प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने बजट पेश करते हुए किसानों को लागत का डेढ़ गुना मूल्य देने का वादा किया लेकिन वो पूरा होता नहीं दिख रहा है. लेकिन किसी भी लागत की परिभाषा क्या होगी सरकार इस पर चुप रही अब कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने औपचारिक बयान देकर ये साफ कर दिया है कि वो पूर्ण लागत पर नहीं बल्कि आंशिक लागत का डेढ़ गुना समर्थन मूल्य देंगे. अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को दिये इंटरव्यू में कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि सरकार आंशिक लागत कहे जाने वाले A2+FL दाम पर समर्थन मूल्य तय करेगी. किसानों की फसल की लागत गिनने के दो फॉर्मूले हैं. पहला जिसमें किसान की जेब से होने वाला खर्च और उसकी परिवारजनों की मज़दूरी को जोड़ा जाता है. इसे सरकार की भाषा में A2+FL कहा जाता है.
दूसरा सम्पूर्ण लागत है जिसमें किसान की ज़मीन का किराया और कर्ज़ पर दिये जा रहे ब्याज जैसी चीजों को भी जोड़ा जाता है. इसे C2 लागत कहते हैं. जानकार इसे सम्पूर्ण लागत कहते हैं. किसान आंदोलन इसी C2 लागत पर डेढ़ गुना कीमत की मांगकर रहे हैं. 2006 की स्वामीनाथन रिपोर्ट में भी इसी फॉर्मूले की सिफारिश की गई है. चूंकि सरकार A2+FL पर ही न्यूनतम समर्थन मूल्य देने का वादा कर रही है, रबी की फसलों पर किसान को अतिरिक्त दाम नहीं मिलेगा और खरीफ की कुछ फसलों पर मामूली बढ़ोतरी होगी.
मिसाल के तौर पर गेहूं में A2+FL के आधार पर लागत बनती है 817 रुपये प्रति क्विंटल और इस आधार पर MSP यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य बनेगा 1226 रुपये. लेकिन गेहूं पर तो अभी किसान को 1735 रुपया प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य अभी मिलता है. यानी सरकार चाहे तो A2+FL के आधार पर समर्थन मूल्य मगर कर सकती है. सरकार MSP कम तो नहीं करेगी लेकिन दाम बढ़ने की संभावना भी इस फॉर्मूले से खत्म हो जाती है. अब अगर C2 फॉर्मूले से देखें तो गेहूं की लागत गिनी जाती है 1256 प्रति क्विंटल यानी अगर सरकार किसानों की मांग मानती तो उसे 1884 रुपये MSP देना होता यानी हर कुंतल पर A2+FL फॉर्मूले के मुकाबले 658 रुपये का फर्क है.
दूसरी ओर खरीफ की सभी फसलों को देखें तो A2+FL के हिसाब किसानों को अभी मिल रही कीमतों के हिसाब से कुछ फायदा ज़रूर होगा. मिसाल के तौर पर धान की फसल पर A2+FL फॉर्मूले से मौजूदा लागत बनती है 1117 रुपये प्रति क्विंटल और सरकार इस पर डेढ़ गुना बढ़ायेगी तो किसान को मिलेगा कुल 1675 प्रति क्विंटल. मौजूदा समर्थन मूल्य है 1550 यानी 125 रुपये की बढ़ोतरी यानी किसान को अभी मिल रहे दाम से केवल 8 प्रतिशत अधिक मूल्य मिलेगा जबकि C2 फॉर्मूले से धान की प्रति क्विंटल लागत है 1484 रुपये और इस फॉर्मूला को मानने पर सरकार को देने पड़ते 2226 रुपये यानी धान की समर्थन मूल्य कीमत पर प्रति क्विंटल फर्क है 742 रुपये.
VIDEO: डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य या छलावा? क्या पूरा होगा सरकार का वादा?
