ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल का सफल परीक्षण
नई दिल्ली:
राजस्थान के पोखरन परीक्षण रेंज से गुरुवार सुबह ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया है, यह जानकारी समाचार एजेंसी एएनआई ने दी है. इस मिसाइल की गति ध्वनि की गति से 2.8 गुना ज़्यादा (Mach 2.8) है, और इसकी रेंज 290 किलोमीटर है.
भारत-रूस द्वारा मिलकर बनाई गई ब्रह्मोस मिसाइल की रेंज को अब 400 किलोमीटर तक बढ़ाया जा सकता है, क्योंकि वर्ष 2016 में भारत के मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम (MTCR) का पूर्ण सदस्य बन जाने के चलते उस पर लागू होने वाली कुछ तकनीकी पाबंदियां हट गई है.
ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइलों को 40 सुखोई युद्धक विमानों में जोड़ने का काम जारी है, और माना जा रहा है कि क्षेत्र में नए उभरते सुरक्षा परिदृश्य में इस कदम से भारतीय वायुसेना की ज़रूरतें पूरी हो जाएंगी.
ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल वर्ष 2006 से ही भारतीय नौसेना तथा थलसेना का हिस्सा बनी हुई हैं, लेकिन यह संस्करण ज़्यादा कारगर है, क्योंकि धीमी गति से चलने वाले युद्धक पोतों के स्थान पर इसे तेज़ गति से उड़ने वाले सुखोई से दागा जा सकता है, जो लक्ष्य की ओर 1,500 किलोमीटर तक उड़ने के बाद मिसाइल दाग सकता है, और फिर लक्ष्य तक बकाया 400 किलोमीटर मिसाइल खुद तय करती है.
ब्रह्मोस मिसाइल के बाद भारत की वो विनाशकारी मिसाइलें जिनका दुनिया मानती है लोहा
सुखोई, यानी Su-30 और ब्रह्मोस मिसाइलों का यह गठजोड़ हो जाने का अर्थ है कि अब भारतीय वायुसेना किसी भी लक्ष्य को मिनटों में ध्वस्त कर सकती है, जबकि युद्धक पोत से दागे जाने के लिए पहले पोत को लक्ष्य की दिशा में समुद्र में काफी आगे बढ़ना होता था, जिसमें काफी समय लगता है.
ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल को भारत और रूस ने मिलकर विकसित किया है, और इसका नाम दो नदियों ब्रह्मपुत्र तथा मोस्क्वा को जोड़कर बनाया गया है.
भारत ने बना डाला विश्व रिकॉर्ड, सुखोई से भी ब्रह्मोस मिसाइल का परीक्षण सफल
दुनिया की सबसे तेज़ सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल ब्रह्मोस के हवा से लॉन्च किए जाने वाले संस्करण का सुखोई-30 लड़ाकू विमान से सफल परीक्षण 22 नवंबर को किया गया था. इस परियोजना के 2020 तक पूरा हो जाने की उम्मीद है.
VIDEO: बड़ी खबर : सुखोई से ब्रह्मोस का सफल परीक्षण
भारत-रूस द्वारा मिलकर बनाई गई ब्रह्मोस मिसाइल की रेंज को अब 400 किलोमीटर तक बढ़ाया जा सकता है, क्योंकि वर्ष 2016 में भारत के मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम (MTCR) का पूर्ण सदस्य बन जाने के चलते उस पर लागू होने वाली कुछ तकनीकी पाबंदियां हट गई है.
ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइलों को 40 सुखोई युद्धक विमानों में जोड़ने का काम जारी है, और माना जा रहा है कि क्षेत्र में नए उभरते सुरक्षा परिदृश्य में इस कदम से भारतीय वायुसेना की ज़रूरतें पूरी हो जाएंगी.
ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल वर्ष 2006 से ही भारतीय नौसेना तथा थलसेना का हिस्सा बनी हुई हैं, लेकिन यह संस्करण ज़्यादा कारगर है, क्योंकि धीमी गति से चलने वाले युद्धक पोतों के स्थान पर इसे तेज़ गति से उड़ने वाले सुखोई से दागा जा सकता है, जो लक्ष्य की ओर 1,500 किलोमीटर तक उड़ने के बाद मिसाइल दाग सकता है, और फिर लक्ष्य तक बकाया 400 किलोमीटर मिसाइल खुद तय करती है.
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सुखोई, यानी Su-30 और ब्रह्मोस मिसाइलों का यह गठजोड़ हो जाने का अर्थ है कि अब भारतीय वायुसेना किसी भी लक्ष्य को मिनटों में ध्वस्त कर सकती है, जबकि युद्धक पोत से दागे जाने के लिए पहले पोत को लक्ष्य की दिशा में समुद्र में काफी आगे बढ़ना होता था, जिसमें काफी समय लगता है.
ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल को भारत और रूस ने मिलकर विकसित किया है, और इसका नाम दो नदियों ब्रह्मपुत्र तथा मोस्क्वा को जोड़कर बनाया गया है.
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दुनिया की सबसे तेज़ सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल ब्रह्मोस के हवा से लॉन्च किए जाने वाले संस्करण का सुखोई-30 लड़ाकू विमान से सफल परीक्षण 22 नवंबर को किया गया था. इस परियोजना के 2020 तक पूरा हो जाने की उम्मीद है.
VIDEO: बड़ी खबर : सुखोई से ब्रह्मोस का सफल परीक्षण
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