 
                                            मुंबई के पवई इलाके में आरए स्टूडियो में एक बंधक ने काफी देर तक आतंक फैलाया और आखरिकार उसे मार गिराया गया. इस बंधक ने स्टूडियो के अंदर 17 बच्चों समेत कुल 19 लोगों को बंधक बना लिया था, जिसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची और ऑपरेशन शुरू हुआ. ऑपरेशन पूरा होने के बाद सभी बंधकों को सुरक्षित बाहर निकाला गया और बंधक बनाने वाले की बॉडी को एंबुलेंस से अस्पताल भेज दिया गया. इस पूरे ऑपरेशन में लोगों ने एक बार फिर काले कपड़े वाले कमांडोज को देखा. ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि बंधकों को छुड़ाने वाले कमांडो कौन थे और कब एनएसजी कमांडो कमान संभालते हैं.
कौन से कमांडोज ने किया ऑपरेशन?
जब भी ऐसी कोई सिचुएशन होती है तो सबसे पहले कमांडोज की याद आती है, इन्हें इसी काम की ट्रेनिंग दी जाती है. अब सवाल है कि मुंबई में कौन से कमांडो इस ऑपरेशन के लिए पहुंचे थे और कैसे उन्होंने हालात पर काबू पाया. दरअसल ये मुंबई पुलिस की ही क्विक रिस्पॉन्स टीम (QRT) के कमांडो थे, जिनकी संख्या आठ बताई जा रही है. इन कमांडोज ने महज 35 मिनट में इस ऑपरेशन को पूरा कर दिया.
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क्यों मारनी पड़ी गोली?
मुंबई पुलिस की तरफ से बताया गया कि जैसे ही कमांड ऑडिशन रूम में दाखिल हुए तो आरोपी ने लाइटर से आग लगाने की कोशिश की और बंधकों को नुकसान पहुंचाने का भी प्रयास किया, जिसके बाद आरोपी को गोली मारनी पड़ी. आरोपी के सीने पर गोली लगी, जिसके बाद उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.
कब बुलाई जाती है NSG?
अब कुछ लोगों के मन में ये भी सवाल होगा कि आखिर इस मामले में एनएसजी कमांडोज को क्यों नहीं बुलाया गया? दरअसल ये इतना बड़ा मामला नहीं था कि एनएसजी कमांडो ऑपरेशन के लिए बुलाए जाते, आमतौर पर किसी आतंकी घटना या फिर बड़े होस्टेज सिचुएशन में ही एनएसजी मोर्चा संभालती है. ये ऐसे मामले होते हैं, जिनमें पुलिस या फिर क्यूआरटी के ऑपरेशन में रिस्क होता है. एनएसजी को खासतौर पर आतंकी घटनाओं से निपटने के लिए ही बनाया गया है. मुंबई आतंकी हमले के दौरान भी आखिर में मोर्चा एनएसजी ने संभाला था और सभी आतंकियों को मार गिराया था.
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