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घुमावदार सिंगों वाली भेड़, हिम तेंदुआ...अनोखे जानवरों की दुनिया है हिमालय की बर्फीली पहाड़ियां

हिमालय की बर्फीली पहाड़ियों में कई ऐसे जीव रहते हैं, जो रहस्‍य से भरे हुए हैं. ये इतनी ऊंचाई पर रहते हैं, जहां इंसानों के लिए सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है. जमा देने वाली ठंड में भी ये जानवर अपनी शारीरिक बनावट के कारण जिंदा रहते हैं.

घुमावदार सिंगों वाली भेड़, हिम तेंदुआ...अनोखे जानवरों की दुनिया है हिमालय की बर्फीली पहाड़ियां
हिमालय की ऊंची चोटियों के जीवों की अद्भुत दुनिया
  • हिमालय की ऊंची बर्फीली चोटियों पर हिम तेंदुआ, तहर, नीली भेड़ और हिमालयी भेड़िया जैसे विशेष जानवर पाए जाते हैं.
  • हिम तेंदुआ सफेद-धब्बेदार फर और मजबूत पूंछ के कारण बर्फीले वातावरण में छिपने और संतुलन बनाने में सक्षम होता है.
  • हिमालयन तहर के मजबूत खुर और घने बाल उसे ठंडे और खतरनाक चट्टानी इलाकों में सुरक्षित रहने में मदद करते हैं.
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Himalayan Animal: हिमालय की बर्फ से ढकी पहाड़ियां हर किसी का मन मोह लेती हैं. विश्व की सबसे ऊंची पर्वत श्रृंखला, न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह जीव-जंतुओं का एक अनोखा घर भी है. हिमालय की ऊंची और बर्फ से ढकी चोटियों पर कई विशेष प्रकार के जानवर पाए जाते हैं, जो कठोर जलवायु और असहनीय ठंड के बावजूद यहां जीवित रहते हैं. इनमें हिम तेंदुआ, हिमालयन तहर, हिम लोमड़ी, नीली भेड़, रेड पांडा और हिमालयन ग्रे भालू जैसे जानवर शामिल हैं. ये जानवर हिमालय की कठोर परिस्थितियों के अनुसार अपने आप को ढाल चुके हैं. लेकिन आम जानवरों और इंसानों का यहां रहना बेहद मुश्किल है. 

हिम तेंदुआ: सफेद-धब्बेदार फर वाला खूबसूरत जानवर

हिमालय की बर्फीली पहाड़ियों पर पाए जाने वाले सबसे प्रसिद्ध और दुर्लभ जानवर में से एक है, स्नो लेपर्ड, जिसे हिम तेंदुआ भी कहते हैं. इसके सफेद-धब्बेदार फर उसे बर्फीले वातावरण में छिपने में मदद करते हैं. यह जानवर ऊंचे पहाड़ों में शिकार करता है और इसकी ताकत व चतुराई अद्भुत होती है. ऊंची पहाडि़यों पर स्नो लेपर्ड की लंबी और मजबूत पूंछ इसे संतुलन बनाने में मदद करती है. इसके पैरों की बनावट ऐसी होती है, जो इसे पहाड़ी पर चढ़ने में मदद करती है. लेकिन हिम तेंदुए की संख्या में लगातार घट रही है. इसके संरक्षण के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं.

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  • हिम तेंदुआ मुख्य रूप से हिमालय और मध्य एशिया के ऊँचे और ठंडे पहाड़ी इलाकों में पाया जाता है.
  • इसके शरीर पर मोटी, घनी और ऊनी फर होती है जो -30°C जैसी ठंड में भी इसे गर्म रखती है.
  • यह आमतौर पर 3000 से 5500 मीटर की ऊंचाई पर पाया जाता है, जहां बर्फ और चट्टानी पहाड़ होते हैं.
  • इसके पंजे चौड़े और फर से ढके होते हैं, जो बर्फ में जूतों की तरह काम करते हैं और फिसलने से बचाते हैं.
  • यह बहुत कम दिखाई देता है, इसलिए इसे "पहाड़ियों का भूत" भी कहा जाता है.

हिमालयन तहर: मजबूत खुर और संतुलन बनाने में माहिर 

हिमालय की ऊंचाइयों पर पाए जाने वाला हिमालयन तहर को देख ऐसा लगता है कि यह यहीं के लिए बना है. यह जानवर चट्टानी पहाड़ों पर बड़े आराम से रहता है. इसके मजबूत खुर और संतुलन उसे खतरनाक चढ़ाइयों पर भी सुरक्षित रखते हैं. ये शून्य से नीचे के तापमान में भी बेहद सहज रहते हैं. हिमालय की पहाड़ियों पर ये 16,000 फीट की ऊंचाई तक पहुंच सकते हैं. इनके घने बाल इन्हें मौसम की मार से बचाते हैं. हिमालयन तहर शाकाहारी होते हैं और मुख्य रूप से घास और कुछ जंगली फल खाते हैं. यह प्रजाति IUCN (प्रकृति संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ) की रेड लिस्‍ट में है, इसलिए पहाड़ पर इन्हें देखना भी काफी दुर्लभ हो गया है. तहर का काफी शिकार किया गया है और अब ये विलुप्त होने की कगार पर हैं.

