, लंच के बाद खाना पचना, दिन के सबसे बिजी शेड्यूल में एक्टिव रहना, जिस तरह के ट्रैवल की आदत हो वो पूरा करना सब कुछ शामिल है.
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शरीर के कई हिस्से किसी घड़ी के पुर्जों की तरह काम करते हैं. हर हिस्से का अपना अलग काम और समय बताने में अपनी अलग पहल. जिन साइनटिस्ट को अभी नोबेल मिला है उन्होंने इस बायोलॉजिक क्लॉक में सिरकार्डियन रिथम (एक ऐसा प्रोसेस जो बॉडी में हर 24 घंटे में होता है) में आणविक बदलावों को समझाया.
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क्या हुआ इनकी खोज सेBREAKING NEWS The 2017 #NobelPrize in Physiology or Medicine has been awarded to Jeffrey C. Hall, Michael Rosbash and Michael W. Young. pic.twitter.com/lbwrastcDN
— The Nobel Prize (@NobelPrize) October 2, 2017
इनकी इस खोज से एक अहम कारण समझ में आया कि आखिर क्यों इंसानी शरीर को सोने की जरूरत होती है और ये होता कैसे है. कैसे किसी भी इंसान को नींद आती है और क्यों बायोलॉजिकल क्लॉक का बिगड़ना नींद न आने का और बाकी समस्याओं का कारण बन सकता है.
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