दिल्ली पुस्तक मेले के आखिरी दिन रविवार को बड़ी संख्या में किताब प्रेमी प्रगति मैदान पहुंचे. नौ दिनों तक चलने वाले 23वें दिल्ली पुस्तक मेले की शुरुआत सुस्त रही, लेकिन शुक्रवार व सप्ताहांत में यह भीड़ को खींचने में कामयाब रहा. साफ आसमान व रविवार का दिन होने से किताब प्रेमी मेले के आखिरी दिन खिंचे चले आए. इस मेले का आयोजन फेडरेशन ऑफ इंडियन पब्लिशर्स (एफआईपी) ने इंडिया ट्रेड प्रमोशन आर्गेनाइजेशन (आईटीपीओ) के सहयोग से किया था. मेले का विषय 'पढ़े भारत, बढ़े भारत' था.
डीआरडीओ में वैज्ञानिक के तौर पर कार्य कर रहीं नीति शर्मा अपने जुड़वां बेटियों ट्यूलिप व त्वीशा के साथ आईं थीं. उन्होंने कहा, "मुझे पुस्तक मेलों से प्यार है क्योंकि किंडल के इस युग में इस तरह के मेले किताबों के आकर्षण को जिंदा रखे हुए हैं. यह किताबों की महक है जो मुझे पुस्तक मेले की तरफ खींचती है. मेरी बेटियों के पास किंडल है, लेकिन वे भी किताबों को रजीह देती हैं."
पुस्तक मेले के शुरू के दिनों में कम संख्या में पुस्तक प्रेमी पहुंचे. प्रकाशकों ने सप्ताहांत में किताबों पर भारी छूट देकर उन्हें आकर्षित करने की कोशिश की. इस तरह यह युवाओं के लिए बड़ा आर्कषण बन गया.
पीतांबर प्रकाशन के सत्येंद्र सिंह बिष्ट ने कहा, "इस बार हम किसी फायदे की उम्मीद छोड़ चुके थे. यहां तक कि बीते रविवार को भी ज्यादा भीड़ नहीं थी..लेकिन शायद यह अंतिम दिन का असर रहा. मैं खुश हूं कि लोग किताबों में अपनी रुचि दिखा रहे हैं. इससे हमें कुछ उम्मीद बंधती है."
लेकिन, अधिकांश प्रकाशकों ने कहा कि इस बार का पुस्तक मेला इससे पहले के पुस्तक मेलों जैसा अच्छा नहीं रहा. आयोजकों का कहना था कि फंड की कमी इस बार आड़े आई. इस बार चालीस की संख्या में प्रकाशक नहीं आए, उससे भी असर पड़ा. डेरा सच्चा सौदा हिंसा और बारिश को भी कारण बताया गया.
इस साल पुस्तक मेले का एक अन्य आकर्षण स्टेशनरी हॉल रहा जहां किताबों के हॉल से ज्यादा भीड़ जुटी. यहां डायरी से लेकर नोटपैड व गृह सज्जा के सामान की विस्तृत विविधता ने उत्साही दर्शकों व ग्राहकों को खींचा.
मेले के आयोजकों एफआईपी व आईटीपीओ ने हिंदी भाषा में श्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए किताब घर प्रकाशन को स्वर्ण पदक, साहित्य अकादमी को रजत पदक व सम्यक प्रकाशन को कांस्य पदक प्रदान किए.
अंग्रेजी भाषा में श्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए उपकार प्रकाशन को स्वर्ण पदक, फुल मार्क्स प्राइवेट लिमिटेड को रजत पदक, नवनीत एजुकेशन लिमिटेड को कांस्य पदक दिया गया.
प्रादेशिक भाषा में श्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए प्रकाशन विभाग (सूचना एव प्रसारण मंत्रालय) को स्वर्ण पदक, अक्षर पब्लिकेशन को रजत पदक व नेशनल बुक ट्रस्ट को कांस्य पदक दिया गया.
न्यूज एजेंसी आईएएनएस से इनुपट
डीआरडीओ में वैज्ञानिक के तौर पर कार्य कर रहीं नीति शर्मा अपने जुड़वां बेटियों ट्यूलिप व त्वीशा के साथ आईं थीं. उन्होंने कहा, "मुझे पुस्तक मेलों से प्यार है क्योंकि किंडल के इस युग में इस तरह के मेले किताबों के आकर्षण को जिंदा रखे हुए हैं. यह किताबों की महक है जो मुझे पुस्तक मेले की तरफ खींचती है. मेरी बेटियों के पास किंडल है, लेकिन वे भी किताबों को रजीह देती हैं."
पुस्तक मेले के शुरू के दिनों में कम संख्या में पुस्तक प्रेमी पहुंचे. प्रकाशकों ने सप्ताहांत में किताबों पर भारी छूट देकर उन्हें आकर्षित करने की कोशिश की. इस तरह यह युवाओं के लिए बड़ा आर्कषण बन गया.
पीतांबर प्रकाशन के सत्येंद्र सिंह बिष्ट ने कहा, "इस बार हम किसी फायदे की उम्मीद छोड़ चुके थे. यहां तक कि बीते रविवार को भी ज्यादा भीड़ नहीं थी..लेकिन शायद यह अंतिम दिन का असर रहा. मैं खुश हूं कि लोग किताबों में अपनी रुचि दिखा रहे हैं. इससे हमें कुछ उम्मीद बंधती है."
लेकिन, अधिकांश प्रकाशकों ने कहा कि इस बार का पुस्तक मेला इससे पहले के पुस्तक मेलों जैसा अच्छा नहीं रहा. आयोजकों का कहना था कि फंड की कमी इस बार आड़े आई. इस बार चालीस की संख्या में प्रकाशक नहीं आए, उससे भी असर पड़ा. डेरा सच्चा सौदा हिंसा और बारिश को भी कारण बताया गया.
इस साल पुस्तक मेले का एक अन्य आकर्षण स्टेशनरी हॉल रहा जहां किताबों के हॉल से ज्यादा भीड़ जुटी. यहां डायरी से लेकर नोटपैड व गृह सज्जा के सामान की विस्तृत विविधता ने उत्साही दर्शकों व ग्राहकों को खींचा.
मेले के आयोजकों एफआईपी व आईटीपीओ ने हिंदी भाषा में श्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए किताब घर प्रकाशन को स्वर्ण पदक, साहित्य अकादमी को रजत पदक व सम्यक प्रकाशन को कांस्य पदक प्रदान किए.
अंग्रेजी भाषा में श्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए उपकार प्रकाशन को स्वर्ण पदक, फुल मार्क्स प्राइवेट लिमिटेड को रजत पदक, नवनीत एजुकेशन लिमिटेड को कांस्य पदक दिया गया.
प्रादेशिक भाषा में श्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए प्रकाशन विभाग (सूचना एव प्रसारण मंत्रालय) को स्वर्ण पदक, अक्षर पब्लिकेशन को रजत पदक व नेशनल बुक ट्रस्ट को कांस्य पदक दिया गया.
न्यूज एजेंसी आईएएनएस से इनुपट
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