
ऋषभ पंत की शानदार पारी भी दिल्ली को जीत नहीं दिला पाई (फाइल फोटो)
आईपीएल के तहत बेंगलुरू में खेले गए मुकाबले में रॉयल चैंलेंजर्स बेंगलुरू ने दिल्ली डेयर डेविल्स को 15 रन से हराकर पहली जीत हासिल की. इससे पहले टूर्नामेंट के उद्घाटन मैच में बेंगलुरू को सनराइजर्स के हाथों हार का सामना करना पड़ा था. पहले बैटिंग करते हुए बेंगलुरू ने 20 ओवर्स में महज 157 रन बनाए थे. दिल्ली के गेंदबाजों ने शेन वॉटसन की कप्तानी वाली टीम के क्रिस सहित सभी बल्लेबाजों को बखूबी रोकने का काम किया. आरसीबी का रन औसत 8 रन प्रति ओवर के करीब ही था, ऐसे में दिल्ली की टीम की जीत की उम्मीदें कायम थीं. दुर्भाग्य से गेंदबाजों के मेहनत को दिल्ली को बल्लेबाजों ने जाया कर दिया. ऐसा लगा कि अकेले ऋषभ पंत ही दिल्ली के लिए संघर्ष कर रहे हैं. टीम के दूसरे बल्लेबाजों की ओर से उन्हें सहयोग नहीं मिला. घरेलू क्रिकेट में दिल्ली की ओर से खेलने वाले युवा विकेटकीपर पंत ने टीम को जीत दिलाने की भरसक कोशिश की, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली.पंत का अर्धशतक 33 गेंदों पर तीन चौकों और इतने ही छक्कों से पूरा हुआ. पंत आखिरकार पारी के आखिरी यानी 19वें ओवर में पवन नेगी की गेंद पर बोल्ड हुए. अपनी 57 रन की पारी में उन्होंने 36 गेंदों का सामना किया और तीन चौके और चार छक्के लगाए.
बाएं हाथ के आक्रामक बल्लेबाज ऋषभ पंत की पारी का महत्व इसलिए और बढ़ जाता है कि 4 अप्रैल को ही उनके पिता का असामयिक निधन हुआ है. अंतिम संस्कार के लिए उन्हें टीम का साथ छोड़कर रुड़की जाना पड़ा था. पिता की इस तरह अचानक मौत पंत के लिए बड़ा झटका थी लेकिन बड़े जीवट वाले इस खिलाड़ी ने अपनी मनोस्थिति को बखूबी नियंत्रित किया. पिता का अंतिम संस्कार करके वे वापस लौटे और अपनी टीम के लिए बेहतरीन पारी खेली. टी20 में टीम इंडिया के लिए भी खेल चुके पंत ने अपनी पारी में चार छक्के लगाए जिसमें 140 किमी प्रति घंटे से अधिक की रफ्तार से गेंद फेंकने वाले टाइमल मिल्स की गेंद पर लगाया गया छक्का शामिल था.
ट्रेनिंग के दौरान ऋषभ गुरुद्वारे में रहते थे
अपने क्रिकेट के शौक को परवान चढ़ाने के लिए ऋषभ ने बेहद संघर्ष किया है. उनके पिता राजेंद्र पंत ने कुछ समय पहले एनडीटीवी को बताया था कि ट्रेनिंग के लिए ऋषभ को रुड़की से दिल्ली आना पड़ा था. दिल्ली के सोनेट क्लब के कोच तारक सिन्हा ने क्रिकेटरों के लिए एक कैंप रखा था और इस कैंप में भाग लेने के लिए ऋषभ रुड़की से दिल्ली आए थे. इस दौरान वे गुरुद्वारे में रहते थे और वहीं लंगर खाते थे. कड़ी मेहनत की बदौलत ऋषभ ने दिल्ली की रणजी टीम में जगह बनाई और फिर जूनियर वर्ल्डकप के अपने चमकीले प्रदर्शन की बदौलत टीम इंडिया में भी स्थान बनाने में कामयाब हुए. टी 20 में पंत ने एकमात्र टी20 मैच इंग्लैंड के खिलाफ बेंगलुरू में ही खेला था और वे पांच रन बनाकर नाबाद रहे थे.
बाएं हाथ के आक्रामक बल्लेबाज ऋषभ पंत की पारी का महत्व इसलिए और बढ़ जाता है कि 4 अप्रैल को ही उनके पिता का असामयिक निधन हुआ है. अंतिम संस्कार के लिए उन्हें टीम का साथ छोड़कर रुड़की जाना पड़ा था. पिता की इस तरह अचानक मौत पंत के लिए बड़ा झटका थी लेकिन बड़े जीवट वाले इस खिलाड़ी ने अपनी मनोस्थिति को बखूबी नियंत्रित किया. पिता का अंतिम संस्कार करके वे वापस लौटे और अपनी टीम के लिए बेहतरीन पारी खेली. टी20 में टीम इंडिया के लिए भी खेल चुके पंत ने अपनी पारी में चार छक्के लगाए जिसमें 140 किमी प्रति घंटे से अधिक की रफ्तार से गेंद फेंकने वाले टाइमल मिल्स की गेंद पर लगाया गया छक्का शामिल था.
ट्रेनिंग के दौरान ऋषभ गुरुद्वारे में रहते थे
अपने क्रिकेट के शौक को परवान चढ़ाने के लिए ऋषभ ने बेहद संघर्ष किया है. उनके पिता राजेंद्र पंत ने कुछ समय पहले एनडीटीवी को बताया था कि ट्रेनिंग के लिए ऋषभ को रुड़की से दिल्ली आना पड़ा था. दिल्ली के सोनेट क्लब के कोच तारक सिन्हा ने क्रिकेटरों के लिए एक कैंप रखा था और इस कैंप में भाग लेने के लिए ऋषभ रुड़की से दिल्ली आए थे. इस दौरान वे गुरुद्वारे में रहते थे और वहीं लंगर खाते थे. कड़ी मेहनत की बदौलत ऋषभ ने दिल्ली की रणजी टीम में जगह बनाई और फिर जूनियर वर्ल्डकप के अपने चमकीले प्रदर्शन की बदौलत टीम इंडिया में भी स्थान बनाने में कामयाब हुए. टी 20 में पंत ने एकमात्र टी20 मैच इंग्लैंड के खिलाफ बेंगलुरू में ही खेला था और वे पांच रन बनाकर नाबाद रहे थे.
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