राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सदगुरू, गुलजार और एन वाल्डमैन आज पांच दिवसीय जयपुर साहित्य महोत्सव का उद्घाटन करेंगे.
किताब का होगा विमोचन
गुलाबी नगरी के डिग्गी पैलेस में आयोजित हो रहे महोत्सव के उद्घाटन के बाद सदगुरू से जयपुर साहित्य महोत्सव के निदेशक संजय राय उनकी नवीनतम किताब ‘इनर इंजीनरिंग-ए योगीज गाइड टू जॉय’ के बारे में चर्चा करेंगे.
क्या है किताब का सार
सतगुरू की नवीनतम पुस्तक का उद्देश्य है कि आनंद आपका हमेशा का साथी बन जाए. इसे वास्तविकता बनाने के लिये यह पुस्तक कोई उपदेश नहीं, बल्कि दृष्टि बताती है, कोई शिक्षा नहीं, बल्कि एक तकनीक बताती है, कोई नियम नहीं बल्कि एक मार्ग बताती है. हमारी सारी किताबे प्रेरक है, जबकि यह पुस्तक आपके अंदर रूपांतरण लाएगी.
साहित्य महोत्सव के बारे में
गुलाबी नगरी जयपुर में आयोजित होने वाले साहित्य महोत्सव में दुनियाभर के साहित्यकार भाग लेते हैं. सबसे पहले साल 2006 में जयपुर साहित्य महोत्सव का आयोजन किया गया. उस समय महोत्सव प्रतिभागियों की संख्या 2500 थी. इस साहित्य महोत्सव में दुनिया भर के बुकर, पुलित्जर और नोबल पुरुस्कार विजेता भी भाग लेते हैं. यही वजह है कि इसे साहित्य का महाकुम्भ भी कहा जाता है.
एजेंसी से इनपुट
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
किताब का होगा विमोचन
गुलाबी नगरी के डिग्गी पैलेस में आयोजित हो रहे महोत्सव के उद्घाटन के बाद सदगुरू से जयपुर साहित्य महोत्सव के निदेशक संजय राय उनकी नवीनतम किताब ‘इनर इंजीनरिंग-ए योगीज गाइड टू जॉय’ के बारे में चर्चा करेंगे.
क्या है किताब का सार
सतगुरू की नवीनतम पुस्तक का उद्देश्य है कि आनंद आपका हमेशा का साथी बन जाए. इसे वास्तविकता बनाने के लिये यह पुस्तक कोई उपदेश नहीं, बल्कि दृष्टि बताती है, कोई शिक्षा नहीं, बल्कि एक तकनीक बताती है, कोई नियम नहीं बल्कि एक मार्ग बताती है. हमारी सारी किताबे प्रेरक है, जबकि यह पुस्तक आपके अंदर रूपांतरण लाएगी.
साहित्य महोत्सव के बारे में
गुलाबी नगरी जयपुर में आयोजित होने वाले साहित्य महोत्सव में दुनियाभर के साहित्यकार भाग लेते हैं. सबसे पहले साल 2006 में जयपुर साहित्य महोत्सव का आयोजन किया गया. उस समय महोत्सव प्रतिभागियों की संख्या 2500 थी. इस साहित्य महोत्सव में दुनिया भर के बुकर, पुलित्जर और नोबल पुरुस्कार विजेता भी भाग लेते हैं. यही वजह है कि इसे साहित्य का महाकुम्भ भी कहा जाता है.
एजेंसी से इनपुट
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