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This Article is From Nov 04, 2012

गांधी मैदान से नीतीश ने भरी रामलीला मैदान की हुंकार

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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को ऐतिहासिक गांधी मैदान में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की और संकल्प लिया कि वह इस अधिकार को लेकर ही रहेंगे।
पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को ऐतिहासिक गांधी मैदान में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की और संकल्प लिया कि वह इस अधिकार को लेकर ही रहेंगे। उन्होंने हुंकार भरी कि यदि बिहार के 10.5 करोड़ लोगों की भावनाओं को नजरअंदाज किया जाएगा तो अगले साल दिल्ली के रामलीला मैदान को वह बिहारियों से पाट देंगे।

गांधी मैदान में आयोजित अधिकार रैली में लाखों की संख्या में जुटे लोगों को सम्बोधित करते हुए नीतीश ने कहा कि बिहार ही नहीं विकास के मामले में राष्ट्रीय औसत से नीचे खड़े राज्यों को भी उनका हक मिलना चाहिए और इस सिलसिले में वह सभी से बात करेंगे। वहीं जनता दल (युनाइटेड ) के अध्यक्ष शरद यादव ने कहा कि बिहार को उसका हक नहीं देने वाली केंद्र सरकार को सत्ता छोड़नी होगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अब तक बिहार में जात-पात की भावनात्मक बातों पर लोगों का उफान देखा जाता था, लेकिन अब बिहार के लोग विकास के लिए एकजुट हुए हैं। उन्होंने कहा, "मैं केवल बिहार की बात नहीं कर रहा हूं, बल्कि केंद्र सरकार को उन सभी राज्यों को उस समय तक विशेष राज्य के दर्जा के तहत रखना चाहिए जब तक वे विकास सहित अन्य मामलों में राष्ट्रीय औसत तक नहीं पहुंच जाते हैं।"

नीतीश ने लोगों का आह्वान करते हुए कहा कि अगामी लोकसभा चुनाव में उन्हें ऐसा फैसला लेना होगा जिसमें उनके बिना दिल्ली में कोई केंद्र सरकार न बने और वह सरकार बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने के लिए बाध्य हो जाए।

इस रैली में उन्होंने जहां बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने के लिए तर्क दिए, वहीं बिहार के विकास की भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार बिहार के इतिहास के बिना देश का इतिहास नहीं लिखा जा सकता, उसी प्रकार बिना बिहार के विकास के देश के समावेशी विकास की कल्पना नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित कर विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की गई। इसके अलावा राज्य के करीब 1.25 करोड़ लोगों के हस्ताक्षरयुक्त ज्ञापन राज्यपाल को सौंपा गया।

नीतीश ने केंद्र सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि तकनीकी कारणों से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं देने की बात की जाती है, लेकिन तर्क के आधार पर वह इन कारणों को बदलना नहीं चाहते। उन्होंने कहा कि बिहार पर्वतीय राज्य नहीं है, लेकिन हिमालय पर्वत की नदियां प्रत्येक वर्ष यहां बाढ़ का कहर लाती है, सब कुछ बर्बाद हो जाता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर केंद्र सरकार अब भी बिहार के साढ़े 10 करोड़ लोगों की आवाज नहीं सुनती है तो मार्च में दिल्ली के रामलीला मैदान में रैली का आयोजन किया जाएगा और उस मौके पर भी गांधी मैदान की तरह रामलीला मैदान को बिहारियों से पाट दिया जाएगा।

शरद यादव ने इस मंच से लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि अगर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया जाता है तो केंद्र सरकार को जाना होगा। उन्होंने कहा कि गांधी मैदान में आयोजित इस रैली के माध्यम से बिहार अपने हक के लिए खड़ा हो गया है। उन्होंने कहा कि इसके पूर्व जब इसी मैदान में जय प्रकाश नारायण खड़ा हुए थे तो इंदिरा गांधी को सत्ता से हटाना पड़ा था और इस बार तो पूरा बिहार खड़ा हो गया है। अगर इनकी मांगें नहीं मानी गईं तो केंद्र सरकार को जाना होगा। उन्होंने कहा कि बिहार के बंटवारे के बाद बिहार की कमर टूट गई, लेकिन इसकी सहायता नहीं की गई। अब यहां के लोग अपना अधिकार मांग रहे हैं। उन्होंने केंद्र सरकार को 'घोटालों की सरकार' बताते हुए कहा कि आज जितने बिचौलिए खा रहे हैं, इसमें से थोड़ा भी बिहार को मदद मिल जाए तो वह बिहार को चमन बना देंगे।

अधिकार रैली में जद (यु) के करीब सभी मंत्री, विधायक और विधान पार्षद उपस्थित थे।

एक तरफ दिल्ली के रामलीला मैदान में जहां कांग्रेस की रैली में लगभग 50 हजार लोग जुटे वहीं गांधी मैदान की रैली में डेढ़ से दो लाख लोग पहुंचे।

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