नई दिल्ली:
बीजेपी ने दिल्ली पुलिस के एक कॉन्स्टेबल और निजी जासूसों के एक समूह द्वारा पार्टी के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली के कॉल डिटेल्स हासिल करने के मामले में सरकार द्वारा दी गई स्पष्टीकरण को खारिज करते हुए कहा है कि कुछ ऐसा है, जिसे सरकार छुपा रही है।
राज्यसभा में बीजेपी नेता वेंकैया नायडू ने आरोप लगाया कि सरकार उसे चेहरे को सामने लाने में सफल नहीं हुई है, जिन्होंने कॉन्स्टेबल और तीन जासूसों को इस काम के लिए लगाया था। वेंकैया नायडू ने सरकार पर इस मामले को हल्के में लेने का आरोप लगाया। सपा नेता रामगोपाल यादव ने कहा कि सरकार इस मामले में अधूरी जानकारी दे रही है।
बीजेपी नेता अरुण जेटली के कथित फोन टैपिंग मामले में गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने राज्यसभा में कहा कि यह फोन टैपिंग का मामला नहीं है, बल्कि गैर कानूनी तरीके से कॉल डाटा रिकॉर्ड निकालने की कोशिश की गई थी और पुलिस मामले की जांच कर रही है। शिंदे ने कहा कि इस मामले में सरकार का हाथ नहीं है और न ही सरकार ने जेटली का फोन इंटरसेप्ट करने को कहा था।
उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस ने 14 फरवरी को केस दर्ज किया और दिल्ली पुलिस के एक कॉन्स्टेबल सहित चार आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि गाजियाबाद के साहिबाबाद स्थित एक निजी जासूसी एजेंसी के कहने पर कॉन्स्टेबल ने गैरकानूनी तरीके से कॉल डिटेल हासिल करने की कोशिश की। आरोपी अनुराग सिंह का संबंध इसी जासूसी एजेंसी से है।
इससे पहले, बीजेपी नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने संसद भवन परिसर में संवाददताओं से कहा, सरकार लगातार जासूसी में लगी हुई है और सत्ता से जुड़े कई एजेंट हैं, जो नेताओं की जासूसी कर रहे हैं। पहले सरकार अपने ही मंत्रियों की जासूसी करती पाई गई और अब सहयोगियों और विपक्षी नेताओं की कर रही है। यह एक गंभीर मामला है।
उन्होंने कहा, सरकार जिनती ऊर्जा जासूसी पर खर्च कर रही है, अगर उसका 50 प्रतिशत देश की सुरक्षा और आतंकवाद एवं नक्सलवाद से मुकाबला करने पर खर्च किया जाए, तब देश को इसका फायदा होगा और सरकार को अपने दामन पर लगे कुछ दाग को धोने में मदद मिलेगी। केंद्रीय मंत्री हरीश रावत का कहना है कि फोन रिकॉर्ड निकालने के पीछे बीजेपी में जारी अंदरूनी गुटबाजी वजह है। हालांकि बीजेपी ने इसे सिरे से खारिज कर दिया है।
इस बीच, यह बात सामने आ रही है अरुण जेटली के साथ ही कुछ और बीजेपी नेताओं के फोन के रिकॉर्ड भी निकलवाने की कोशिश हुई। इनमें बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकरी और दिल्ली से बीजेपी के बड़े नेता विजय गोयल शामिल हैं। सूत्रों का यह भी कहना है कि कम से कम 60 लोगों के कॉल रिकॉर्ड निकालने की कोशिश की गई।
पिछले हफ्ते राज्यसभा में विपक्षी सदस्यों ने जेटली का फोन टैप किए जाने का मुद्दा उठाते हुए सरकार से स्पष्टीकरण की मांग की थी। इस मुद्दे पर हंगामे की वजह से सभापति को प्रश्नकाल में पांच मिनट के कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी थी।
सपा के नरेश गोयल ने जेटली का फोन टैप किए जाने का मुद्दा उठाते हुए कहा था कि विपक्ष के नेता का फोन टैप किया जा रहा है, यह एक गंभीर मुद्दा है और सरकार को इस पर जवाब देना चाहिए। जेडीयू, बीएसपी और बीजेपी सदस्यों ने उनकी बात का समर्थन किया। कुछ सदस्यों ने गृहमंत्री के जवाब की मांग करते हुए नारे भी लगाए थे। तब सदन में गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे मौजूद नहीं थे।
