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रहमान डकैत नहीं, ये हैं तीन बड़े बलोच नेता; पाकिस्तानी सेना की नाक में किया दम

Baloch Leaders: फिल्म धुरंधर में पाकिस्तान के ल्यारी में आतंक मचाने वाले रहमान डकैत की कहानी दिखाई गई है, इसके बाद से ही इसे लेकर काफी ज्यादा चर्चा है. कुछ लोग रहमान बलोच को बलूच लोगों को बड़ा नेता भी बता रहे हैं, हालांकि ऐसा नहीं है.

रहमान डकैत नहीं, ये हैं तीन बड़े बलोच नेता; पाकिस्तानी सेना की नाक में किया दम
Baloch Leaders: बलूचिस्तान के बड़े नेता

Baloch Leaders: अक्षय खन्ना और रणवीर सिंह स्टारर फिल्म धुरंधर ने कमाई के मामले में तमाम हिट फिल्मों को पीछे छोड़ दिया है. इस फिल्म में अक्षय खन्ना के किरदार की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है, जो एक पाकिस्तानी गैंगस्टर और बलूच नेता रहमान डकैत का है. रहमान डकैत को फिल्म में बलूचों का एक बड़ा नेता बताया गया है. पाकिस्तान में रहमान डकैत को लोग रहमान बलोच के नाम से भी जानते थे. हालांकि बलूच लोगों के लिए रहमान डकैत कभी भी उनका बड़ा नेता नहीं रहा, बलूचिस्तान में रहने वाले लोग कुछ ऐसी शख्सियतों को अपना नेता मानते हैं, जिन्होंने उनके लिए लड़ाई लड़ी और बलूचिस्तान आंदोलन को आगे बढ़ाने का काम किया. 

कौन था रहमान डकैत

रहमान बलोच पाकिस्तान के ल्यारी इलाके में रहने वाला एक गैंगस्टर था, जिसने क्राइम की दुनिया में कदम रखने के बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा. इस इलाके में रहने वाले बलूच लोगों की उससे हमदर्दी थी और वो उनकी मदद भी करता था. उसके बढ़ते रुतबे और अपराध के चलते पाकिस्तान में उसका एनकाउंटर कर दिया गया. यानी रहमान डकैत या रहमान बलोच अपने लोगों के बीच उस तरह मशहूर नहीं हुआ, जैसे बाकी बड़े नेता हुए. 

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ये हैं तीन बड़े बलूच नेता

द बलूचिस्तान पोस्ट में बलूचिस्तान मूवमेंट के तीन महान नेताओं को लेकर एक आर्टिकल पब्लिश हुआ था. इसमें डॉ. अल्लाह नजर बलूच, गुलाम मोहम्मद बलोच और फिदा अहमद को सबसे बड़े नेताओं की लिस्ट में शामिल किया गया है. बलूचिस्तान में इनका नाम काफी सम्मान से लिया जाता है. 

गुलाम मोहम्मद बलोच: गुलाम मोहम्मद बलोच ने बलूचिस्तान और बलूच राष्ट्र के लिए काफी लड़ाई लड़ी. उन्होंने 2003 में बलूच नेशनल मूवमेंट (BNM) बनाया और अप्रैल 2009 तक इसके अध्यक्ष रहे. इसी महीने संघर्ष के दौरान उनकी मौत हो गई, इसे बलूचिस्तान में शहादत कहा जाता है. गुलाम मोहम्मद ने अपने लोगों को समझाया कि उनके लिए क्या जरूरी है और कैसे स्वतंत्र देश की तरफ कदम बढ़ाए जा सकते हैं. खासतौर पर उन्होंने इसके लिए युवाओं को प्रोत्साहित किया. 

फिदा अहमद: फिदा अहमद का नाम भी बलूचिस्ता में काफी मशहूर है. गुलाम मोहम्मद बलूच के बेटे फिदा अहमद का जन्म 1957 में बलूचिस्तान के एक शहर तुर्बत में हुआ था. इसके बाद उन्होंने 1975 में ग्रेजुएशन किया और फिर अर्थशास्त्र में MA पूरा किया. उन्होंने यह बताया कि बलूच महिलाओं के जीवन स्तर को कैसे बेहतर बनाया जाए. साथ ही अपनी नेतृत्व शैली से फिदा ने बलोच समाज को शिक्षित किया और राष्ट्रवाद की भावना के बारे में बताया. 

डॉ. अल्लाह नजर बलूच: बलूच इतिहास के एक बड़े नेता रहे डॉ. अल्लाह नजर बलूच पेशे से एक डॉक्टर हैं. बलूच राष्ट्रवादी नेता अल्लाह नजर का मानना है कि संसदीय राजनीति के जरिए बलूचिस्तान पाकिस्तान से अपनी आजादी नहीं ले सकता है, इसके लिए विद्रोह करना होगा. द बलूचिस्तान पोस्ट में बताया गया है कि वो माओ और चे ग्वेरा जैसा जीवन जीते हैं. उनका एजेंडा संसदीय राजनेताओं को कमजोर करना, 
जनता के बीच गुरिल्ला युद्ध के लिए समर्थन जुटाना और दुश्मन की रणनीति को समझना है. 

मार्च 2005 में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के लोगों ने डॉ. अल्लाह नजर को उनके साथियों के साथ पकड़ लिया था, जिसके बाद गुप्त हिरासत में उन्हें बुरी तरह प्रताड़ित किया गया. भारी प्रदर्शन के चलते एक साल बाद जब उन्हें रिहा किया गया तो वो लकवाग्रस्त हो चुके थे. बताया गया कि हिरासत के दौरान उन्हें जहर दिया गया था. 

ये नेता भी लड़ रहे आजादी की लड़ाई

बलूचिस्तान की आजादी की लड़ाई लड़ रहे नेताओं की लिस्ट काफी लंबी है. इनमें बलूच लीडर मीर यार, बशीर जेब, डॉ. महरंग बलोच, नाएला कादरी बलोच और अख्तर मेंगल जैसे नाम शामिल हैं. कई बलोच नेता पाकिस्तानी सेना के साथ संघर्ष में मारे गए हैं, वहीं बाकी नेताओं ने पाकिस्तान की सेना की नाक में दम कर दिया है, बलूचिस्तान लिब्रेशन आर्मी यानी BLA के हमलों में अब तक सैकड़ों पाकिस्तानी सैनिक मारे गए हैं. 

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