पूर्व सांसद शहाबुद्दीन (फाइल फोटो)
बिहार के सीवान में पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या के मामले ने पूर्व राजद सांसद शहाबुद्दीन को एक बार फिर 'सेंटर स्टेज' पर लाकर खड़ा कर दिया है। कुछ दिन पहले सीवान की जेल में बंद शहाबुद्दीन को इस मामले के बाद भागलपुर जेल शिफ्ट कर दिया गया है। हालांकि अभी तक पुलिस ने साफ तौर पर इस हत्या में शहाबुद्दीन के हाथ होने की बात नहीं कही है लेकिन परिस्थितियां इस बात की तरफ इशारा कर रही हैं कि मामले का संबंध जेल में बंद राजद सांसद से है।
गौरतलब है कि शहाबुद्दीन पर अलग अलग आपराधिक मामले दर्ज हैं और फिलहाल वह सीवान जेल में कई सालों से बंद है। उन्हें 1996 में तत्कालीन एसपी एस के सिंघल की हत्या की कोशिश के मामले में 10 साल की सज़ा सुनाई गई है, वहीं 1999 में सीपीआई (एमएल) के नेता छोटे लाल गुप्ता के अपहरण मामले में बिहार की अदालत ने शहाबुद्दीन को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई थी। हाल ही में शहाबुद्दीन को12 साल पहले दो भाईयों पर एसिड डालकर हत्या के मामले में पटना हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी। यह अलग बात है कि पूर्व सांसद पर इतने मामले चल रहे हैं कि इस ज़मानत से उन्हें किसी तरह की राहत नहीं मिली।
'जेल में भी आराम'
हालांकि यह कहना गलत नहीं होगा कि इतने गंभीर मामलों में सज़ा काट रहे शहाबुद्दीन के लिए जेल की जिदंगी कांटो भरी नहीं है। जेल के अधिकारियों को धमकाने से लेकर 'साहेब' की लगने वाली बैठकों की रिपोर्ट समाचार पत्रों का हिस्सा बनती आई है। दरअसल रंजन की हत्या के पीछे की वजह भी ऐसी ही एक घटना को माना जा रहा है। बताया जा रहा है कि बिहार के सामाजिक न्याय मंत्री अब्दुल ग़फूर ने मार्च के महीने में शहाबुद्दीन से जेल में काफी अनौपचारिक रूप में मुलाकात की थी जिसकी तस्वीरें वायरल हो गईं थी।
हिंदी अखबार दैनिक भास्कर में छपी रिपोर्ट के मुताबिक यह तस्वीर रंजन के पास भी पहुंच गई थी जिन्होंने इसे कुछ और लोगों तक भी पहुंचाया था। इसके बाद 13 मई को पत्रकार रंजन की सीवान में हत्या कर दी गई और 18 मई को एक बार फिर शहाबुद्दीन से मिलने कई कारोबारी और नेता आए। उसी दिन सीवान के जेल पर छापे पड़े गए जिसमें साहेब की सेल भी शामिल थी। छापे में 38 मोबाइल बरामद किए गए जबकि 63 लोगों को तय समय के बाद भी जेल में मौजूद पाया गया। इस छापे के बाद उसी रात हाबुद्दीन को भागलपुर की जेल में शिफ्ट कर दिया गया।
शाहबुद्दीन की सामाजिक न्याय मंत्री अब्दुल ग़फूर से जेल में कुछ इस तरह मुलाकात हुई
गौरतलब है कि शहाबुद्दीन पर अलग अलग आपराधिक मामले दर्ज हैं और फिलहाल वह सीवान जेल में कई सालों से बंद है। उन्हें 1996 में तत्कालीन एसपी एस के सिंघल की हत्या की कोशिश के मामले में 10 साल की सज़ा सुनाई गई है, वहीं 1999 में सीपीआई (एमएल) के नेता छोटे लाल गुप्ता के अपहरण मामले में बिहार की अदालत ने शहाबुद्दीन को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई थी। हाल ही में शहाबुद्दीन को12 साल पहले दो भाईयों पर एसिड डालकर हत्या के मामले में पटना हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी। यह अलग बात है कि पूर्व सांसद पर इतने मामले चल रहे हैं कि इस ज़मानत से उन्हें किसी तरह की राहत नहीं मिली।
'जेल में भी आराम'
हालांकि यह कहना गलत नहीं होगा कि इतने गंभीर मामलों में सज़ा काट रहे शहाबुद्दीन के लिए जेल की जिदंगी कांटो भरी नहीं है। जेल के अधिकारियों को धमकाने से लेकर 'साहेब' की लगने वाली बैठकों की रिपोर्ट समाचार पत्रों का हिस्सा बनती आई है। दरअसल रंजन की हत्या के पीछे की वजह भी ऐसी ही एक घटना को माना जा रहा है। बताया जा रहा है कि बिहार के सामाजिक न्याय मंत्री अब्दुल ग़फूर ने मार्च के महीने में शहाबुद्दीन से जेल में काफी अनौपचारिक रूप में मुलाकात की थी जिसकी तस्वीरें वायरल हो गईं थी।
हिंदी अखबार दैनिक भास्कर में छपी रिपोर्ट के मुताबिक यह तस्वीर रंजन के पास भी पहुंच गई थी जिन्होंने इसे कुछ और लोगों तक भी पहुंचाया था। इसके बाद 13 मई को पत्रकार रंजन की सीवान में हत्या कर दी गई और 18 मई को एक बार फिर शहाबुद्दीन से मिलने कई कारोबारी और नेता आए। उसी दिन सीवान के जेल पर छापे पड़े गए जिसमें साहेब की सेल भी शामिल थी। छापे में 38 मोबाइल बरामद किए गए जबकि 63 लोगों को तय समय के बाद भी जेल में मौजूद पाया गया। इस छापे के बाद उसी रात हाबुद्दीन को भागलपुर की जेल में शिफ्ट कर दिया गया।
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