अमेरिकी वीजा पाने के लिए भारतीयों को करना पड़ रहा 500 दिनों तक इंतजार, यूएस एंबेसी ने बताई वजह

विदेश विभाग ने कहा कि विदेशों में कांसुलर अनुभाग आवेदक की इंटरव्यू तारीख में तेजी ला सकते हैं, "यदि कोई तत्काल, अप्रत्याशित स्थिति जैसे कि अंतिम संस्कार, चिकित्सा आपातकाल, या स्कूल की शुरुआत की तारीख है."

नई दिल्ली:

अमेरिका की यात्रा (US Visa) करने की योजना बना रहे लोगों को एक बड़ा झटका लगा है, क्योंकि उन्हें विजिटर वीजा मिलने के लिए 2024 तक इंतजार करना होगा. NDTV ने अमेरिकी विदेश विभाग (US State Department)की वेबसाइट चेक किया तो पाया कि औसत वेटिंग टाइम लगभग डेढ़ साल था, जिसका मतलब है कि अभी आवेदन करने की योजना बनाने वालों को मार्च-अप्रैल 2024 के लिए अप्वाइंटमेंट मिलेगी. वेबसाइट बताती है कि नई दिल्ली के अमेरिकी वाणिज्य दूतावास में वीजा अप्वाइंटमेंट के लिए विजिटरों के लिए इंतजार का औसत समय 522 दिन और स्टूडेंट वीजा के लिए 471 दिन है.

वेबसाइट के अनुसार, यदि स्थान को बदलकर मुंबई कर दिया जाता है, तो यूएस वीजा अप्वाइंटमेंट के लिए औसत वेटिंग टाइम विजिटर वीजा के लिए 517 दिन और छात्र वीजा के लिए 10 दिन है. अन्य सभी गैर-आप्रवासी वीजा के लिए प्रतीक्षा समय दिल्ली में 198 दिन और मुंबई में 72 दिन है.

चेन्नई के मामले में, आगंतुक वीजा के लिए प्रतीक्षा समय 557 दिन और अन्य सभी गैर-आप्रवासी वीजा के लिए 185 दिन है. स्टेट डिपार्टमेंट की वेबसाइट के मुताबिक, हैदराबाद से आवेदन करने वालों को विजिटर वीजा पाने के लिए 518 दिनों तक इंतजार करना होगा.

वेबसाइट का वीजा पेज कहता है, "अमेरिकी दूतावास या वाणिज्य दूतावास में इंटरव्यू अप्वाइंटमेंट हासिल करने के लिए अनुमानित वेटिंग टाइम साप्ताहिक बदल सकता है और वास्तविक आने वाले कार्यभार और कर्मचारियों पर आधारित है. ये केवल अनुमान है और इंटरव्यू की उपलब्धता की गारंटी नहीं देते हैं."

देरी के बारे में रिपोर्टों पर प्रतिक्रिया देते हुए, अमेरिकी दूतावास ने कहा कि विदेश विभाग अप्रवासी और गैर-आप्रवासी यात्रियों दोनों के लिए अमेरिका की वैध यात्रा की सुविधा के लिए प्रतिबद्ध है. दूतावास के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा "अमेरिकी सरकार नए कर्मचारियों को ऑनबोर्डिंग और प्रशिक्षण सहित महामारी में कम किए गए कांसुलर स्टाफिंग गैप को कम कर, वेटिंग टाइम और बैकलॉग को कम करने के लिए कदम उठा रही है. राज्य विभाग ने पिछले साल की तुलना में इस वित्तीय वर्ष में अमेरिकी अधिकारियों की कांसुलर हायरिंग को दोगुना कर दिया है और नए प्रशिक्षित कर्मचारी भारत सहित विदेशी कांसुलर एडजुडिकेटर पदों पर भरे जा रहे हैं."

बयान में कहा गया, "कोविड-19 महामारी के दौरान लगभग पूर्ण रूप से बंद और संसाधनों के फ्रीज होने के बाद वीजा प्रोसेस फिर से शुरू हो रहा है. इसलिए अमेरिकी सरकार राष्ट्र हित और दूसरी बार जाने वालों को प्राथमिकता दे रही है (उन आवेदकों के लिए जिनके पास पहले से ही यूएस वीजा है), जिसका अर्थ यह हो सकता है कि अपने पहले विजिटर वीजा के लिए आवेदन करने वाले कुछ यात्रियों को ज्यादा समय तक प्रतीक्षा करनी पड़ रही है."

इस बीच, विदेश विभाग ने कहा कि विदेशों में कांसुलर अनुभाग आवेदक की इंटरव्यू तारीख में तेजी ला सकते हैं, "यदि कोई तत्काल, अप्रत्याशित स्थिति जैसे कि अंतिम संस्कार, चिकित्सा आपातकाल, या स्कूल की शुरुआत की तारीख है."

वीजा सुविधा देने वाली एजेंसी वीएफएस ग्लोबल ने कहा कि भारत में वीजा आवेदन की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है और इस पर अंतिम निर्णय संबंधित दूतावासों के पास है. वीएफएस ग्लोबल के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा "वीएफएस ग्लोबल ने संबंधित दूतावासों को भेजने के लिए एक दिन के प्रोसेस के अपने मानक टर्न-अराउंड-टाइम को बनाए रखा है. वीजा आवेदनों पर निर्णय, और उन्हें प्रोसेस करने की समय-सीमा, संबंधित दूतावासों/वाणिज्य दूतावासों के विवेक पर है."

इससे पहले, कुछ रिपोर्टों में कहा गया था कि शेंगेन राज्यों, कनाडा और यूके के लिए भी वीजा प्रोसेस में अधिक समय लग रहा है.

कनाडा के अधिकारियों द्वारा वीजा की मंजूरी में देरी से भी कई लोग चिंतित हैं, खासकर पंजाब में. नीतू यादव, जिनके भाई ने कनाडा के एक विश्वविद्यालय में प्रवेश के लिए आवेदन किया था, उन्होंने NDTV को बताया कि शैक्षणिक सत्र सितंबर में शुरू होता है, लेकिन अभी तक वीजा की स्थिति पर कोई अपडेट नहीं है.

उन्होंने कहा, "मेरे भाई ने अगले महीने से शुरू होने वाले पाठ्यक्रम के लिए छात्र वीजा के लिए आवेदन किया था और हमारे पास अभी तक वीजा नहीं है, और यह कोई मौखिक नहीं है कि इसे स्वीकार या अस्वीकार कर दिया गया है. यहां तक ​​​​कि अगर हम एडमिशन को स्थगित भी कर देते हैं, तो कोई गारंटी नहीं है कि मेरे भाई को अगले सत्र में जगह मिलेगी."

सिटिजनशिप और इमिग्रेशन पर स्थायी समिति की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में भारत से स्टडी परमिट के 41 प्रतिशत आवेदनों को रिजेक्ट कर दिया गया था.

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कनाडा में अब तक 2.4 मिलियन से अधिक इमिग्रेशन एप्लिकेशन का बैकलॉग है. कनाडा के इमिग्रेशन मिनिस्टर सीन फ्रेजर ने बयानों में आश्वासन दिया है कि वे इन बैकलॉग मामलों को दूर करने के लिए नए लोगों को काम पर रख रहे हैं. कनाडा सरकार ने भी कहा है कि भारतीय छात्रों के साथ कोई भेदभाव नहीं है.