मशाल चुनाव चिन्ह मिलने से जोश में हैं उद्धव गुट के कार्यकर्ता, कहा- इससे गद्दारों का करेंगे 'दहन'

कार्यकर्ताओं ने कहा कि मशाल अंधेरे को भी दूर करती है. इस मशाल ने हममें जोश भर दिया है. जो गद्दारी करके गए हैं, उनका इस मशाल के जरिए दहन होगा.

मुंबई:

चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र में दो गुटों में बंटे शिवसेना को नया नाम और चुनाव चिन्ह दिया है. उद्धव ठाकरे धड़े को अब शिवसेना उद्धव बाला साहेब ठाकरे के नाम से जाना जाएगा. वहीं मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को बाला साहेब की शिवसेना कहा जाएगा. साथ ही चुनाव आयोग ने उद्धव गुट को नया पार्टी चिन्ह मशाल दिया है, जिस पर पार्टी कार्यकर्ताओं ने खुशी जताई है. उन्होंने कहा कि मशाल के जरिए गद्दार शिंदे सरकार को भगाएंगे और अंधेरी पूर्व विधानसभा सीट पर जीत के साथ इसकी शुरुआत होगी.

'शिवसेना उद्धव बाला साहेब ठाकरे' गुट को जलती मशाल चुनाव चिन्ह मिलने से उद्धव गुट के शिव सैनिक उत्साहित हैं. मशाल और शिवसेना का पुराना नाता रहा है. मशाल संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन का प्रतीक थी. उद्धव गुट के कार्यकर्ताओं ने कहा कि मशाल अंधेरे को भी दूर करती है. इस मशाल ने हममें जोश भर दिया है. उन्होंने कहा कि जो गद्दारी कर के गए हैं, उनका इस मशाल के जरिए दहन होगा.

बता दें कि शिंदे धड़े को अभी तक पार्टी का चुनाव चिह्न आवंटित नहीं किया गया है, क्योंकि चुनाव आयोग ने पार्टी से तीन नए विकल्प देने को कहा है. इससे पहले, शिंदे गुट द्वारा प्रस्तावित गदा और त्रिशूल को चुनाव आयोग ने खारिज कर दिया था, क्योंकि वे धार्मिक प्रतीक थे.

इससे पहले उद्धव ठाकरे ने प्रतिद्वंद्वी गुटों के बीच टकराव के बीच शिवसेना के प्रतीक और नाम पर चुनाव आयोग की रोक को चुनौती दी थी. महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री ने शनिवार के आदेश के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह बिना किसी सुनवाई के फ्रीज कर दिया गया है, जो "प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ" है.

चुनाव आयोग ने ठाकरे और प्रतिद्वंद्वी एकनाथ शिंदे गुट को मुंबई के अंधेरी पूर्व निर्वाचन क्षेत्र में 3 नवंबर को होने वाले उपचुनाव के लिए नए नाम और प्रतीकों को चुनने के लिए कहा था.

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शिवसेना के चिन्ह को लेकर टीम उद्धव और टीम शिंदे के बीच बीते कई महीनों से आपसी खींचतान चल रही थी. उद्धव ठाकरे जहां इसे अपने पिता की पार्टी बताकर इस पर अपना दावा कर रहे थे. वहीं सीएम शिंदे का कहना था कि लोकतंत्र में पार्टी उसी की होती है जिसके पास बहुमत होता है और फिलहाल बहुमत का आंकड़ा हमारे पास है. लेकिन अब चुनाव आयोग के इस ऐलान के बाद दोनों ही पक्ष पार्टी के नाम और चिन्ह के इस्तेमाल से वंचित कर दिए गए हैं.