सलमान ख़ान के साठ साल पूरे होने पर एनडीटीवी से खास बातचीत में फ़िल्म वीर के निर्देशक अनिल शर्मा ने उनके साथ जुड़े पुराने दिनों को याद किया और वीर बनने की पूरी कहानी अपने शब्दों में सुनाई, जो लोग नहीं जानते उन्हें बता दें कि वीर साल 2010 में रिलीज हुई थी और बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप साबित हुई थी. “साठ साल के हो गए खान साहब, लगता है जैसे अभी आए हों” अनिल शर्मा कहते हैं, “ऐसा है कि साठ साल के हो गए ख़ान साहब! और ऐसा लग रहा है जैसे अभी तो आए हैं. उन दिनों की बातें अब किसी और की कहानी लगती हैं. और बताइए, वो साठ के हो गए. हैरानी की बात है.”
शुरुआती मुलाक़ातें और नया-नया करियर
“पुरानी तो बात है, जब सलमान ख़ान साहब मिलते थे. जब मैं ‘तहलका' कर रहा था और उन दिनों उनसे मुलाक़ात होती थी. फ़िल्में करनी थीं उनको, नया-नया उनका करियर शुरू हुआ था. आज वो दिन किसी और की बात लगते हैं.”
कैटरीना के साथ शूटिंग और सलमान का संदेश
अनिल शर्मा बताते हैं, “एक दिन मैं कैटरीना कैफ जी के साथ शूटिंग कर रहा था. वो मेरे पास आईं और बोलीं कि खान साहब आपसे मिलना चाहते हैं. तो मैंने कहा, चलिए. मैं सलमान ख़ान साहब के पास गया. मैं तो अपना विषय सुनाने गया था, लेकिन उन्होंने कहा- कल मिलते हैं, शूटिंग पर मिलते हैं.”
शूटिंग के दौरान बुलावा और खुद गाड़ी चलाकर घर ले जाना
“अगले दिन मैं शूटिंग पर गया. ‘वांटेड' की शूटिंग चल रही थी. सलमान खान साहब ने कहा- शर्मा जी, आइए मेरे साथ. खुद गाड़ी ली, खुद ड्राइव की, मुझे बैठाया और सीधे अपने घर ले गए. वहां बोले- मैं आपको एक स्क्रिप्ट सुनाना चाहता हूं. सुनिए, ये मैंने खुद लिखी है.”
संजय दत्त और कुमार गौरव के साथ फ़िल्म बनाने का विचार
अनिल शर्मा आगे कहते हैं, “उन्होंने कहा कि ये स्क्रिप्ट मैंने बरसों पहले लिखी थी. तब मैंने सोचा था कि इसे संजय दत्त और कुमार गौरव के साथ बनाऊंगा. उन्होंने पूरी स्क्रिप्ट बाकायदा सुनाई और बोले- ये फिल्म मैं चाहता हूं आप करें, क्योंकि आप बड़े स्तर पर शूट करते हो. ये एक बड़ी ऐतिहासिक फिल्म है.”
प्रेरणा और फिल्म की शुरुआत
बातचीत में अनिल शर्मा ने आगे कहा की जब सलमान ने कहानी सुनाई तो मैंने पूछा -“ क्या ये हॉलीवुड फ़िल्म ‘तारास बुलबा ‘की कहानी से प्रेरित है. तो उन्होंने कहा हां और बस वहीं से हमारे साथ काम की शुरुआत हुई.”
रात-रात भर फोन और काम के लिए जुनून
अनिल शर्मा बताते हैं- “वो ऐसा इंसान था जो रात को बारह बजे, एक बजे, दो बजे भी फोन करके बुला लेता था. अगर मेरा फोन बंद हो तो मेरे सहायक को, मेरी पत्नी को फोन करके भी मुझ तक संदेश पहुंचाता था. क्यों? क्योंकि उनके दिमाग में कोई दृश्य आ गया, कोई गाने की बात आ गई. उन्हें काम में कोई खाली जगह नहीं चाहिए थी.”
गपशप से दूर, सिर्फ़ फिल्म की बातें
“सलमान ख़ान के अंदर सबसे बड़ा गुण ये है कि वो गपशप में विश्वास नहीं करते. इधर-उधर की भलाई-बुराई में उनका कोई यकीन नहीं था. जब भी मिलते थे, सिर्फ काम की बात होती थी. फिल्म की बात, फ़िल्म को जीना, फ़िल्म को पीना. अगर कोई बातचीत होती भी थी तो फ़िल्म से जुड़ी होती थी.”
धर्मेंद्र – सबसे बड़ा कॉमन टॉपिक
अनिल शर्मा कहते हैं- “मेरे और उनके बीच हमेशा एक कॉमन टॉपिक रहा—धर्मेंद्र. सलमान हमेशा से धर्म जी के बहुत बड़े प्रशंसक रहे हैं. वो कहते थे-जैसे धर्म जी ने ‘धर्मवीर' की थी, वैसे ही मुझे भी एक फिल्म करनी है. जब भी बात होती थी तो धर्म जी के किस्से जरूर आते थे- ‘हुकूमत' का किस्सा सुनाओ, ‘तहलका' में क्या हुआ था- धर्म जी हमारे बीच हमेशा कॉमन फ़ैक्टर रहे.”
‘वीर' के लिए कड़ी मेहनत
अनिल शर्मा के अनुसार- “‘वीर' के लिए सलमान ने बहुत मेहनत की. शरीर बनाना था, रूप तैयार करना था, सब कुछ करना था. उन्होंने बहुत ईमानदारी से काम किया.” बातचीत के अंत में अनिल शर्मा कहते हैं— “सलमान ख़ान के साथ मेरे बहुत अच्छे पल गुजरे हैं. उनके साथ काम करना मेरे लिए हमेशा यादगार रहेगा.”
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