यानी सरकार जो फॉर्मूला अपना रही है उससे केवल कुछ फसलों में ही किसानों को मौजूदा समर्थन मूल्य से अधिक दाम मिलेंगे. किसान परेशान हैं तो सरकार की बजट घोषणा क्या उनके लिये वास्तविकता से परे सिर्फ वादा बनकर रह जायेगी. स्वराज अभियान से जुड़े. योगेंद्र यादव कहते हैं कि सरकार C2 फॉर्मूला न मान कर किसानों से धोखा कर रही है लेकिन किसान चुप नहीं बैठेंगे और 12 फरवरी से आंदोलन करेंगे.
दूसरा सम्पूर्ण लागत है जिसमें किसान की ज़मीन का किराया और कर्ज़ पर दिये जा रहे ब्याज जैसी चीजों को भी जोड़ा जाता है. इसे C2 लागत कहते हैं. जानकार इसे सम्पूर्ण लागत कहते हैं. किसान आंदोलन इसी C2 लागत पर डेढ़ गुना कीमत की मांगकर रहे हैं. 2006 की स्वामीनाथन रिपोर्ट में भी इसी फॉर्मूले की सिफारिश की गई है. चूंकि सरकार A2+FL पर ही न्यूनतम समर्थन मूल्य देने का वादा कर रही है, रबी की फसलों पर किसान को अतिरिक्त दाम नहीं मिलेगा और खरीफ की कुछ फसलों पर मामूली बढ़ोतरी होगी.
मिसाल के तौर पर गेहूं में A2+FL के आधार पर लागत बनती है 817 रुपये प्रति क्विंटल और इस आधार पर MSP यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य बनेगा 1226 रुपये. लेकिन गेहूं पर तो अभी किसान को 1735 रुपया प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य अभी मिलता है. यानी सरकार चाहे तो A2+FL के आधार पर समर्थन मूल्य मगर कर सकती है. सरकार MSP कम तो नहीं करेगी लेकिन दाम बढ़ने की संभावना भी इस फॉर्मूले से खत्म हो जाती है. अब अगर C2 फॉर्मूले से देखें तो गेहूं की लागत गिनी जाती है 1256 प्रति क्विंटल यानी अगर सरकार किसानों की मांग मानती तो उसे 1884 रुपये MSP देना होता यानी हर कुंतल पर A2+FL फॉर्मूले के मुकाबले 658 रुपये का फर्क है.
दूसरी ओर खरीफ की सभी फसलों को देखें तो A2+FL के हिसाब किसानों को अभी मिल रही कीमतों के हिसाब से कुछ फायदा ज़रूर होगा. मिसाल के तौर पर धान की फसल पर A2+FL फॉर्मूले से मौजूदा लागत बनती है 1117 रुपये प्रति क्विंटल और सरकार इस पर डेढ़ गुना बढ़ायेगी तो किसान को मिलेगा कुल 1675 प्रति क्विंटल. मौजूदा समर्थन मूल्य है 1550 यानी 125 रुपये की बढ़ोतरी यानी किसान को अभी मिल रहे दाम से केवल 8 प्रतिशत अधिक मूल्य मिलेगा जबकि C2 फॉर्मूले से धान की प्रति क्विंटल लागत है 1484 रुपये और इस फॉर्मूला को मानने पर सरकार को देने पड़ते 2226 रुपये यानी धान की समर्थन मूल्य कीमत पर प्रति क्विंटल फर्क है 742 रुपये.
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यानी सरकार जो फॉर्मूला अपना रही है उससे केवल कुछ फसलों में ही किसानों को मौजूदा समर्थन मूल्य से अधिक दाम मिलेंगे. किसान परेशान हैं तो सरकार की बजट घोषणा क्या उनके लिये वास्तविकता से परे सिर्फ वादा बनकर रह जायेगी. स्वराज अभियान से जुड़े. योगेंद्र यादव कहते हैं कि सरकार C2 फॉर्मूला न मान कर किसानों से धोखा कर रही है लेकिन किसान चुप नहीं बैठेंगे और 12 फरवरी से आंदोलन करेंगे.
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