हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के डिनर में जंगली मुर्गा परोसने पर बवाल मच गया है. मुख्यमंत्री बीते दिन शिमला के दूरदराज के क्षेत्र चौपाल के टिककर गांव के दौरे पर थे और रात को वहां पर एक स्थानीय व्यक्ति के घर पर उनका रात्रि भोज का कार्यक्रम रखा गया था. इस दौरान उनको जंगली मुर्गी का मीट परोसा गया. डिनर का वीडियो जमकर वायरल हो रहा है. इस मामले में बीजेपी ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को घेरना शुरू कर दिया. वहीं पूरे विवाद पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सफाई दी हैं. उन्होंने कहा कि ये ग्रामीणों का भोजन है. बीजेपी इससे ग्रामीणों का अपमान कर रही हैं. उन्होंने कहा कि मैं तेल युक्त व्यजनों व नॉन वेज खाता नहीं हूं. बीजेपी बेवजह मुद्दा बना रही हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा, "स्थानीय ग्रामीण मुझे देशी चिकन दे रहे थे, मैं इसे नहीं खाता - और एक चैनल इसे ऐसे प्रसारित कर रहा था जैसे मैं चिकन खा रहा हूं. नॉन-वेज खाना पहाड़ों में जीवन का हिस्सा है. जयराम ठाकुर इस पर बयान दे रहे हैं."
"कुक्कडू कूं" का व्यवस्था पतन
— BJP Himachal Pradesh (@BJP4Himachal) December 14, 2024
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के रात्रिभोज में संरक्षित जंगली मुर्गे का पकवान पेश हुआ।
सुक्खू जी अपने मित्रों को जंगली मुर्गा खिलाने के लिये भी काफी उत्साहित थे। pic.twitter.com/Fdua6UkazG
दरअसल राज्य में जंगली मुर्गी को खाना पूर्ण रूप से बैन है. बावजूद इसके मुख्यमंत्री के डिनर में जंगली मुर्गा भी शामिल थी. वहीं इसको लेकर बीजेपी भी हमलावर है और कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. वायरल वीडियो में मुख्यमंत्री के अलावा स्वस्थ्य मंत्री धनीराम शांडिल ,अधिकारियों सहित अन्य लोगों भी मौजूद थे.
जनता के घर द्वार जाकर लोगों की समस्याओं के निराकरण करने की हमारी योजना ‘जनमंच' के फुलके जिन्हे खल रहे थे वह आज गाँव गाँव जा कर पिकनिक मना रहे हैं और क्या कर रहे है जनता सब देख रही है 🧐
— Jairam Thakur (@jairamthakurbjp) December 14, 2024
संरक्षित प्रजाति के जंगली मुर्गा खाने वालों को जेल होती है, जुर्माना होता है लेकिन… pic.twitter.com/NjtN0iDjXN
बीजेपी के वरिष्ठ नेता और विधायक सुधीर शर्मा ने इसको लेकर मुख्यमंत्री पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में जंगली मुर्गी का शिकार करने पर भी पूर्ण रूप से प्रतिबंध है. लेकिन मुख्यमंत्री को जंगली मुर्गा परोसा गया. जो की निंदनीय है. प्रदेश में जंगली जानवरों और पक्षियों को सुरक्षित करने के लिए लोग जागरूक है. लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री ही जंगली मुर्गा खाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. जबकि हिमाचल में जंगली मुर्गे की सारी प्रजातियां वाइल्डलाइफ प्रोटक्शन एक्ट 1972 और वाइल्डलाइफ प्रोटक्शन अमेंडमेंट एक्ट 2022 के तहत शेड्यूल्ड वन में रखी गई है.
शेड्यूल 1 में वही प्रजातियां रखी जाती हैं जो हाईली एंडेंजर्ड होती हैं. जिनका शिकार और किसी प्रकार से वध आपराधिक कृत्य माना जाता है. सजा का प्रावधान भी है. ऐसे में यदि प्रदेश के मुखिया ही जंगली मुर्गों को खाने के लिए प्रोत्साहन करेंगे तो किस तरह से इस प्रजाति को बचाया जाएगा. उन्होंने कहा कि इस तरह से जंगली मुर्गी को परोसे जाना कानूनी अपराध है. इस पर कार्रवाई होनी चाहिए.
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