केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने देश में भर में एनआरसी लागू करने के मुद्दे पर जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रतिनिधिमंडल को शनिवार को आश्वस्त किया कि सरकार का उद्देश्य अल्पसंख्यकों को परेशान करना नहीं है और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई भी व्यक्ति धार्मिक आधार पर इसके लपेटे में न आए. जमीयत उलेमा-ए-हिंद और जमीयत अहले-हदीस हिंद के प्रतिनिधिमंडल ने शनिवार को शाह से उनके आवास पर मुलाकात की. इस मुलाकात के दौरान गृह मंत्री ने प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों से कहा कि सरकार ‘‘सभी मुस्लिम संगठनों के साथ खुले दिल से बात करने को तैयार है.'' जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से जारी बयान के मुताबिक, संगठन के महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने शाह से कहा कि भले ही सरकार के साथ कई बातों पर हमारा मतभेद है, लेकिन जहां देश हित की बात होगी तो हम देश के साथ खड़े हैं. उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए हमारी प्रबंधन समिति ने कश्मीर के विषय पर प्रस्ताव में साफ कहा है कि कश्मीर और कश्मीरी हमारे हैं. हम उन्हें अलग नहीं कर सकते और भारतीय मुसलमान हर तरह के अलगाववाद के खिलाफ है.''
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बयान के मुताबिक, शाह ने प्रतिनिधिमंडल को विश्वास दिलाया कि अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद कश्मीरियों की संस्कृति को प्रभावित नहीं होने दिया जाएगा. बयान में बताया गया है कि मौलाना मदनी ने शाह से कहा कि एनआरसी के जरिए ‘‘असम में मुसलमानों को परेशान करने की कोशिश की जा रही है'' और पूरे देश में इसे लागू करने से संबंधित आपके बयान को धमकी बनाकर प्रस्तुत किया जा रहा है.
बयान के मुताबिक, इस पर शाह ने मुस्लिम संठगन के सदस्यों से कहा कि ‘‘एनआरसी के संबंध में लोगों को डरने की कोई ज़रूरत नहीं है. असम के संबंध में हमने परिपत्र जारी किया है कि जिन लोगों के नाम शामिल नहीं हुए हैं तो हम उनके लिए आधिकारिक तौर पर मुफ्त कानूनी सेवा प्रदान करेंगे.'' बयान में शाह के हवाले से कहा गया है, ‘‘जहां तक पूरे देश में एनआरसीए लागू करने की बात है तो दुनिया का कोई देश बता दीजिए जहां एनआरसी न हुआ हो. हमारा उद्देश्य अल्पसंख्यकों को परेशान करना नहीं है. हम यह सुनिश्चित करेंगे कि कोई भी व्यक्ति धार्मिक आधार पर इसके लपेटे में न आए.''
मदनी ने गृह मंत्री के सामने गैरकानूनी गतिविधि अधिनियम में संशोधनों पर भी बात रखी और आतंकवाद को रोकने के लिए इसे जरूरी बताया लेकिन इस कानून के दुरुपयोग को रोकने के लिए गृह मंत्री से उपाय करने की मांग भी की. बयान के मुताबिक, शाह ने प्रतिनिधिमंडल से कहा, ‘‘जो भी कानून बनाया गया है, उसके अंदर इस बात का ध्यान रखा गया है कि इसका दुरुपयोग न हो. इसमें कठोर शर्तें मौजूद हैं.''
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