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JMM ने प्रदेश भर में निकाला 'झारखंडी अधिकार मार्च', CM सोरेन बोले- 'अब बर्दाश्त नहीं केंद्र का भेदभाव'

झारखंड में विधानसभा चुनाव के ऐलान से पहले ही राजनीति तेज हो गई है. झारखंड मुक्ति मोर्चा ने 'झारखंडी अधिकार मार्च' का आयोजन कर केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया.

JMM ने प्रदेश भर में निकाला 'झारखंडी अधिकार मार्च', CM सोरेन बोले- 'अब बर्दाश्त नहीं केंद्र का भेदभाव'
रांची:

झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के कार्यकर्ताओं ने शुक्रवार को केंद्र की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार की नीतियों के खिलाफ पूरे राज्य में विरोध रैलियां निकालीं. झामुमो के एक नेता ने बताया कि कार्यकर्ताओं ने केंद्र के भेदभाव के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते हुए राज्य के नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए विभिन्न जिलों में ‘झारखंडी अधिकार मार्च' निकाला.

झारखंड में विधानसभा चुनाव की राजनीति अभी से ही तेज हो गई है. झारखंड मुक्ति मोर्चा ने 'झारखंडी अधिकार मार्च' का आयोजन करके अपने विरोध का प्रदर्शन किया. 

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भारतीय जनता युवा मोर्चा की ‘युवा आक्रोश रैली' को लेकर भाजपा पर हमला बोला और दावा किया कि भाजपा को राज्य सरकार के खिलाफ उसकी ‘साजिश' का करारा जवाब मिलेगा. उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘हमारे पास जनता का आशीर्वाद है, विपक्ष को उसकी साजिश के लिए करारा जवाब दिया जाएगा.''

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘केवल झारखंडी ही झारखंड पर शासन करेंगे. राज्य में गुजरात और असम से आदेश लेने वाले भाजपा नेताओं का सफाया कर दिया जाएगा.

आर-पार की लड़ाई के मूड में JMM

हेमंत सोरेन ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार ने हमेशा हम झारखंडियों के साथ भेदभाव किया है. मेरे साथ उन्हें जो करना है वो कर लें, मुझे चाहे तो फिर से जेल में डाल दें, लेकिन झारखंड के खिलाफ भेदभाव अब बर्दाश्त नहीं. 

महुआ मांझी ने भी केंद्र पर हमला बोला

राज्य सभा सांसद महुआ मांझी ने आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र सरकार, राज्य सरकार के साथ भेदभाव कर रही है. उन्होंने केंद्र से कहा कि झारखण्ड के हक का एक लाख छत्तीस हज़ार करोड़ वापस कर दें, तो राज्य की सारी दिक्क़तें दूर हो जाएंगी.

इससे पहले सोरेन ने आरोप लगाया कि भाजपा ने देशभर के युवाओं का भविष्य बर्बाद कर दिया है और अब वे ‘युवा आक्रोश रैली' निकाल रहे हैं. रक्षा, रेलवे, कोयला और बैंक जैसे प्रमुख रोजगार-प्रधान क्षेत्रों में भर्तियां लगभग समाप्त हो गई हैं.

वहीं जेएमएम ने कहा कि गलत तरीके से राज्य के आदिवासी मुख्यमंत्री को फंसाने की साजिश रची गई थी, जो अब जनता जान चुकी है.

जेएमएम ने पूर्व की सरकारों पर जनता को छलने का आरोप लगाते हुए कहा कि पहले की सरकार सरना आदिवासी धर्मकोड, 1932 आधारित स्थानीय नीति, पिछड़ों को 27 प्रतिशत आरक्षण, नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज की अधिसूचना रद्द करने, वृद्धों को पेंशन देने, आदिवासी-मूलवासी को पहचान और हक अधिकार देने के नाम पर झारखंडियों से छल करती रही थी.

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