केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने कहा है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा प्रमुख उधार दर बढ़ाना वैश्विक स्तर पर केंद्रीय बैंकों द्वारा समन्वित कार्रवाई का हिस्सा है. उन्होंने कहा कि इससे केवल इसलिए आश्चर्य हुआ क्योंकि यह दो मौद्रिक नीति समीक्षाओं के बीच किया गया है.
उन्होंने कल (शनिवार) मुंबई में 'द इकोनॉमिक टाइम्स अवार्ड्स फॉर कॉरपोरेट एक्सीलेंस' में कहा, "यह वह समय है जिसने कई लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया है, लेकिन लोगों ने जो सोचा था, उसे किसी तरह किया जाना ही चाहिए था- वह किसी भी हद तक भिन्न हो सकता था." उन्होंने कहा, "इस पर आश्चर्य सिर्फ इसलिए हुआ क्योंकि यह दो मौद्रिक नीति समीक्षाओं के बीच आया है."
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वित्त मंत्री, जिन्हें इस कार्यक्रम में कोविड महामारी के वक्त देश की अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए एक पुरस्कार मिला, ने उल्लेख किया कि आरबीआई ने अपनी अप्रैल की समीक्षा नीति में संकेत दे दिया था कि अब मुद्रास्फीति पर कार्रवाई करने का समय आ गया है.
वित्त मंत्री ने जोर देकर कहा कि वह केंद्रीय बैंक के कदम को सरकार के बुनियादी ढांचे के निवेश को प्रभावित करने वाले कदम के रूप में नहीं देखती हैं.
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बता दें कि आरबीआई ने बुधवार को अपनी प्रमुख उधार दर (Lending Rate) को 40 आधार अंक बढ़ाकर 4.40 प्रतिशत कर दिया है. इसने नकद आरक्षित अनुपात (CRR) में भी 50 आधार अंकों की बढ़ोतरी की है. केंद्रीय बैंक ने बढ़ती मुद्रास्फीति, भू-राजनीतिक तनाव, कच्चे तेल की ऊंची कीमतों और वस्तुओं की वैश्विक कमी को इस कदम का कारण बताया है.
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अगस्त 2018 के बाद से नीतिगत दर में यह पहली बढ़ोतरी है. इससे कॉरपोरेट्स के साथ-साथ व्यक्तिगत श्रेणी में भी उधार लेना महंगा हो जाएगा. नवीनतम आश्चर्यजनक वृद्धि मई 2020 में घोषित कोविड-सपोर्ट ऑफ सोइकिल रेट कट से पूरी तरह उलट है.
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