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This Article is From Apr 25, 2019

Exclusive: भारतीय वायुसेना को क्यों नहीं मिल पाया बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक का वीडियो, ये रही वजह

बालाकोट (Balakot Strike) में एयर स्ट्राइक के दौरान अगर हल्के बादल 'विलेन' न बनते तो भारतीय वायुसेना हमले का पूरा वीडियो हासिल करने में सफल रहती, मगर वह मिसाइल ही नहीं लांच हो सकी, जिससे वीडियो बनाया जाना था.

Exclusive: भारतीय वायुसेना को क्यों नहीं मिल पाया बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक का वीडियो, ये रही वजह
बालाकोट में हुई सर्जिकल स्ट्राइक का हल्के बादलों की वजह से वायुसेना को हासिल नहीं हो पाया वीडियो फीड.
नई दिल्ली:

पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद भारतीय वायुसेना(IAF) ने 26 फरवरी को पाकिस्तान में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक की थी. बालाकोट(Balakot Strike) स्थित जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी शिविरों को बम बरसाकर तबाह कर दिया था. हालांकि भारतीय वायुसेना इस एयर स्ट्राइक का कोई वीडियो नहीं बना पाई. यही वजह है एयर स्ट्राइक के प्रमाण के तौर पर कोई वीडियो वायुसेना जारी नहीं कर पाई. एयर स्ट्राइक से आतंकियों के मरने के आंकड़ों को लेकर देश में सियासी बहस भी छिड़ी रही. दरअसल हमले के दौरान कुछ ऐसे हालात बने थे कि भारतीय वायुसेना टारगेट पर निशाना बनाने के दौरान लाइव वीडियो नहीं हासिल कर सकी.बालाकोट स्थित जैश-ए-मोहम्मद के आंतकी शिविरों पर 26 फरवरी को किए गए हवाई हमले की समीक्षा के दौरान इस बात का खुलासा हुआ है. भारतीय वायुसेना ने पुष्टि की है कि जब आतंकी शिविरों को सटीक लक्ष्य बनाकर बम गिराए गए, तब इजरायली एयर-टू सरफेस मिसाइस को लॉन्च नहीं किया गया था. इसके जरिए ही लक्ष्य भेदने की प्रक्रिया का लाइव वीडियो फीड हासिल होना था. सूत्रों ने एनडीटीवी को  बताया कि हल्के बादलों की मौजूदगी ने कार्रवाई के वक्त स्पाइस 2000 ग्लाइड बमों के साथ क्रिस्टल मेज मिसाइलों की लांचिंग रोक दी. 

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भारतीय वायुसेना को भी उम्मीद थी कि वह इस मिसाइल के जरिए हमले का वीडियो फीड हासिल कर बाद में सार्वजनिक कर कार्रवाई का सुबूत दुनिया के सामने रखेगी, मगर ऐसा नहीं हो सका. बता दें कि 26 फरवरी को भारतीय वायुसेना के मिराज 2000 लड़ाकू विमानों ने नियंत्रण रेखा के पार जाकर पाकिस्तान में एयर स्ट्राइक की थी.इस दौरान कुल पांच स्पाइस 200 ग्लाइड बम गिराए गए थे. भले ही इजरायली उपकरण से एयर स्ट्राइक का वीडियो नहीं बन सका, मगर बाद में भारतीय वायुसेना को  एक मित्र रणनीतिक साझेदार से हासिल उच्च रिजॉल्यूशन उपग्रह चित्रों के जरिए अपनी सफलता का आकलन करने को मजबूर होना पड़ा था.

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यह बात दीगर है कि गोपनीयता से जुड़ी शर्तों के कारण इन तस्वीरों को एयरफोर्स ने फिलहाल दिखाने का फैसला नहीं लिया है. हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि  नॉन क्लालीफाइड तस्वीरों का भविष्य में सार्वजनिक प्रदर्शन किया जाएगा या नहीं. गौरतलब है कि भारतीय वायुसेना को एयर स्ट्राइक के दावे के बाद तब असहज होना पड़ा था, जब हमले के एक दिन बाद  यूरोपियन स्पेस इमेजिंग ने सेटेलाइट तस्वीरें जारी कर बालाकोट में किसी तरह की छति न होने का दावा किया था. इस संस्था केके प्रबंध निदेशक एड्रियन जेनबर्गेन के मुताबिक- इमारतों की तस्वीर देखने पर बम गिरने का कोई सुबूत नहीं दिखा.इमारतों की छतों में भी किसी तरह की सुराख नहीं दिखी और न ही आसपास किसी तरह की उथल-पुथल.

वीडियो- कितनी सफल रही एयर स्ट्राइक? 

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