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This Article is From Oct 08, 2016

बांग्लादेश के मुक्ति संघर्ष पर आधारित असमी उपन्यास अब अंग्रेजी संस्करण में

बांग्लादेश के मुक्ति संघर्ष पर आधारित असमी उपन्यास अब अंग्रेजी संस्करण में
नई दिल्ली: ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता बिरेन्द्र कुमार भट्टाचार्य का बांग्लादेश के 1971 के मुक्ति संग्राम पर आधारित उपन्यास अब अंग्रेजी में भी उपलब्ध होगा। मित्र फुकन ने इस उपन्यास ‘कोबोर अर फूल’ का अंग्रेजी अनुवाद ‘ब्लासम्स इन दि ग्रेव्यार्ड’ के शीषर्क से किया है। इस उपन्यास में पहले के पूर्वी पाकिस्तान के गांव में रहने वाली एक युवा लड़की मेहर की कहानी है।

उपन्यास में भावनात्मक और व्यावहारिक दोनों रूप से निर्भरता से आत्म-निर्भरता की यात्रा की कहानी कही गयी है। भट्टाचार्य ने किसी भी प्रकार की दलगत भावना से परे एवं सभी मामलों की पूरी समझ के साथ 1972 में यह उपन्यास  लिखा था। उपन्यास अपने समय के इतिहास की सभी घटनाओं और मामलों के साथ समुचित व्यवहार करता है। उपन्यास में वर्णित उस समय की गूंज आज भी पूरे उपमहाद्वीप में सुनाई पड़ती है, जिससे यह उपन्यास एक समकालीन कृति बन गयी है।

इसमें मेहर की कहानी के समानांतर ही एक भूखंड की कहानी भी है, जो अपनी पहचान के लिए संघषर्शील है और खून और आंसुओं की कड़ी परीक्षा के बाद कठिनाई से हासिल की गयी आजादी की ओर बढ़ रहा है। इस उपन्यास की नायिका मेहर बांग्लादेश की आजादी की रूपक है। जब यह भूभाग बांग्लादेश बन रहा होता है, तब यह उपन्यास रोबिन बाबू की आवाज बन जाता है। वह यहां अनेक लोगों की तरह ही असम का रहने वाला है और अपने सामने होने वाली युद्ध की घटनाओं से बुरी तरह प्रभावित है।
 

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