अपनी पुस्तक ‘हड़प्पा कर्स ऑफ द ब्लड रीवर’ (Harappa: Curse of the Blood River) के जरिए लेखक विनीत वाजपेयी ने इस प्राचीन सभ्यता से जुड़े कई सवालों का जवाब देने की कोशिश की है.
यह पुस्तक पाठकों को 3700 बरसों का सफर कराएगा, जो 1700 ईस्वी पूर्व से शुरू होकर आधुनिक दिल्ली और पेरिस तक के बारे में है.
इस पुस्तक में इन सवालों का जवाब देने की कोशिश की गई है, जैसे कि क्या आर्य खैबर दर्रा होते हुए भारत आए थे? क्या सरस्वती नदी वास्तव में थी? अब तक हड़प्पा लिपि क्यों नहीं पढ़ी जा सकी है? इस सभ्यता के पतन के पीछे क्या सच्चाई थी?
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
यह पुस्तक पाठकों को 3700 बरसों का सफर कराएगा, जो 1700 ईस्वी पूर्व से शुरू होकर आधुनिक दिल्ली और पेरिस तक के बारे में है.
इस पुस्तक में इन सवालों का जवाब देने की कोशिश की गई है, जैसे कि क्या आर्य खैबर दर्रा होते हुए भारत आए थे? क्या सरस्वती नदी वास्तव में थी? अब तक हड़प्पा लिपि क्यों नहीं पढ़ी जा सकी है? इस सभ्यता के पतन के पीछे क्या सच्चाई थी?
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