
केरल सरकार जंगली जानवरों को मारने के लिए अभियान चलाना चाहती है. इसके लिए केंद्र सरकार से उसने अनुमति भी मांगी है. केरल सरकार राज्य वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 में संशोधन चाहती है, ताकि उसे जंगली जानवरों को मारने की अनुमति मिल सके. मगर सवाल ये है कि क्या केंद्र सरकार इसकी अनुमति देगी? इससे भी बड़ा सवाल ये कि केरल सरकार जंगली जानवरों को मारना क्यों चाहती है? सोचिए, अगर जंगल में ये जानवर न रहे तो क्या होगा?
जवाब इन खबरों में है
- 15 मई 2025 को केरल के मलप्पुरम जिले के कालीकावु के पास रबर के बागान में काम करने जा रहे एक श्रमिक को बाघ ने मार डाला.
- 16 अप्रैल 2025 को केरल के त्रिशूर जिले के अथिरापिल्ली वन क्षेत्र में हाथी के हमले में एक महिला समेत दो आदिवासी व्यक्तियों की मौत के एक दिन बाद क्षेत्र में दिन भर सार्वजनिक हड़ताल हुई.
- 7 अप्रैल 2025 को केरल के पलक्कड़ जिले के मुंडुर में एक दुखद घटना में 22 साल के एक युवक को जंगली हाथी ने कुचलकर मौत के घाट उतार दिया. कैरमकोड़े के रहने वाले एलन अपनी मां के साथ बाइक पर जा रहे थे, तभी हाथी ने उन पर हमला कर दिया.
ये कुछ खबरें ये बताने के लिए काफी हैं कि आखिर केरल सरकार इतना बड़ा कदम क्यों उठाने जा रही है. मगर क्या बेजुबान जानवरों को मारने के अलावा अब कोई विकल्प नहीं है? केरल सरकार किन जानवरों को मारना चाहती है?
केरल में कुल 941 गांव हैं. इनमें से 273 गांवों के स्थानीय निकायों को जंगली जानवरों के हमलों क हॉटस्पॉट के रूप में पहचाना गया है. समस्या पैदा करने वाले जानवर मुख्य रूप से बाघ, तेंदुआ, हाथी, बाइसन, जंगली सूअर, बोनेट मैकाक और मोर हैं. हालांकि, बोनेट मैकाक (बंदर की एक प्रजाति) और मोर जीवन के लिए खतरा पैदा नहीं करते हैं, लेकिन उनके बार-बार हमलों ने किसानों को कृषि भूमि के बड़े हिस्से को छोड़ने पर मजबूर कर दिया है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2016-17 से 2024-25 (31 जनवरी तक) के बीच केरल में वन्यजीवों के हमलों में 919 लोग मारे गए और 8,967 अन्य घायल हुए.
इंसान-जानवरों में क्यों हो रहा टकराव?
वन्यजीवों की आबादी में क्षेत्रीय उतार-चढ़ाव, उनके आवास की गुणवत्ता में गिरावट के कारण जानवरों का बाहर चले जाना, वन क्षेत्रों में घरेलू मवेशियों का चरना, फसल पैटर्न में बदलाव आदि इसके प्रमुख कारण हैं. लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि जंगली सूअरों और बंदरों की विभिन्न प्रजातियों की जनसंख्या में वृद्धि इंसानी बस्तियों में कहर बरपा रही है.
संशोधन की क्यों है जरूरत
केरल के अधिकारियों ने कहा कि मौजूदा कानूनी ढांचा आपातकालीन स्थितियों में समय पर कार्रवाई करने में कई बाधाएं डालता है, खासकर अधिनियम की अनुसूची 1 के तहत संरक्षित जानवरों के मामले में. इस अधिनियम के चलते खतरनाक जंगली जानवरों को मारने का आदेश देने से पहले राज्य के मुख्य वन्यजीव वार्डन को आश्वस्त होना चाहिए कि उन्हें पकड़ा नहीं जा सकता, बेहोश नहीं किया जा सकता या किसी अन्य स्थान पर नहीं ले जाया जा सकता. पकड़े गए जानवरों को कैद में नहीं रखा जाना चाहिए. साथ ही, अधिनियम में निर्धारित शर्तों के अलावा, सरकार को मानव-वन्यजीव संघर्ष से निपटने के दौरान बाघ संरक्षण प्राधिकरण और प्रोजेक्ट एलीफेंट स्कीम की सलाह का पालन करना होगा.
जंगली जानवरों को मारने पर सरकार का रुख
केरल के वन मंत्री एके ससीन्द्रन ने कहा कि राज्य चाहता है कि केंद्र 1972 के अधिनियम में संशोधन करे ताकि केरल को सभी नरभक्षी जंगली जानवरों को मारने की अनुमति मिल सके. हम जंगली जानवरों को अंधाधुंध तरीके से मारने के अधिकार की तलाश नहीं कर रहे हैं. सिर्फ जीवन और खेती के लिए खतरा पैदा करने वाले जानवरों को एक निश्चित अवधि के लिए मारने की अनुमति दी जानी चाहिए. अनुमति क्षेत्र-विशिष्ट और मौसमी भी हो सकती है. बाड़ लगाने जैसे सभी उपाय जानवरों के हमलों को रोकने में अब तक विफल रहे हैं.
मंत्री ने कहा कि जंगली सूअरों के मामले में, जंगली सूअर नियंत्रण प्रणाली के तहत लाइसेंसधारी शूटरों को फसल पर हमला करने वाले जानवरों को मारने की अनुमति है.मगर इस खतरे को प्रभावी ढंग से रोकने में ये भी फेल रही है. जंगली सूअर को मारने से पहले, यह जांचना आवश्यक है कि वह गर्भवती है या नहीं. इस तरह के अव्यवहारिक गाइडलाइंस उद्देश्य को पूरा करने में विफल रहे हैं. मानव जीवन के लिए खतरों को रोकने के लिए वन्यजीवों की बढ़ती आबादी को नियंत्रित करना ही होगा.
क्या चाहती है केरल सरकार
राज्य चाहता है कि अधिनियम की धारा 62 के तहत जंगली सूअरों को एक निश्चित अवधि के लिए हिंसक जानवर घोषित किया जाए. राज्य बोनेट मैकाक के खतरे को भी दूर करना चाहता है, उसे अनुसूची 1 की श्रेणी से हटाना होगा. बंदरों की इस प्रजाति को 2022 में अनुसूची I में शामिल किया गया था. तब तक, मुख्य वन्यजीव वार्डन मानव बस्तियों में उत्पात मचाने वाले बंदरों को पकड़ने और उन्हें स्थानांतरित करने का आदेश दे सकता था. अब, वार्डन इस खतरे पर खुद से कोई कार्रवाई नहीं कर सकता.
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