डेविड वार्नर और विराट कोहली (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
आईपीएल 9 के फाइनल जबरदस्त फ़ॉर्म में चल रही बैंगलोर टीम की टक्कर उस हैदराबाद टीम से है जिसने टूर्नामेंट में खुद को साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। एक तरफ विराट कोहली का जलवा है तो दूसरी तरफ डेविड वॉर्नर का धमाका। दोनों खिलाड़ियों के तेवर और खेल कई मायनों में एक जैसे ही हैं।
विराट लंबे समय से जिस फ़ॉर्म में हैं कोई भी कारनामा उनके लिए छोटा ही दिखाई देता है। दूसरी तरफ खतरनाक वॉर्नर हैं, जिन्होंने अपने दम पर टीम को फाइनल में पहुंचाने में बेहद अहम रोल अदा किया है।
ग्रुप स्तर पर बैंगलोर की टीम का सफर उतार-चढ़ाव भरा भले ही रहा हो, लेकिन अहम मौकों पर इस टीम ने अपना जोरदार दम दिखाया। प्ले-ऑफ में पहुंचने के लिए इस टीम को अपने आखिरी चारों मैच हर हाल में जीतने थे और इस टीम ने ऐसा करते हुए तीसरी बार फाइनल में पहुंचकर अपना लोहा मनवा दिया।
दूसरी तरफ हैदराबाद ने भी फाइनल में अपनी जगह दो शानदार जीत के बाद पक्की की। इस टीम ने पहले दो बार की चैंपियन कोलकाता नाइटराइडर्स को शिकस्त दी तो टूर्नामेंट के एलिमिनेटर में गुजरात लायन्स को 4 विकेट से परास्त कर दिया। कप्तान के अलावा शिखर धवन (16 मैच 473 रन , 4 अर्द्धशतक), युवराज सिंह (9 मैच में 198 रन) और मोजेज़ हेनरिकेज़ (16 मैच 178 रन) ने कई मैचों में अपनी छाप छोड़ी।
बल्लेबाजों के अलावा हैदराबाद के लिए सबसे खास रहा उनके गेंदबाजों का पैनापन। मैच दर मैच इन गेंदबाजों ने अपने प्रदर्शन से सबको प्रभावित किया। भुवनेश्वर कुमार 16 मैचों में 23 विकेट लेकर सबसे आगे हैं। वे गेंदबाज़ों की लिस्ट में सबसे ऊपर हैं। बरिंदर सरां ने 13 मैचों में 13 विकेट लिए तो हेनरिकेज़ ने 16 मैचों में 12 विकेट झटके।
घरेलू मैदान पर फाइनल में बैंगलोर का पलड़ा थोड़ा भारी नज़र आता है। 2009 और 2011 में फाइनल खेलने वाली यह टीम खिताब का बेताबी से इंतजार कर रही है। जबकि वॉर्नर की सनराइजर्स के लिए फाइनल खेलने का यह पहला मौका है, लेकिन हैदराबाद की टीम इस मौके को किसी सूरत में हाथ से नहीं जाने देना चाहती।
विराट लंबे समय से जिस फ़ॉर्म में हैं कोई भी कारनामा उनके लिए छोटा ही दिखाई देता है। दूसरी तरफ खतरनाक वॉर्नर हैं, जिन्होंने अपने दम पर टीम को फाइनल में पहुंचाने में बेहद अहम रोल अदा किया है।
ग्रुप स्तर पर बैंगलोर की टीम का सफर उतार-चढ़ाव भरा भले ही रहा हो, लेकिन अहम मौकों पर इस टीम ने अपना जोरदार दम दिखाया। प्ले-ऑफ में पहुंचने के लिए इस टीम को अपने आखिरी चारों मैच हर हाल में जीतने थे और इस टीम ने ऐसा करते हुए तीसरी बार फाइनल में पहुंचकर अपना लोहा मनवा दिया।
दूसरी तरफ हैदराबाद ने भी फाइनल में अपनी जगह दो शानदार जीत के बाद पक्की की। इस टीम ने पहले दो बार की चैंपियन कोलकाता नाइटराइडर्स को शिकस्त दी तो टूर्नामेंट के एलिमिनेटर में गुजरात लायन्स को 4 विकेट से परास्त कर दिया। कप्तान के अलावा शिखर धवन (16 मैच 473 रन , 4 अर्द्धशतक), युवराज सिंह (9 मैच में 198 रन) और मोजेज़ हेनरिकेज़ (16 मैच 178 रन) ने कई मैचों में अपनी छाप छोड़ी।
बल्लेबाजों के अलावा हैदराबाद के लिए सबसे खास रहा उनके गेंदबाजों का पैनापन। मैच दर मैच इन गेंदबाजों ने अपने प्रदर्शन से सबको प्रभावित किया। भुवनेश्वर कुमार 16 मैचों में 23 विकेट लेकर सबसे आगे हैं। वे गेंदबाज़ों की लिस्ट में सबसे ऊपर हैं। बरिंदर सरां ने 13 मैचों में 13 विकेट लिए तो हेनरिकेज़ ने 16 मैचों में 12 विकेट झटके।
घरेलू मैदान पर फाइनल में बैंगलोर का पलड़ा थोड़ा भारी नज़र आता है। 2009 और 2011 में फाइनल खेलने वाली यह टीम खिताब का बेताबी से इंतजार कर रही है। जबकि वॉर्नर की सनराइजर्स के लिए फाइनल खेलने का यह पहला मौका है, लेकिन हैदराबाद की टीम इस मौके को किसी सूरत में हाथ से नहीं जाने देना चाहती।
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