दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के द्वारका इलाके में दो बाइक सवार लड़कों ने आज एक 17 वर्षीय लड़की पर तेजाब फेंका, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गईं और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है. एसिड की बिक्री पर कोर्ट की तरफ से रोक लगी है. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि रोक के बाद भी यह लोगों को कैसे उपलब्ध होता है. NDTV ने दिल्ली पुलिस के पूर्व DCP एलएन राय और एसिड हमले की पीड़िता से बात की.
एसिड हमले की पीड़िता डॉली श्रीवास्तव ने कहा, "जब मेरे पर एसिड अटैक हुआ तो मैं 13 साल की थी. मैं रो रही थी, चीख रही थी, चिल्ला रही थी. ऐसा लग रहा था किसी ने मेरे ऊपर आग लगा दी है. मुझे बहुत ज्यादा जलन हो रही थी. उसके बाद समाज में लोग मेरा मजाक उड़ाते थे. लोग कहते थे कि ये भूतनी है. मुझे पुलिस और मीडिया का सपोर्ट भी नहीं मिला. केस भी जल्दी दर्ज नहीं हुआ."
एसिड हमले की पीड़िता डॉली श्रीवास्तव ने कहा, "मुझे वैसे तो तीन लाख रुपए मिले थे. लेकिन ऐसा नहीं होता है, क्योंकि हमारा चेहरा पूरी तरह खराब हो गया था. अभी तक मेरे 10 ऑपरेशन हो चुके हैं और जब-जब ऑपरेशन होता है. तब-तब मौत के मुंह से बाहर आते हैं. बार-बार मुझे दर्द का एहसास होता है. हमारी पूरी लाइफ खराब हो जाती है. आरोपी पर ना कोई कार्रवाई नहीं होती है. मुझे मेकअप करना पंसद था. लेकिन लोग मेरे फेस को देखकर ही मेकअप नहीं करवाते हैं."
दिल्ली पुलिस के पूर्व DCP एलएन राय ने कहा, "ये घटना बहुत सिरियस है. पीड़िता ने बताया कि अभी तक उन के घाव नहीं भरे गए. इसके लिए कुछ नियम कायदे कानून सुप्रीम कोर्ट की ओर से बनाए गए हैं, जिसको लागू करना हमारा काम है. नियमों को लागू करना पुलिस की जिम्मेदारी है. लेकिन इसका पालन नहीं किया जाता है. कोर्ट में केस का फैसला कई सालों में होता है. पीड़िता के साथ घटना 2013 में हुआ था. लेकिन अभी तक कार्रवाई नहीं की गई. लोगों के दिमाग में कानून का भय नहीं रहता है."
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