सफदरजंग अस्पताल द्वारा एक गर्भवती महिला को भर्ती करने से कथित तौर पर इनकार करने के बाद उसने अस्पताल के आपातकालीन विभाग के बाहर बच्चे को जन्म दिया. मामला सामने आने के बाद केंद्र संचालित अस्पताल ने जांच पूरी होने तक तीन डॉक्टरों की ड्यूटी पर रोक लगा दी और पांच अन्य को कारण बताओ नोटिस जारी किया. अधिकारियों के अनुसार, बच्चे को जन्म देने वाली महिला का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया के निर्देश पर यह कार्रवाई की गई. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि मामले में सफदरजंग अस्पताल से रिपोर्ट मांगी गई है.
सूत्रों ने बताया कि सफदरजंग अस्पताल ने घटना की जांच शुरू कर दी है. देश के सबसे बड़े सरकारी अस्पतालों में शामिल सफदरजंग अस्पताल आरोप से इनकार करते हुए कहा कि उसकी नीति है कि किसी मरीज को भर्ती करने से मना नहीं किया जाता और महिला को अस्पताल में भर्ती के कागजात दिए गए थे लेकिन वह उन्हें लेकर लौटी नहीं. वीडियो में कुछ महिलाएं प्रसव के दौरान गर्भवती महिला को साड़ी की आड़ में लेकर उसके चारों ओर खड़ी दिख रही हैं. मौके पर कुछ नर्स भी नजर आ रही हैं. महिला के परिजनों का आरोप है कि सोमवार को अस्पताल ने उसे भर्ती नहीं किया और उसने आपातकालीन विभाग के बाहर रात बिताई.
अस्पताल ने एक बयान में कहा कि 21 वर्षीय महिला को 18 जुलाई को दादरी से ‘रेफर' किया गया था. बयान में कहा गया कि जैसा कि सफदरजंग अस्पताल में किसी मरीज को मना करने की नीति नहीं है, उसी दिन शाम पौने छह बजे ड्यूटी पर तैनात सीनियर रेजिडेंट द्वारा महिला की जांच की गई और महिला की स्थिति 33 सप्ताह छह दिन की गर्भावस्था की पाई गई. मरीज को भर्ती करने की पेशकश की गई थी, लेकिन वह भर्ती कागजात के साथ वापस नहीं आई. अगले दिन सीनियर रेजिडेंट को सुबह गायनी रिसीविंग रूम (जीआरआर) ड्यूटी पर सूचित किया गया कि एक मरीज का बाहर प्रसव हो रहा है. अस्पताल ने कहा कि जीआरआर से तुरंत एक टीम भेजी गई और प्रसव के दौरान मरीज का ख्याल रखा गया.
अस्पताल ने कहा, ‘‘मरीज वर्तमान में एलआर-दो में भर्ती है और जन्म के समय 1.4 किलोग्राम वजन होने के कारण शिशु को नर्सरी-9 में भर्ती कराया गया है. जच्चा-बच्चा दोनों की हालत स्थिर है. गायनी रिसीविंग रूम में चौबीसों घंटे दो सीनियर रेजिडेंट समेत छह डॉक्टर रहते हैं.'' बाद में, अस्पताल के अधिकारियों ने दो वरिष्ठ रेजिडेंट डॉक्टरों और एक जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर को जांच पूरी होने तक ड्यूटी से रोक दिया. अस्पताल ने पांच डॉक्टरों - प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग में एक प्रोफेसर, मुख्य चिकित्सा अधिकारी, पीजी तृतीय वर्ष के डॉक्टर, पीजी प्रथम वर्ष के डॉक्टर और एक इंटर्न को कारण बताओ नोटिस जारी कर उन्हें इस बारे में स्पष्टीकरण देने के लिए कहा है कि उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए.
नोटिस में कहा गया, ‘‘प्रशासन द्वारा मामले को गंभीरता से लिया गया है. आपको यह कारण बताओ नोटिस प्राप्त होने के 24 घंटे के भीतर अपना स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया जाता है कि आपके खिलाफ आवश्यक अनुशासनात्मक कार्रवाई क्यों नहीं की जाए.'' पुलिस उपायुक्त (दक्षिण-पश्चिम) मनोज सी ने कहा कि गाजियाबाद की खेड़ा निवासी महिला को सफदरजंग अस्पताल ले जाया गया था क्योंकि वह बच्चे को जन्म देने वाली थी.
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उन्होंने बताया, ‘‘आरोपों के अनुसार महिला को अस्पताल में भर्ती नहीं किया गया और उसने अस्पताल परिसर में एक बच्ची को जन्म दिया. अब, महिला और उसकी बच्ची को अस्पताल में भर्ती कराया गया है और दोनों ठीक हैं. उनका इलाज स्त्री रोग विभाग में एक वरिष्ठ डॉक्टर की निगरानी में किया जा रहा है.'' पुलिस उपायुक्त ने कहा, ‘‘हमें अभी तक (अस्पताल के खिलाफ) कोई शिकायत नहीं मिली है.'' दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) ने भी अस्पताल को नोटिस जारी कर मामले में 25 जुलाई तक की गई कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी है.
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