संसद का शीतकालीन सत्र बुधवार से, महंगाई-बेरोजगारी के मुद्दे पर सरकार को घेरने की तैयारी में विपक्ष

संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान सरकार की कोशिश एक दर्जन से अधिक विधेयक पारित कराने एवे अनुदान की अनुपूरक मांगों को पारित कराने पर रहेगी.

संसद का शीतकालीन सत्र बुधवार से, महंगाई-बेरोजगारी के मुद्दे पर सरकार को घेरने की तैयारी में विपक्ष

नई दिल्ली:

संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान सरकार की कोशिश एक दर्जन से अधिक विधेयक पारित कराने एवे अनुदान की अनुपूरक मांगों को पारित कराने पर रहेगी. हालांकि, विपक्षी दलों ने महंगाई, बेरोजगारी, किसानों की समस्या, पुरानी पेंशन योजना बहाल करने, जांच एजेंसियों के कथित दुरुपयोग, चीन से लगी सीमा पर स्थिति, केंद्र राज्य संबंध जैसे मुद्दों पर सरकार को घेरने की तैयारी की है. बुधवार से शुरू हो रहे सत्र के दूसरे दिन आठ दिसंबर को हिमाचल प्रदेश और गुजरात विधानसभा चुनाव के परिणाम भी सामने आएंगे. ऐसे में शीतकालीन सत्र पर इन दोनों राज्यों के चुनाव परिणाम की छाया भी देखने को मिलेगी.

शीतकालीन सत्र में विपक्षी दलों द्वारा उठाये जाने वाले कई मुद्दों में प्रमुख मुद्दा पूर्वी लद्दाख में चीन से लगी सीमा की स्थिति और जांच एजेंसियों के कथित दुरूपयोग का विषय है और इन मुद्दों पर सदन में टकराव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है. राहुल गांधी और कांग्रेस के कई नेता ‘भारत जोड़ो' यात्रा में शामिल हैं, ऐसे में उनके सत्र में हिस्सा लेने की संभावना नहीं दिखायी देती है.

संसद सत्र से पहले सरकार ने सोमवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई जिसमें कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक, बीजद, आप सहित 31 दलों के सदन के नेताओं ने हिस्सा लिया. बैठक में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी भी मौजूद थे. सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता करते हुए रक्षा मंत्री एवं लोकसभा के उपनेता राजनाथ सिंह ने सदन के सुचारू कामकाज संचालित होने के लिये सभी दलों का सहयोग मांगा.

बैठक के बाद लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने स्पष्ट कर दिया कि ‘‘ देश में आज मुद्दे ही मुद्दे हैं और विपक्ष सदन में चर्चा और सिर्फ चर्चा करना चाहता है. ऐसे में चर्चा के लिये पर्याप्त समय देकर सरकार को सदन में कामकाज का माहौल तैयार करना चाहिए.'' चौधरी ने कहा, ‘‘ हम मांग करेंगे कि बहु-राज्यीय सहकारी समितियां (संशोधन) विधेयक, 2022 और वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक को संसद की स्थायी समिति को भेजा जाए. ''

दूसरी ओर सरकार की ओर से संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि सरकार ने विभिन्न दलों के सदन के नेताओं के साथ सत्र में उठाये जाने वाले विषयों के बारे में विस्तृत चर्चा की और उन्हें प्रारंभ में ही बता दिया कि लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति की अनुमति से नियमों के तहत उनके उठाये मुद्दों पर चर्चा कराने को सत्ता पक्ष तैयार है. बैठक के दौरान जोशी ने सत्र के दौरान सरकार के विधायी कामकाज का ब्यौरा रखा और विधेयक पारित कराने में विपक्ष का सहयोग मांगा .

बैठक में कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने जांच एजेंसियों के कथित दुरूपयोग का मुद्दा उठाया और आम आदमी पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी एवं कुछ और दलों ने इसका समर्थन किया . कांग्रेस नेता चौधरी ने कहा कि चीन से लगी सीमा पर क्या स्थिति है, ‘‘इसके बारे में हमें सही ढंग से जानकारी नहीं दी जा रही है.'' उन्होंने कहा कि हम (विपक्ष) चाहते हैं कि सत्र के दौरान इस विषय पर भी चर्चा हो.

तृणमूल कांग्रेस नेता डेरेक ओब्रायन ने कहा, ‘‘हम सत्र के दौरान महंगाई, बेरोजगारी तथा सरकारी एजेंसियों के कथित दुरूपयोग के साथ केंद्र राज्य संबंध के विषय को भी उठाना चाहते हैं और बैठक में हमने इस बारे में अपनी बात रखी है.'' बीजद के डॉ. सस्मित पात्रा ने कहा कि उनकी पार्टी ने सत्र के दौरान महिला आरक्षण विधेयक को पारित कराने की मांग की है और यह विषय ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक उठाते रहे हैं.

वहीं, कांग्रेस नेता नासिर हुसैन ने चुनाव आयुक्त की नियुक्ति तथा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिये कोटा के मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग की . आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने पुरानी पेंशन योजना पर चर्चा कराने और किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित करने के लिये कानून बनाने की मांग की .

बहरहाल, सरकार की योजना सात दिसंबर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में 16 नए विधेयक पेश करने की है जिनमें बहु-राज्यीय सहकारी समितियों में जवाबदेही बढ़ाने और चुनावी प्रक्रिया में सुधार से संबंधित विधेयक शामिल हैं. आगामी सत्र में राष्ट्रीय दंत चिकित्सा आयोग विधेयक भी पेश किए जाने की संभावना है. इस विधेयक में राष्ट्रीय दंत चिकित्सा आयोग की स्थापना और दंत चिकित्सक कानून, 1948 को निरस्त करने का प्रस्ताव है.

इसके साथ ही राष्ट्रीय नर्सिंग आयोग संबंधी विधेयक भी पेश किए जाने की संभावना है जिसमें राष्ट्रीय नर्सिंग आयोग (एनएनएमसी) स्थापित करने एवं भारतीय नर्सिंग परिषद कानून 1947 को निरस्त करने का प्रस्ताव है. लोकसभा बुलेटिन के अनुसार, बहु-राज्यीय सहकारी समितियां (संशोधन) विधेयक, 2022 को सहकारी समितियों में शासन को मजबूत करने, पारदर्शिता व जवाबदेही बढ़ाने और चुनावी प्रक्रिया में सुधार के उद्देश्य से पेश किया जा रहा है.

सत्र के दौरान छावनी विधेयक, 2022 पेश किए जाने की संभावना है. इस विधेयक के उद्देश्यों में छावनियों में ‘‘जीवन की सुगमता'' को बढ़ाने का प्रस्ताव भी शामिल है.इस दौरान पेश किए जाने वाले विधेयकों की सूची में पुराना अनुदान (विनियमन) विधेयक, वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक, तटीय जलकृषि प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक आदि भी शामिल हैं.

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