
BrahMos Missile: ऑपरेशन सिंदूर से भारत ने पाकिस्तान को ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया को एक बारर फिर अपनी ताकत दिखा दी. पाकिस्तान और PoK में बने आतंकी ठिकानों को चुन-चुनकर ध्वस्त किया. इस दौरान भारत की अन्य मिसाइल सिस्टम के साथ ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल सिस्टम को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बना दिया है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने सार्वजनिक मंच से कबूल किया है कि भारतीय वायुसेना की ब्रह्मोस मिसाइलों ने पाकिस्तानी ठिकानों पर हमला किया है, जिसने उस बात पर आधिकारिक मुहर लगा दी है जो कई लोग पहले से ही जानते थे. एक बार फिर ये साबित हो गया कि ब्रह्मोस भारत के हवाई हमले की रीढ़ है, जिसमें थल सेना और नौसेना की ब्रह्मोस यूनिट ऑपरेशन के आगे बढ़ने पर हमला करने के लिए तैयार थीं.
सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल
ब्रह्मोस, भारत और रूस द्वारा संयुक्त रूप से विकसित, लेकिन भारत में विशेष रूप से निर्मित एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है. ये मिसाइल ध्वनि की गति से तीन गुना अधिक गति से दुश्मन की ओर हमला करने के लिए उड़ान भरती है और 400 किलोमीटर दूर तक टारगेट को ध्वस्त कर सकती है. तमिलनाडु स्थित स्क्वाड्रन से भारतीय वायुसेना के सुखोई-30 (IAF Su-30MKI) लड़ाकू विमानों से दागे गए वर्जन ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत के हवाई हमले में सबसे आगे रहकर काम किया. इस बीच भारतीय सेना की ब्रह्मोस लॉन्च यूनिट को हाई अलर्ट पर रखा गया था. वहीं, मिसाइल से लैस भारतीय नौसेना के युद्धपोतों को बढ़ते तनाव के दौरान कार्रवाई के लिए तैयार रखा गया था.

ब्रह्मोस को लेकर भारत का ये है प्लान-5
- ब्रह्मोस के 800 किलोमीटर की मारक क्षमता वाला एक एक्सटेंडेड-रेंज वर्जन पाइपलाइन में है.
- पनडुब्बी से दागे जाने वाले ब्रह्मोस मिसाइल के वर्जन का जल्द ही फिर से परीक्षण किया जाएगा और भारत के P75I कार्यक्रम में पनडुब्बियों पर यह एक रियालिटी बन जाएगा.
- राफेल और अन्य लड़ाकू विमानों के लिए एक छोटी और हल्की ब्रह्मोस मिसाइल विकसित की जाएगी.
- एक हाइपरसोनिक ब्रह्मोस पर भी काम चल रहा है, जो इसकी स्पीड को एक अगले ही लेवल पर ले जाएगी.
- रणनीतिक मोर्चे पर ब्रह्मोस मिसाइल का एक्सपोर्ट शुरू हो चुका है. ब्रह्मोस खरीदने के लिए फिलीपींस ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, और वियतनाम कथित तौर पर लाइन में है. कई अन्य दक्षिण-पूर्व एशियाई और मध्य पूर्वी देशों ने भी ब्रह्मोस में रुचि दिखाई है. फिलीपींस में ब्रह्मोस की टीम के साथ दूसरे फिलीपींस ऑर्डर की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता है.

चीनी एयर डिफेंस सिस्टम के बावजूद ब्रह्मोस मिसाइलों को रोकने में नाकामी ने भारत के बढ़ते मिसाइल सिस्टम का मुकाबला करने की पाकिस्तान की क्षमता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. यह पहली बार नहीं है, जब ब्रह्मोस ने पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र में प्रवेश किया है. साल 2022 में एक एक्सीडेंटल फायरिंग ने पहले ही इसकी पहुंच और क्षमता का संकेत दे दिया था.
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