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दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi assembly elections) में बीजेपी को प्रचंड बहुमत से जीत मिली है. अब सबकी नजर नए सीएम चेहरे पर है. भारतीय जनता पार्टी की तरफ से मुख्यमंत्री किसे बनाया जाएगा इस बात की चर्चा जारी है. सूत्रों के हवाले से खबर है कि विधायकों के बीच से ही अगला सीएम बनाया जाएगा. किसी महिला को भी सीएम की कुर्सी दी जा सकती है.
जानकारी के अनुसार दिल्ली सरकार में सामाजिक समीकरणों का ध्यान रखा जाएगा. सरकार में सामाजिक समीकरणों को साधने के लिए डिप्टी सीएम भी बनाया जा सकता है. सरकार में महिलाओं और दलितों को प्रतिनिधित्व दिया जाएगा. गौरतलब है कि बीजेपी की चार महिला विधायक चुन कर आई हैं. नीलम पहलवान, रेखा गुप्ता, पूनम शर्मा और शिखा राय के नाम की भी चर्चा हो सकती है. बीजेपी के अनुसूचित जाति के चार विधायक चुनाव जीतकर आए हैं.
इन नामों की भी हो रही है चर्चा
मुख्यमंत्री किसे बनाया जाए इसे लेकर संभावनाओं पर बात करें तो इसके पीछे सामाज और जाति बड़ा फैक्टर है. मीडिया में सबसे पहला नाम प्रवेश वर्मा का चल रहा है. उनके बारे में जानिए.
प्रवेश वर्मा- प्रवेश एक ताकतवर जाट नेता हैं जो दिल्ली के गांवों से जुड़े हैं. बाहरी दिल्ली के गांवों से बीजेपी को भरपूर समर्थन मिला. बाहरी दिल्ली की सातों सीटें बीजेपी की झोली में आ गईं. इस लिहाज़ से वह मुख्यमंत्री की रेस में हैं. प्रवेश वर्मा अमित शाह के नज़दीकी हैं. लेकिन सवाल ये भी है कि क्या वह कार्यकर्ताओं की भी पसंद है.
मोहन सिंह बिष्ट- छठी बार विधायक बनें हैं. वह मुस्लिम बहुल मुस्तफाबाद सीट से चुनकर आए हैं. वह लंबे समय तक विधायक रहे है. बिष्ट पहाड़ी समाज के क़द्दावर नेता माने जाते हैं. इनको भी मीडिया मुख्यमंत्री या स्पीकर के पद पर संभावित चेहरे के तौर पर देख रही है. दिल्ली की सियासत में मोहन सिंह बिष्ट सबसे अनुभवी विधायक माने जाते हैं.
विजेंद्र गुप्ता- बीजेपी बीते दस साल से दिल्ली की सत्ता से भले ही दूर रही हों लेकिन विजेंद्र गुप्ता लगातार रोहिणी से जीतते रहे हैं. वह बीजेपी के स्टैंड को दमदार तरीक़े से विधानसभा में रखते रहे हैं. सरकारी कामकाज और दिल्ली सरकार की बारीकियों को बखूबी समझते हैं. रोहिणी में विकास के जो काम उन्होंने किए उसकी वजह से अमित शाह भी उनकी तारीफ़ कर चुके हैं. वह दिल्ली में बनिया जाति के दमदार नेता के तौर पर जाने जाते हैं.
राजकुमार चौहान- दिल्ली में 12 सुरक्षित सीटों में बीजेपी को इस बार चार सीटें मिली है. इनमें सबसे प्रमुख नाम राजकुमार चौहान का है. वह कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे हैं. बीजेपी ने उनको मंगोलपुरी सीट से उतारा था. उनको कामकाज का लंबा अनुभव है लेकिन कांग्रेसी पृष्ठभूमि उनका नकारात्मक बिंदु है. रवि इंद्रराज सिंह भी रेस में हैं.
कैलाश गंगवाल- मादीपुर से आम आदमी पार्टी की राखी बिड़ला को हराने वाले कैलाश गंगवाल का नाम भी सीएम की रेस में माना जा रहा है. जबकि बवाना से जीते रवि इंद्राज समेत चार दलित विधायकों को सरकार में अहम ज़िम्मेदारी मिल सकती है.
सतीश उपाध्याय- दिल्ली में ब्राह्मण चेहरे के तौर पर सतीश उपाध्याय और पवन शर्मा को भी मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर देखा जा रहा है. सतीश ने आम आदमी पार्टी के क़द्दावर नेता सोमनाथ भारती को मालवीय नगर से हराया है.उनको संगठन के कामकाज का लंबा अनुभव है और अनुभवी कार्यकर्ता की उनकी छवि है.
पवन शर्मा- उत्तम नगर से जीत का परचम बुलंद करने वाले पवन शर्मा भी दिल्ली के सीएम पद के दावेदार हो सकते हैं. इसकी वजह यह है कि वह खामोशी से काम करने वाले कार्यकर्ता रहे हैं. माना जाता है कि विधानसभा चुनाव का टिकट पाने में RSS से उनकी नज़दीकियां भी अहम वजह रही हैं.
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