- अमित शाह के आरोपों पर महबूबा मुफ्ती ने किया पलटवार
- कहा- बीजेपी हर फैसले में थी शामिल
- बोलीं- अगर कोई दिक्कत थी तो किसी मंत्री ने पहले क्यों नहीं कहा
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Many false charges levelled against us by our former allies. Our commitment to the Agenda of Alliance, co-authored by Ram Madhav & endorsed by senior leaders like Rajnath Ji never wavered. It is sad to see them disown their own initiative & label it a 'soft approach.' 1/6
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) June 24, 2018
उन्होंने एक दिन पहले जम्मू में अमित शाह के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, 'हमारे पूर्व गठबंधन सहयोगी द्वारा हमारे खिलाफ कई झूठे आरोप लगाए गए. उन्होंने कहा, 'एजेंडे के प्रति हमारी वचनबद्धता कभी भी अस्थिर नहीं हुई. इस एजेंडे के सह-लेखक भाजपा नेता राम माधव थे और राजनाथ (सिंह) जैसे वरिष्ठ नेताओं ने इस एजेंडे का समर्थन किया था. उनके द्वारा अपनी ही पहल को अस्वीकार करना और इसे एक 'नरम दृष्टिकोण' करार देना दुखद है.'
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Status quo on Article 370, dialogue with Pakistan & Hurriyat were a part of AoA. Encouraging dialogue, withdrawing cases against stonepelters & the unilateral ceasefire were much needed measures to restore confidence on the ground. This was recognized & endorsed by BJP. 2/6
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) June 24, 2018
महबूबा ने कहा, 'अनुच्छेद 370 की यथास्थिति बनाए रखना, पाकिस्तान व हुर्रियत के साथ संवाद एजेंडे के हिस्से थे. संवाद को प्रोत्साहन, पत्थरबाजों के खिलाफ मामले वापस लेना और एकतरफा संघर्षविराम जमीन पर विश्वास बहाली के लिए अत्यंत जरूरी कदम थे. इसे भाजपा ने मान्यता और समर्थन दिया था.' उन्होंने कहा, 'जम्मू एवं लद्दाख के साथ भेदभाव के आरोपों का वास्तव में कोई आधार नहीं है. हां, (कश्मीर) घाटी में लंबे समय से उथल-पुथल रही है और 2014 की बाढ़ राज्य के लिए एक झटका थी, इसलिए यहां ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता थी. इसका यह मतलब नहीं है कि किसी जगह कम विकास किया गया.'
Not handing over the Rasana rape & murder case to CBI,getting the pro rapist ministers removed & also issuing orders not to harass the Gujjar & Bakarwal community in the guise of anti encroachment drives were my duties as CM to provide a sense of security to both communities. 5/6
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) June 24, 2018
महबूबा ने कहा, 'अगर कुछ है तो उन्हें (भाजपा) अपने मंत्रियों के प्रदर्शन की समीक्षा करनी चाहिए, जो व्यापक रूप से जम्मू क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं. अगर ऐसी कोई चिंताएं थीं, तो उनमें से किसी ने भी राज्य या केंद्रीय स्तर पर पिछले तीन वर्षों के दौरान इसके बारे में बात क्यों नहीं की.' महबूबा ने कहा कि रसाना दुष्कर्म व हत्या मामले को सीबीआई को नहीं सौंपने, दुष्कर्म समर्थक मंत्रियों को कैबिनेट से हटाने और गुर्जर व बकरवाल समुदाय का उत्पीड़न नहीं करने का आदेश जारी करना मुख्यमंत्री के रूप में उनके कर्तव्य को दर्शाता है.
After expressing concern about freedom of expression in J&K following Shujaat's murder, their MLA, notorious & even punished for his role in the aftermath of the unfortunate Kathua case still threatens journalists belonging to the valley,so what are they going to do about him?6/6
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) June 24, 2018
उन्होंने कहा, 'शुजात (बुखारी) की हत्या के बाद जम्मू एवं कश्मीर में अभिव्यक्ति की आजादी के बारे में चिंता जताने के बाद उनके विधायक अभी भी घाटी के पत्रकारों को धमका रहे हैं. तो अब वे उनके बारे में क्या करेंगे?'
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बता दें कि जम्मू कश्मीर में एक हफ्ते पहले बीजेपी ने पीडीपी सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया, जिससे राज्य में तीन साल पुरानी सरकार गिर गई. महबूबा मुफ्ती के इस्तीफा देने के बाद 20 जून को राज्य में राज्यपाल शासन लागू कर दिया गया था.
(इनपुट : IANS)
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