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  • हिमालय की ऊंची पर्वतीय ढलानों पर, विशेष रूप से भारत (हिमाचल, उत्तराखंड, सिक्किम), नेपाल और भूटान में पाया जाता है. 
  • हिमालयन तहर के खुर (पैरों के नीचे) मजबूत और खुरदुरे होते हैं, जिससे यह चट्टानी और फिसलन भरे इलाकों में भी आसानी से चढ़ और चल सकता है.
  • ऊंचाई पर अत्यधिक ठंड से बचने के लिए इसके शरीर पर मोटी, घनी और लंबी भूरी फर होती है. 
  • तहर बहुत चौकस और सतर्क जानवर होता है। यह छोटी-सी आहट पर भी चौकन्ना हो जाता है और तुरंत चट्टानों की ओर दौड़ जाता है. 
  • नर तहर के पास बड़े, पीछे की ओर घुमावदार मजबूत सिंग होते हैं और मादा तहर के सिंग छोटे और पतले होते हैं.

  

घुमावदार सिंगों वाली नीली भेड़ 

हिमालय की ऊंचाइयों पर ब्लू शीप और हिमालयन मुनाक जैसे जानवर भी पाए जाते हैं, जो घास और पौधों पर निर्भर रहते हैं. हिमालय की ऊंची चोटियों पर पाया जाने वाला एक विशेष प्रकार का जानवर है. इसका रंग सामान्यत: नीला-भूरा या ग्रे होता है, इसलिए इसे नीली भेड़ कहा जाता है. ये जानवर अपने घुमावदार सिंगों के लिए भी जाने जाते हैं, जो खासकर नर नीली भेड़ों में बड़े और प्रभावशाली होते हैं. नीली भेड़ मुख्य रूप से 3000 से 5000 मीटर की ऊंचाई वाले बर्फीले और चट्टानी पहाड़ों में रहती है. यह जानवर भारत, नेपाल, भूटान, पाकिस्तान और तिब्बत के हिमालयी क्षेत्र में पाया जाता है. बर्फीले मौसम में जब भोजन की कमी होती है, तब भी यह मुश्किल से मिलने वाले पौधों को खोजकर जीवित रहती है.

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  • नीली भेड़ बेहद मजबूत और फुर्तीली होती है, जो कठिन और ऊंचे पर्वतीय इलाकों में आराम से चढ़ सकती है.
  • इसके घुमावदार सिंग इसे मादा नीली भेड़ों और अन्य जानवरों से अलग पहचान देते हैं। ये सिंग लड़ाई और सामाजिक संघर्षों में काम आते हैं.
  • यह जानवर समूह में रहता है और अक्सर बड़े झुंडों में पाया जाता है.
  • नीली भेड़ हिमालय के प्रमुख शिकारी स्नो लेपर्ड का मुख्य शिकार भी होती है.

हिमालयी भेड़िया: एक लुप्तप्राय प्रजाति

हिमालयी भेड़िये को तिब्बती भेड़िया भी कहा जाता है, जो 4,000 मीटर से अधिक ऊंचाई पर रहते हैं. इनका घर नेपाल और भारत की हिमालय श्रृंखला और तिब्बती पठार हैं. हिमालयी भेड़िये का फर मोटा, ऊनी और पीठ एवं पूंछ का रंग हल्का भूरा होता है और इसके थूथन/मुंह, आंखों के नीचे, ऊपरी गालों और कानों पर काले धब्बे होते हैं. ऊंचाई पर कम ऑक्सीजन वाले स्थानों पर रखने की खासियत इस भेडि़ये को हिमालय की जमा देने वाली ठंड में भी जीवित रखती है.  

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  • हिमालयी भेड़िया मुख्य रूप से लद्दाख, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, तिब्बत, और नेपाल के ऊंचे, ठंडे और शुष्क क्षेत्रों में पाया जाता है.
  • यह भेड़िया सामान्यतः 3000 से 5500 मीटर की ऊंचाई पर जीवन यापन करता है.
  • इसका रंग हल्का भूरा, स्लेटी या पीला-सा होता है, ताकि यह बर्फीली और चट्टानी जमीन में छिप सके.
  • हिमालयी भेड़िया आम भेड़ियों से थोड़ा छोटा और हल्का होता है.


हिमालयन ब्राउन बियर

हिमालयन ब्राउन बियर विशालकाय भालू होते हैं जो हिमालय के ऊंचे और दुर्गम इलाकों में पाए जाते हैं. यह 3,000 से 5,000 मीटर तक की ऊंचाई पर, घास के मैदानों और बर्फीली ढलानों पर रहते हैं. इनके मोटे फर आमतौर पर रेतीले या लाल-भूरे रंग के होते हैं. ये 2.2 मीटर तक लंबे हो सकते हैं, जिनका वज़न 250 किलोग्राम तक होता है.

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  • इसका शरीर भारी और मजबूत होता है, और फर सुनहरा भूरा या गहरा भूरा होता है.
  • सर्दियों में यह भालू हाइबरनेशन करता है, यानी कई महीनों तक सोता रहता है और भोजन नहीं करता.
  • इसके पंजे बहुत मजबूत होते हैं जो खुदाई करने और शिकार पकड़ने में मदद करते हैं.
  • यह अकेले रहना पसंद करता है, सिर्फ प्रजनन के समय नर और मादा साथ आते हैं.

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