दिल्ली पुलिस ने जेटली के फोन टैपिंग के मामले में एक कॉन्सटेबल और तीन प्राइवेट जासूसों को गिरफ्तार किया है और उसका कहना है कि इन लोगों ने कई नेताओं के फोन डिटेल्स हासिल करने की कोशिश की।
राज्यसभा में बीजेपी नेता वेंकैया नायडू ने आरोप लगाया कि सरकार उसे चेहरे को सामने लाने में सफल नहीं हुई है, जिन्होंने कॉन्स्टेबल और तीन जासूसों को इस काम के लिए लगाया था। वेंकैया नायडू ने सरकार पर इस मामले को हल्के में लेने का आरोप लगाया। सपा नेता रामगोपाल यादव ने कहा कि सरकार इस मामले में अधूरी जानकारी दे रही है।
बीजेपी नेता अरुण जेटली के कथित फोन टैपिंग मामले में गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने राज्यसभा में कहा कि यह फोन टैपिंग का मामला नहीं है, बल्कि गैर कानूनी तरीके से कॉल डाटा रिकॉर्ड निकालने की कोशिश की गई थी और पुलिस मामले की जांच कर रही है। शिंदे ने कहा कि इस मामले में सरकार का हाथ नहीं है और न ही सरकार ने जेटली का फोन इंटरसेप्ट करने को कहा था।
उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस ने 14 फरवरी को केस दर्ज किया और दिल्ली पुलिस के एक कॉन्स्टेबल सहित चार आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि गाजियाबाद के साहिबाबाद स्थित एक निजी जासूसी एजेंसी के कहने पर कॉन्स्टेबल ने गैरकानूनी तरीके से कॉल डिटेल हासिल करने की कोशिश की। आरोपी अनुराग सिंह का संबंध इसी जासूसी एजेंसी से है।
इससे पहले, बीजेपी नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने संसद भवन परिसर में संवाददताओं से कहा, सरकार लगातार जासूसी में लगी हुई है और सत्ता से जुड़े कई एजेंट हैं, जो नेताओं की जासूसी कर रहे हैं। पहले सरकार अपने ही मंत्रियों की जासूसी करती पाई गई और अब सहयोगियों और विपक्षी नेताओं की कर रही है। यह एक गंभीर मामला है।
उन्होंने कहा, सरकार जिनती ऊर्जा जासूसी पर खर्च कर रही है, अगर उसका 50 प्रतिशत देश की सुरक्षा और आतंकवाद एवं नक्सलवाद से मुकाबला करने पर खर्च किया जाए, तब देश को इसका फायदा होगा और सरकार को अपने दामन पर लगे कुछ दाग को धोने में मदद मिलेगी। केंद्रीय मंत्री हरीश रावत का कहना है कि फोन रिकॉर्ड निकालने के पीछे बीजेपी में जारी अंदरूनी गुटबाजी वजह है। हालांकि बीजेपी ने इसे सिरे से खारिज कर दिया है।
इस बीच, यह बात सामने आ रही है अरुण जेटली के साथ ही कुछ और बीजेपी नेताओं के फोन के रिकॉर्ड भी निकलवाने की कोशिश हुई। इनमें बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकरी और दिल्ली से बीजेपी के बड़े नेता विजय गोयल शामिल हैं। सूत्रों का यह भी कहना है कि कम से कम 60 लोगों के कॉल रिकॉर्ड निकालने की कोशिश की गई।
पिछले हफ्ते राज्यसभा में विपक्षी सदस्यों ने जेटली का फोन टैप किए जाने का मुद्दा उठाते हुए सरकार से स्पष्टीकरण की मांग की थी। इस मुद्दे पर हंगामे की वजह से सभापति को प्रश्नकाल में पांच मिनट के कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी थी।
सपा के नरेश गोयल ने जेटली का फोन टैप किए जाने का मुद्दा उठाते हुए कहा था कि विपक्ष के नेता का फोन टैप किया जा रहा है, यह एक गंभीर मुद्दा है और सरकार को इस पर जवाब देना चाहिए। जेडीयू, बीएसपी और बीजेपी सदस्यों ने उनकी बात का समर्थन किया। कुछ सदस्यों ने गृहमंत्री के जवाब की मांग करते हुए नारे भी लगाए थे। तब सदन में गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे मौजूद नहीं थे।
दिल्ली पुलिस ने जेटली के फोन टैपिंग के मामले में एक कॉन्सटेबल और तीन प्राइवेट जासूसों को गिरफ्तार किया है और उसका कहना है कि इन लोगों ने कई नेताओं के फोन डिटेल्स हासिल करने की कोशिश की।
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