
President Candidate 2022 : आज दिल्ली में विपक्षी दलों की बैठक में सर्वसम्मति से ये फैसला लिया गया कि राष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) होंगे. यानि अब राष्ट्रपति पद के लिए अगले महीने होने वाले चुनाव में एनडीए के उम्मीदवार को यशवंत सिन्हा टक्कर देंगे. इससे पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री और तृणमूल कांग्रेस (TMC) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष यशवंत सिन्हा ने पार्टी से इस्तीफा भी दे दिया है. एक सोशल मीडिया पोस्ट में उन्होंने इस बात के संकेत दिए थे कि वे राष्ट्रपति चुनाव की रेस में शामिल होने के लिए तैयार हैं।यशवंत सिन्हा का जन्म 6 नवंबर 1937 को पटना में हुआ था. यशवंत सिन्हा की शिक्षा-दिक्षा पटना में हुई थी. 1960 में वे भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल हुए और अपने कार्यकाल के दौरान कई महत्त्वपूर्ण पदों पर रहते हुए उन्होंने प्रशासनिक सेवा में 24 से अधिक साल बिताए. 4 सालो तक उन्होंने सब-डिवीजनल मजिस्ट्रेट और जिला मजिस्ट्रेट के रूप में कार्य किया.
राजनीतिक करियर
यशवंत सिन्हा ने 1984 में भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा दे दिया और जनता पार्टी के सदस्य के रूप में सक्रिय राजनीति से जुड़ गए. 1986 में वह जनता पार्टी के अखिल भारतीय महासचिव बनाए गए. 1988 में उन्हें राज्यसभा का सदस्य चुना गया.
1989 में जनता दल के गठन के बाद उनको पार्टी का महासचिव नियुक्त किया गया. उन्होंने चन्द्रशेखर के मंत्रिमंडल में नवंबर 1990 से जून 1991 तक वित्तमंत्री के रूप में कार्य किया.
भाजपा
जून 1996 में वह भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता बने. मार्च 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में उनको वित्त मंत्री नियुक्त किया गया. उसके बाद 1 जुलाई, 2002 से लेकर 22 मई 2004 तक संसदीय चुनावों के बाद नई सरकार के गठन तक वे विदेश मंत्री रहे. उन्होंने लोक सभा में झारखंड के हजारीबाग निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया. लेकिन 2004 के चुनाव में यशवंत सिन्हा हजारीबाग सीट से चुनाव हार गए. 13 जून 2009 को उन्होंने भाजपा के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया. 2018 में उन्होंने भाजपा छोड़ दी.
तृणमूल कांग्रेस
2021 में वे तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए. और तब से वे पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बने रहे. आज जब उन्हें राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया गया है तो उन्होंने तृणमूल कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया.
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