
- भारत में बाघों की सबसे अधिक संख्या है, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और उत्तराखंड में बाघ पाए जाते हैं
- मध्य प्रदेश के सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में एक बाघ की मृत अवस्था में मिला, टेरिटोरियल लड़ाई की आशंका है
- बाघों के बीच लड़ाई का मुख्य कारण अपना इलाका या टेरिटरी बनाए रखना होता है
Tiger Territorial Fights: भारत दुनिया का ऐसा अकेला देश है, जहां बाघों की संख्या सबसे ज्यादा है. मध्य प्रदेश से लेकर कर्नाटक-उत्तराखंड के जंगलों में बाघों की मौजूदगी है. मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम जिले के सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से एक बुरी खबर सामने आई है. यहां वन विभाग की टीम को एक बाघ मरा हुआ मिला. जांच के बाद अधिकारियों का कहना है कि पहली नजर में यही लग रहा है कि दो बाघों की आपसी लड़ाई में इस एक बाघ की मौत हुई है
यह पहला मामला नहीं है जब टेरिटोरियल फाइट में किसी बाघ की मौत हुई हो, पिछले पांच साल में एक दर्जन से ज्यादा बाघ ऐसे खूनी संघर्ष में मारे जा चुके हैं. आखिर जंगल में नर बाघों के बीच जानलेवा लड़ाई क्यों होती है? यह जानने के लिए बाघों पर बारीक नजर रख चुके आईएफएस अधिकारी सनी देव चौधरी ने बात की. जानिए उन्होंने क्या दिलचस्प बातें बताईं.
क्यों होती है बाघों की लड़ाई?
आईएफएस अधिकारी सनी देव चौधरी ने बताया कि बाघों के बीच इस खूनी जंग की सबसे बड़ी वजह टेरिटोरियल है. यानी इलाके की लड़ाई. हर मेल बाघ की अपनी एक टेरेटरी यानी इलाका होता है. यह इलाका कितना बड़ा होता है, इसे वह खुद तय करता है. खाने की उपलब्धता और बाकी चीजों पर इलाके की दूरी तय होती है. ये इलाका 20 स्क्वायर किमी से लेकर 150 स्क्वायर किमी तक हो सकती है. इलाके में बाघों की जितनी डेंसिटी रहती है, उतनी ज्यादा लड़ाई के चांस होते हैं.
आधार-PAN या वोटर आईडी नहीं तो क्या? जानें कैसे साबित कर सकते हैं अपनी नागरिकता
क्या बाघिन के लिए भी होती है लड़ाई?
जब हमने फॉरेस्ट ऑफिसर से पूछा कि क्या बाघ किसी बाघिन के लिए भी ऐसा खूनी संघर्ष करते हैं? इसके जवाब में सनी देव चौधरी ने कहा, ऐसा साइंटिफकली नहीं कहा जा सकता है. काफी कम मामलों में ऐसा देखा जाता है. इसीलिए जो भी लड़ाई होती है वो किसी के इलाके पर कब्जा करने या फिर घुसपैठ को लेकर होती है.
कैसे इलाका तय करते हैं बाघ?
आईएफएस अधिकारी ने बताया कि बाघ अक्सर अपना इलाका अपनी गंध छोड़कर तय करते हैं. जिस इलाके में वो रहते हैं, उसके चारों तरफ पंजे मारकर या फिर यूरिनेशन से बाउंड्री बना लेते हैं. यही वजह है कि पेड़ों पर नाखूनों के निशान मिलते हैं. ये दूसरे बाघ के लिए संकेत होता है कि वो इस इलाके में घुसने की कोशिश ना करे. फॉरेस्ट ऑफिसर ने बताया कि जब कोई बाघ किसी की टेरेटरी में घुस जाता है तो दोनों के बीच लड़ाई होती है, इसमें कमजोर बाघ बुरी तरह घायल हो जाता है और कुछ दिन बाद इंफेक्शन से उसकी मौत हो जाती है.
12 साल के बाघ की मौत
एक अधिकारी ने बताया कि 11 से 12 साल के बाघ टी-66 को मंगलवार को एक गश्ती दल ने रिजर्व लगदा बीट में मृत पाया, जिसके बाद उन्होंने अधिकारियों को तुरंत मामले की सूचना दी. एसटीआर की डिप्टी डायरेक्टक ऋषिभा सिंह नेताम ने कहा कि वनकर्मियों और पशु चिकित्सकों के घटनास्थल के निरीक्षण के दौरान, अवैध शिकार का कोई संकेत नहीं मिला और बाघ के शरीर के सभी अंग सही सलामत थे. इसीलिए मौत का कारण प्रथम दृष्टया इलाके में किसी अन्य बाघ के साथ लड़ाई होना लग रहा है.
फिलहाल फॉरेंसिक जांच के लिए प्रोटोकॉल के मुताबिक विसरा को सील कर दिया गया है. पोस्टमार्टम के बाद नियमानुसार शव को नष्ट कर दिया गया. बता दें कि मध्य प्रदेश में नौ टाइगर रिजर्व हैं, जिनमें कान्हा, बांधवगढ़, सतपुड़ा, पेंच और पन्ना रिजर्व शामिल हैं.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं