भले ही इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में विराट कोहली की टीम इंडिया खराब प्रदर्शन करते हुए शुरुआती दोनों टेस्ट हार चुकी है लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि क्रिकेट ने देशवासियों को अनगिनत खुशियां उपलब्ध कराई हैं. क्रिकेट को लेकर इस देश में दीवानगी जुनून का रूप ले चुकी है. हालात यहां तक हैं कि भारतीय टीम की किसी बड़े मुकाबले में जीत मिलते ही जश्न मनाने के लिए पूरा देश थमकर रह जाता है. इसके विपरीत टीम की हार पर कुछेक मौकों पर फैंस खुदकुशी तक कर लेते हैं. टीम की हार हो या जीत, फैंस की इस मामले में तुरंत प्रतिक्रिया देखने को मिलती है. दूसरे शब्दों में कहें तो भारत में क्रिकेट को को धर्म जैसा दर्जा हासिल है. इस खेल से जुड़ी हर जीत फैंस को झूमने का मौका उपलब्ध कराती रही है. नजर डालते हैं क्रिकेट में खेल में देश/खिलाड़ियों की उन 10 उपलब्धियों पर जिन्होंने फैंस का दिल 'बल्ले-बल्ले' कर दिया...
कपिल की वर्ल्डकप की जीत को धोनी के धुरंधरों ने दोहराया था
भारत दो बार क्रिकेट वर्ल्डकप में चैंपियन बन चुका है. वर्ष 1983 के वर्ल्डकप के फाइनल में कपिल देव की टीम ने वेस्टइंडीज को धूल चटाकर पहली बार, देश को यह मौका उपलब्ध कराया था. यह वह दौर था जब वनडे क्रिकेट में भारतीय टीम को फिसड्डी माना जाता था.भारतीय टीम प्रूडेंशियल वर्ल्डकप में हिस्सा लेने इंग्लैंड पहुंची थी तो विजेता बनने की उम्मीद तो दूर, हर कोई शुरुआती दौर में ही उसके बाहर होने की बात कर रहा था लेकिन कपिल देव की टीम ने शानदार अंदाज में यह कर दिखाया था. 60-60 ओवर वाले इस वर्ल्डकप के फाइनल में वेस्टइंडीज ने भारत को सिर्फ़ 183 रनों पर समेट दिया था. ऐसे में हर कोई मैच में मजबूत इंडीज टीम की जीत को महज औपचारिकता ही मान रहा था लेकिन पलटवार करते हुए भारतीय गेंदबाजों ने वेस्टइंडीज को 140 रन पर ही ढेर कर दिया और टीम को वर्ल्डकप की सौगात दी. वर्ष 2011 को भारतीय टीम, श्रीलंका को हराकर फिर से वर्ल्डकप चैंपियन बनी. कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के विजयी छक्के जमाते हुए टीम इंडिया की श्रेष्ठता पर मुहर लगाई थी.भारत ने फाइनल में श्रीलंका को 6 विकेट से शिकस्त दी थी.
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1985 में वर्ल्ड चैंपियनशिप ऑफ क्रिकेट पर कब्जा
भारत की वर्ल्डकप जीत के दो वर्ष बाद यानी 1985 में ऑस्ट्रेलिया में आयोजित वर्ल्ड चैंपियनशिप ऑफ क्रिकेट में सुनील गावस्कर के नेतृत्व वाली भारतीय टीम चैंपियन बनी थी. सोने पर सुहागा यह कि भारत ने फाइनल में प्रबल प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को हराकर यह रुतबा हासिल किया था. टूर्नामेंट में भारत की टीम ने बेहतरीन फॉर्म दिखाते हुए पाकिस्तान, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसी टीमों पर बेहद आसानी से जीत हासिल की थी. रवि शास्त्री, सदानंद विश्वनाथ, लक्ष्मण शिवराम कृष्णन और चेतन शर्मा जैसे युवाओं के अलावा सुनील गावस्कर, मोहिंदर अमरनाथ, के. श्रीकांत, दिलीप वेंगसरकर, कपिल देव, रोजर बिन्नी और मदनलाल जैसे अनुभवी खिलाड़ी इस टीम के सदस्य थे. टीम इंडिया के मौजूदा कोच रवि शास्त्री तो इस टूर्नामेंट के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी घोषित किए गए थे. पुरस्कारस्वरूप उन्हें मिली ऑडी कार पर जीत की खुशी में झूमते क्रिकेटरों की तस्वीर उस दौर में मीडिया में छाई रही थी.
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पाकिस्तान से उसी की धरती पर वनडे और टेस्ट सीरीज जीतना
भारत और पाकिस्तान के बीच के क्रिकेट रिश्ते आतंकवाद की काली छाया से बुरी तरह प्रभावित रहे हैं. भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट संबंधों की बहाली के बाद वर्ष 2004 में सौरव गांगुली की कप्तानी में भारतीय टीम पांच वनडे और तीन टेस्ट की सीरीज खेलने के लिए पाकिस्तान पहुंची थी. पाकिस्तान की उस टीम में शोएब अख्तर, वसीम अकरम, वकार यूनुस, शाहिद अफरीदी, इंजमाम उल हक, यूसुफ योहाना जैसे धाकड़ खिलाड़ी थे. लेकिन सौरव गांगुली की टीम ने इस दौरे को यादगार बनाते हुए वनडे सीरीज 3-2 और तीन टेस्ट की सीरीज 2-1 के अंतर से जीती थी. पाकिस्तान को उसके देश में ही हराने का कारनामा भारतीय टीम इससे पहले कभी नहीं कर पाई थी. इस दौरे की भारतीय टीम युवा और अनुभवी खिलाड़ियों की बेहतरीन मिश्रण थी. जहां अनुभवी खिलाड़ियों के रूप में टीम में सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ और जहीर खान जैसे खिलाड़ी थे, वहीं इरफान पठान, लक्ष्मीपति बालाजी और मोहम्मद कैफ की युवा ब्रिगेड का योगदान भी भारत की जीत में अहम रहा था.
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टी20 वर्ल्डकप में भारत चैंपियन, युवराज के ओवर में छह छक्के
क्रिकेट के सबसे छोटे फॉर्मेट टी20 क्रिकेट का पहला वर्ल्डकप 2007 में दक्षिण अफ्रीका में आयोजित हुआ था जिसमें पाकिस्तान को 5 रन से हराकर महेंद्र सिंह धोनी की टीम चैंपियन बनी थी. भारत की यह जीत इस मायने में उल्लेखनीय रही कि सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ जैसे दिग्गज खिलाड़ी टीम से बाहर थे. भारत की इस खिताबी जीत के अलावा यह टूर्नामेंट युवराज सिंह के एक ओवर में लगाए गए छह छक्कों के लिए भी लंबे समय तक याद रहेगा. युवराज ने इंग्लैंड के खिलाफ मैच में स्टुअर्ट ब्रॉड की लगातार छह गेंदों को छक्के के लिए उड़ाया था. इंटरनेशनल क्रिकेट में युवराज सिंह (टी20)और दक्षिण अफ्रीका के हर्शेल गिब्स (वनडे मैच) ही एक ओवर में छह छक्के लगाने का करिश्मा कर पाए हैं.
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इंटरनेशनल क्रिकेट में सचिन तेंदुलकर के शतकों का 'शतक'
मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट में 'भगवान' का दर्जा हासिल है. अपने करीब 24 साल के इंटरनेशनल करियर में सचिन ने कई ऐसे रिकॉर्ड बनाए जिन्हें तोड़ना आज भी बल्लेबाजों के लिए चुनौती बना हुआ है. 100 इंटरनेशनल शतक बनाने वाले सचिन दुनिया के एकमात्र बल्लेबाज हैं. वनडे इंटरनेशनल में 49 और टेस्ट क्रिकेट में 51 शतक उनके नाम पर दर्ज हैं. सचिन ने अपना 100वां शतक बांग्लादेश के खिलाफ मीरपुर में हुए वनडे मैच में लगाया था. वनडे क्रिकेट में पहला दोहरा शतक भी सचिन ने ही लगाया था. वनडे और टेस्ट क्रिकेट में सर्वाधिक रन मुंबई के इस पूर्व क्रिकेटर के नाम पर ही हैं. सचिन ने 463 वनडे इंटरनेशनल मैचों में 44.83 के औसत से 18426 रन बनाए हैं, वहीं टेस्ट क्रिकेट में 200 टेस्ट में 53.78 के औसत से 15921 रन उनके नाम पर दर्ज हैं.
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1971 में इंग्लैंड के खिलाफ वह पहली जीत
भारतीय क्रिकेट के लिहाज से 24 अगस्त ऐतिहासिक दिन माना जाता है. 24 अगस्त 1971 को ही भारत ने इंग्लैंड में पहली टेस्ट जीत हासिल की थी. ओवल पर खेले गए इस टेस्ट की पहली पारी में भारत 71 रन से पिछड़ गया था. टेस्ट पर इंग्लैंड की पकड़ बेहद मजबूत मानी जा रही थी लेकिन दूसरी पारी में भगवत चन्द्रशेखर के नेतृत्व में भारतीय गेंदबाजी आक्रमण ने इंग्लैंड टीम को 101 रन पर ढेर कर दिया. भारत को जीत के लिए 173 रन का टारगेट मिला था, जो भारत ने छह विकेट के नुकसान पर हासिल कर लिया था. इस जीत ने टीम में यह विश्वास भरा था कि विदेश में भी टीम सफलता हासिल कर सकती है. अजीत वाडेकर की कप्तानी में भारत ने इंग्लैंड के खिलाफ यह सीरीज 1-0 से अपने नाम की थी.
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सबसे पहले 10 हजार रन के आंकड़े तक पहुंचे से सनी
सुनील गावस्कर की गिनती भारत की नहीं, दुनिया के सर्वश्रेष्ठ ओपनरों में की जाती थी. सनी ने अपनी बैटिंग से देश को कई गौरव के क्षण उपलब्ध कराए. सर डॉन ब्रेडमैन के 29 शतकों के रिकॉर्ड को सबसे पहले उन्होंने ही पार किया. यही नहीं, वे टेस्ट क्रिकेट में 10 हजार रन पूरे करने वाले दुनिया के पहले बल्लेबाज रहे. गावस्कर ने 7 मार्च 1987 को पाकिस्तान के खिलाफ अहमदाबाद टेस्ट में यह रिकॉर्ड बनाया था. टेस्ट क्रिकेट में गावस्कर के नाम पर 34 शतक दर्ज हैं.
कपिलदेव ने भंग किया था हैडली का सर्वाधिक विकेट का रिकॉर्ड
कपिल देव की गिनती भारत ही नहीं, दुनिया के महान ऑलराउंडरों में की जाती थी. उनके ही नेतृत्व में भारत ने 1983 का वर्ल्डकप जीता था. कपिल ने अपने हरफनमौला प्रदर्शन से भारत को कई यादगार जीत दिलाई. वर्ष 1994 में न्यूजीलैंड के रिचर्ड हैडली के 432 विकेट के रिकॉर्ड को भंग करके कपिल ने दुनिया के नंबर वन टेस्ट बॉलर करने की उपलब्धि हासिल की थी. श्रीलंका के हसन तिलकरत्ने को संजय मांजरेकर से कैच कराकर कपिल ने हैडली का रिकॉर्ड तोड़ा था. कपिल टेस्ट क्रिकेट में 400 विकेट (434) और 5000 रन बनाने वाले दुनिया के एकमात्र क्रिकेटर है.
अनिल कुंबले के 'परफेक्ट टेन' का वह रिकॉर्ड
टेस्ट क्रिकेट में अब तक केवल दो बल्लेबाज पारी में 10 विकेट हासिल कर पाए हैं, उनमें इंग्लैंड के जिम लेकर के अलावा भारत के लेग स्पिनर अनिल कुंबले भी शामिल हैं. सात फरवरी 1999 को कोटला मैदान पर प्रबल प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के खिलाफ कुंबले ने पारी में सभी 10 विकेट अपने नाम पर किए थे. उनके इस प्रदर्शन की बदौलत टीम इंडिया ने मैच में 212 रनों के अंतर से जीत हासिल कर दो टेस्ट मैचों की सीरीज 1-1 से बराबर रखने में कामयाबी हासिल की थी. भारत के लिए सबसे ज्यादा टेस्ट विकेट अनिल कुंबले के ही नाम पर हैं. कर्नाटक के इस गेंदबाज ने 132 टेस्ट में 619 विकेट हासिल किए.
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रोहित शर्मा की वनडे में वह 'विशाल' पारी
एक समय वनडे क्रिकेट में दोहरा शतक बनाना ही बल्लेबाजों के लिए चुनौती हुआ करता था. मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने इस बैरियर को तोड़कर वनडे इंटरनेशनल में दोहरा शतक बनाने वाले दुनिया के पहले बल्लेबाज होने का श्रेय हासिल किया. इसके बाद कई बल्लेबाजों ने वनडे में दोहरे शतक लगाए, टीम इंडिया के हिटमैन रोहित शर्मा ने तो वनडे में ऐसे विशाल स्कोर का रिकॉर्ड बना डाला, जिसे तोड़ना दुनिया के किसी भी बल्लेबाज के लिए चुनौती होगा. वनडे इंटरनेशनल में तीन दोहरे शतक जमा चुके रोहित ने 13 नवंबर 2014 को श्रीलंका के खिलाफ वनडे मैच में 264 रन.....जी हां 264 रन बना डाले थे. रोहित ने इस यादगार पारी के दौरान 173 गेंदों पर 264 रन बनाए थे, उनके आउट होने पर ही श्रीलंका के गेंदबाजों ने राहत की सांस ली थी. रोहित ने अपनी पारी में 33 चौके और 9 छक्के लगाए थे. वनडे इंटरनेशनल में रोहित शर्मा के इस रिकॉर्ड को तोड़ पाना दुनिया के किसी भी बल्लेबाज के लिए 'हिमालय पर चढ़ने' जैसा होगा.
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