
- जोधपुर के पार्क प्लाजा के जॉफ्रीज बार में शराब के बिल में GST, VAT और 20 प्रतिशत गौ-सेस लगाया जाता है
- यह गौ-सेस 2018 के सरकारी नोटिफिकेशन के तहत शराब पर लागू होता है और खाने पर नहीं लगाया जाता
- गौ-सेस का उद्देश्य राज्य में गौशालाओं को समर्थन देना और गाय संरक्षण को बढ़ावा देना है
Rajasthan News: क्या आपने कभी अपनी बीयर या शराब के बिल में गाय की सेवा के लिए अलग से टैक्स चुकाया है? अगर आप राजस्थान में किसी बार या रेस्टोरेंट में शराब पीते हैं, तो आपको ऐसा करना पड़ सतका है. दरअसल, हाल ही में जोधपुर के एक बार (Jodhpur Bar) का बिल सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसने राजस्थान में शराब पीने वालों को हैरान कर दिया है. इस बिल में शराब पर GST और VAT के अलावा 20% अतिरिक्त गौ-टैक्स (Cow Cess) वसूला गया है. यह वायरल बिल लोगों के बीच बहस का विषय बन गया है.
₹2650 का बिल कैसे बन गया ₹3262?
मामला 30 सितंबर का बताया जा रहा है. जोधपुर के पार्क प्लाजा (Park Plaza) होटल के जॉफ्रीज बार (Geoffreys Bar) में एक ग्राहक ने कुछ अमेरिकन कॉर्न फ्रिटर्स और 6 बीयर ऑर्डर की. कुल बिल ₹2650 बना. लेकिन ग्राहक ने ₹3262 चुकाए. यह भारी भरकम अंतर GST, VAT और सबसे चौंकाने वाली बात 20% गौ-टैक्स के कारण आया. यानी, बीयर पीने वाले ग्राहक को गाय की रक्षा और संरक्षण के लिए भी अपनी जेब ढीली करनी पड़ी. होटल के मैनेजर, निखिल प्रेम ने NDTV से बातचीत में इसकी पुष्टि की. उन्होंने कहा कि यह कोई नई बात नहीं है, बल्कि यह कानूनन अनिवार्य है.
2018 का सरकारी नोटिफिकेशन, अब चर्चा
पार्क प्लाजा के मैनेजर निखिल प्रेम ने बताया कि यह सरकारी नोटिफिकेशन साल 2018 से लागू है. उन्होंने स्पष्ट किया कि यह गौ-टैक्स सिर्फ बीयर और शराब की बिक्री पर लिया जाता है, खाने पर नहीं. यह टैक्स 20% VAT का भी 20% होता है, जो कुल मिलाकर ग्राहकों के लिए लगभग 24% अतिरिक्त हो जाता है. मैनेजर ने कहा- "हम इस पैसे को ऑनलाइन सरकारी पोर्टल पर 'गौ संरक्षण और संवर्धन उपकर' के रूप में जमा कराते हैं. कई होटल इसे सिर्फ 'सरचार्ज' लिखकर छोड़ देते हैं, लेकिन हमने इसे बिल में 'गौ-सेस' के रूप में स्पष्ट रूप से लिखा."
क्या कहता है वित्त विभाग? 'वैल्यू एडिशन' पर लगता है सेस
राजस्थान के राजस्व प्रभारी वित्त सचिव कुमार पाल गौतम ने भी इसकी पुष्टि की. उन्होंने बताया कि गौ-सेस एक सरचार्ज के रूप में लिया जाता है, जब भी किसी बिल पर वेल्यू एडिशन होती है. आसान शब्दों में कहें तो जब कोई रेस्टोरेंट या बार शराब की बोतल को ग्राहक की टेबल तक पहुंचाकर और उसे परोसकर अतिरिक्त शुल्क लेता है, तो उस अतिरिक्त शुल्क (VAT) पर भी यह गौ-सेस लगाया जाता है.
वसुंधरा राजे सरकार ने शुरू किया, कांग्रेस ने जारी रखा
गौ-सेस की शुरुआत पहली बार 2017 में वसुंधरा राजे सरकार के कार्यकाल में हुई थी, जब स्टाम्प ड्यूटी पर 10% सरचार्ज लगाकर गौ-टैक्स शुरू किया गया था. 22 जून 2018 को, वसुंधरा राजे सरकार ने ही विदेशी शराब, भारतीय निर्मित विदेशी शराब (IMFL) और देशी शराब पर 20% सरचार्ज लगाने का नोटिफिकेशन जारी किया था. इसका उद्देश्य गौशालाओं को समर्थन देना और राज्य में गाय संरक्षण को बढ़ावा देना था, जो बीजेपी के लिए एक राजनीतिक प्रतीक भी है. दिलचस्प बात यह है कि इसके बाद राजस्थान में आई कांग्रेस सरकारों ने भी इस 'गौ-टैक्स' को जारी रखा.
गौ-संरक्षण पर 200 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च
राज्य सरकार गौ-संरक्षण पर ₹2000 करोड़ से ज्यादा खर्च करती है, जिसमें से ₹600 करोड़ सिर्फ गौशालाओं के अनुदान के लिए है. वित्त मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि गौ-सेस से मिले पैसे के अलावा, इस पूरे फंड को पूरा करने के लिए सरकारी अनुदान की भी जरूरत होती है. जाहिर है, अब राजस्थान में शराब पीना थोड़ा महंगा हो सकता है, लेकिन कम से कम आपकी जेब से निकला यह पैसा 'पवित्र गाय' की मदद तो कर ही रहा है.
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