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भारत के इस मंदिर में राष्ट्रपति भवन से क्यों भेजा जाता है नमक? ये है पूरी कहानी

भारत में एक ऐसा प्रसिद्ध मंदिर है, जिनमें विराजित देवता को न्याय के देवता के रूप में जाना जाता है. मान्यता है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई हर फरियाद सुनी जाती है. कहा यह भी जाता है कि यहां राष्ट्रपति भवन से नमक आता है.

भारत के इस मंदिर में राष्ट्रपति भवन से क्यों भेजा जाता है नमक? ये है पूरी कहानी
महासू देवता का मंदिर

President Bhavan Temple Salt Story: क्या आप जानते हैं कि भारत में एक मंदिर ऐसा भी है, जहां राष्ट्रपति भवन से नमक जाता है. यह मंदिर उत्तराखंड की पहाड़ियों में बसा है. इसके बारे में सुनते ही लोगों के मन में आस्था के साथ-साथ हैरानी भी पैदा होती है. कहा जाता है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई मुराद कभी खाली नहीं जाती, लेकिन इस मंदिर को लेकर सबसे दिलचस्प बात यह है कि सालों तक इसका नाम राष्ट्रपति भवन से आने वाले एक खास पार्सल से जोड़ा जाता रहा. लोग कहते रहे कि उस पार्सल में नमक आता था. आइए जानते हैं पूरी कहानी..

प्रकृति की गोद में बसा न्याय का मंदिर

देहरादून से करीब 190 किलोमीटर दूर, चकराता के पास हनोल नाम का एक छोटा-सा गांव है. इसी गांव में टोंस नदी के किनारे महासू देवता का प्रसिद्ध मंदिर बना है. यहां आने वाले लोग अपनी फरियाद देवता के सामने रखते हैं, जैसे किसी अदालत में बात रखी जाती हो. इसीलिए इन्हें न्याय का देवता भी कहा जाता है. यह जानकर कई लोग चौंक जाते हैं कि महासू देवता कोई एक देवता नहीं, बल्कि चार भाइयों का सामूहिक रूप हैं. इन चारों के नाम बासिक महासू, पबासिक महासू, बोठा (बुठिया) महासू और चालदा महासू महाराज हैं. महासू शब्द महाशिव से जुड़ा माना जाता है.यही वजह है कि इस देवता को शक्ति और न्याय का प्रतीक माना जाता है. 

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क्या महासू मंदिर में राष्ट्रपति भवन से नमक आता है?

राष्ट्रपति भवन से यहां नमक जाने की कहानी ने इस मंदिर को देशभर में चर्चा में ला दिया. कहा जाता है कि राष्ट्रपति भवन से एक पार्सल कई सालों तक मंदिर आता था, लेकिन उसमें नमक होने की कोई पक्की पुष्टि नहीं मिली. रिपोर्ट्स के अनुसार, उस पार्सल में एक खास तरह की धूपबत्ती आती थी. यह धूपबत्ती देखने में नमक जैसी लगती थी, इसलिए धीरे-धीरे लोगों ने इसे नमक कहना शुरू कर दिया. पार्सल पर दिल्ली का पता होता था, इसी वजह से राष्ट्रपति भवन से जुड़ी कहानी फैल गई. कुछ सालों से यह पार्सल आना बंद हो चुका है, लेकिन कहानी आज भी लोगों के बीच जिंदा है.

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