शशि थरूर और सुनंदा पुष्कर (फाइल चित्र)
नई दिल्ली:
सोशल मीडिया पर जहां एक तरफ याकूब मेमन की फांसी पर अपनी अपनी बात रखी जा रही है, वहीं रामेश्वरम में राष्ट्रपति कलाम को दी गई अंतिम विदाई को भी याद किया जा रहा है। लेकिन इन सबके बीच ट्विटर पर सांसद शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर का नाम भी ट्रेंड करने लगा है।
दरअसल अपनी राय रखने में हमेशा आगे रहने वाले शशि थरूर ने मेमन की फांसी पर भी ट्वीट करते हुए कहा 'इस बात से दुखी हूं कि हमारी सरकार ने एक इंसान को फांसी पर लटका दिया। राज्य प्रायोजित हत्याएं हमें हत्यारों के समकक्ष लाकर खड़ा कर देती हैं।' याकूब मामले पर थरूर की सिलसिलेवार टिप्पणियों से ट्विटर पर कुछ लोग नाराज़गी जताते हुए सुनंदा पुष्कर के नाम को बीच में ले आए।
थरूर पर निशाना साधते हुए ट्विट्स में लिखा गया कि ये कांग्रेसी सांसद की दोगली मानसिकता दिखाता है, क्या इन्हें सुनंदा पुष्कर की मौत का ज़रा सा भी अफसोस है? वहीं किसी ट्वीट में लिखा गया है कि शशि थरूर का मानना है कि निर्दोष को सज़ा दी गई है, क्या सुनंदा पुष्कर केस को खोलने का वक्त आ गया है?
यही नहीं थरूर की टिप्पणी पर भाजपा नेता आर पी रुडी ने एजेंसी से बातचीत में कहा कि वह थरूर के इस ट्वीट से स्तब्ध हैं और अगर उन्हें इस बात से इतनी ही दिक्कत थी तो पहले हस्तक्षेप क्यों नहीं किया? सिर्फ थरूर ही नहीं दिग्विजय सिंह के ट्वीट्स भी भाजपा नेताओं के निशाने पर हैं। दिग्विजय सिंह ने अपने ट्वीट में शंका जताई है 'सरकार आतंकवाद के अन्य मामलों के निपटारे में भी क्या इतनी ही प्रतिबद्धता दिखाएगी? न्यायपालिका और सरकार की साख दांव पर लगी है।'
इस पर जयशंकर प्रसाद ने सवाल उठाया है कि क्या दिग्विजय सिंह की इस टिप्पणी को कांग्रेस की आधिकारिक राय मानी जाए ? इस बीच मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन पार्टी के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने सवाल उठाया है कि क्या कोडनानी, बजरंगी और सिख दंगों के आरोपियों को भी सज़ा दी जाएगी ? उधर वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने याकूब की फांसी को न्याय की निष्फलता करार दिया है।
दरअसल अपनी राय रखने में हमेशा आगे रहने वाले शशि थरूर ने मेमन की फांसी पर भी ट्वीट करते हुए कहा 'इस बात से दुखी हूं कि हमारी सरकार ने एक इंसान को फांसी पर लटका दिया। राज्य प्रायोजित हत्याएं हमें हत्यारों के समकक्ष लाकर खड़ा कर देती हैं।' याकूब मामले पर थरूर की सिलसिलेवार टिप्पणियों से ट्विटर पर कुछ लोग नाराज़गी जताते हुए सुनंदा पुष्कर के नाम को बीच में ले आए।
थरूर पर निशाना साधते हुए ट्विट्स में लिखा गया कि ये कांग्रेसी सांसद की दोगली मानसिकता दिखाता है, क्या इन्हें सुनंदा पुष्कर की मौत का ज़रा सा भी अफसोस है? वहीं किसी ट्वीट में लिखा गया है कि शशि थरूर का मानना है कि निर्दोष को सज़ा दी गई है, क्या सुनंदा पुष्कर केस को खोलने का वक्त आ गया है?
यही नहीं थरूर की टिप्पणी पर भाजपा नेता आर पी रुडी ने एजेंसी से बातचीत में कहा कि वह थरूर के इस ट्वीट से स्तब्ध हैं और अगर उन्हें इस बात से इतनी ही दिक्कत थी तो पहले हस्तक्षेप क्यों नहीं किया? सिर्फ थरूर ही नहीं दिग्विजय सिंह के ट्वीट्स भी भाजपा नेताओं के निशाने पर हैं। दिग्विजय सिंह ने अपने ट्वीट में शंका जताई है 'सरकार आतंकवाद के अन्य मामलों के निपटारे में भी क्या इतनी ही प्रतिबद्धता दिखाएगी? न्यायपालिका और सरकार की साख दांव पर लगी है।'
इस पर जयशंकर प्रसाद ने सवाल उठाया है कि क्या दिग्विजय सिंह की इस टिप्पणी को कांग्रेस की आधिकारिक राय मानी जाए ? इस बीच मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन पार्टी के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने सवाल उठाया है कि क्या कोडनानी, बजरंगी और सिख दंगों के आरोपियों को भी सज़ा दी जाएगी ? उधर वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने याकूब की फांसी को न्याय की निष्फलता करार दिया है।
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