महिला आरक्षण बिल विपक्षी गठबंधन INDIA के लिए बन सकता है चुनौती
मोदी कैबिनेट ने महिला आरक्षण बिल को मंजूरी दे दी है. अब इस बिल को लोकसभा और राज्यसभा में पेश किया जाएगा. यह बिल विपक्षी गठबंधन INDIA की एकता की परीक्षा साबित हो सकता है. दरअसल इस बिल को लेकर गुट में शामिल दलों की कभी आमराय नहीं रही है.
महिला आरक्षण बिल को सोमवार से शुरू हुए संसद के विशेष सत्र में पेश किया जाएगा. बीजेपी ने अपनी सभी महिला लोकसभा सासंदों से बिल पर विचार और मतदान के दौरान सदन में मौजूद रहने के लिए कहा है.
महिला आरक्षण बिल विपक्षी गठबंधन INDIA के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है.यह बिल विपक्षी गठबंधन के भीतर की दरारों को उजागर कर सकता है. आरजेडी और सपा इस बिल पर विरोध जता सकती है
एक तरफ कांग्रेस और वामपंथी दल इस बिल का समर्थन में हैं तो वहीं लालू यादव की आरजेडी और अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी जैसे प्रमुख दल हमेशा से इसके मौजूदा स्वरूप का विरोध करते रहे हैं.
आरजेडी और सपा 33 प्रतिशत कोटे के भीतर पिछड़े वर्ग की महिलाओं के लिए कोटा की मांग को लेकर विधेयक का जमकर विरोध करती रही है.
महिला आरक्षण बिल पर 1997 में सपा नेता शरद यादव ने विरोध जताते हुए कहा था कि इस बिल से सिर्फ पर कटी औरतों को ही फायदा पहुंचेगा. ऐसी महिलाएं हमारा प्रतिनिधित्व कैसे करेंगी.
यूपीए सरकार के समय में आरजेडी, समाजवादी पार्टी और मायावती की बहुजन समाज पार्टी ने भी महिला आरक्षण बिल के तत्कालिक स्वरूप का विरोध किया था. हालांकि बीएसपी अभी गठबंधन का हिस्सा नहीं है.
नीतीश कुमार की जेडीयू ने पहले इस बिल का विरोध किया था. उन्होंने कहा था कि बिल की कॉपी लेने के बाद ही वह इस पर कुछ कहेंगे. हालांकि अब केसी त्यागी ने कहा है कि जेडीयू इस बिल का समर्थन करेगी.
यूपीए सरकार में जब महिला आरक्षण बिल पेश हुआ था तो उस समय जमबर बवाल हुआ था. आरजेडी सांसदों के हंगामे के बाद उको सदन से बाहर करने के लिए मार्शल बुलवाए गए थे.
कांग्रेस इस बिल के समर्थन में है. संसदीय दल की चीफ सोनिया गांधी ने महिला आरक्षण बिल का क्रेडिट लेते हुए कहा है कि यह हमारा अपना बिल है.
27 साल पहले एचडी देवेगौड़ा के नेतृत्व वाली सरकार में महिला आरक्षण बिल पेश किया था.अब यह विधेयक पांचवीं बार संसद में पेश किया जाएगा.