दिल्ली में यमुना नदी का पानी और जहरीला हो गया है. इस बात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि नदी किनारे एक बार फिर हजारों मरी हुई मछलियां मिली हैं. दो दिन पहले ही यमुना के प्रदूषण पर दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) की एक रिपोर्ट आई थी जिसमें ये सामने आया था कि यमुना में बीओडी यानी बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड का स्तर जनवरी 2025 में स्वीकार्य मानक से 42 गुना ज्यादा बढ़ गया है. माना जाता है कि एक स्वच्छ नदी में बीओडी की मात्रा 3 मिलीग्राम/ लीटर से कम होनी चाहिए. मरी मछलियां कैसे यमुना के पानी को लेकर चिंता बढ़ा रही हैं. हमारे सहयोगी अली अब्बास नकवी ने खुद यमुना नदी में बोट से सफर किया और देखा कि हजारों की तादाद में मरी हुई मछलियां पानी में तैर रही हैं तो कई मछलियां किनारे पर पड़ी हुई हैं.
दिल्ली में बुराड़ी के पास यमुना नदी में हजारों की तादात में मरी हुई मछलियां पड़ी हुई मिली हैं, जिससे पूरे इलाके में बदबू आ रही है. इससे किसानों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. वहीं मछुआरों के लिए रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है क्योंकि जितनी भी मछलियां हैं, वो ज्यादातर मरी हुई आ रही हैं. इसके कारण ना वो मछलियों को बाजार में बेच सकते हैं और ना ही उनके लिए कोई रोजगार बचा है.

पहले पीते थे यमुना का पानी: किसान नेता
किसान नेता रविंद्र त्यागी ने बताया कि सोनीपत में बनी इंडस्ट्रीयल कंपनी का केमिकल वाला पानी जब-जब नदी में छोड़ा जाता है तो इसी तरह का मंजर देखने को मिलता है. वहीं इस पानी में इतनी बदबू है कि इसमें कोई हाथ तक नहीं धो सकता है. साथ ही जो पानी में उतरेगा उसे खुजली और चर्म रोग तक होने का खतरा है. 1978 से पहले का जिक्र करते हुए रविंद्र त्यागी कहते हैं कि उस वक्त यमुना का पानी इतना साफ होता था कि हम लोग आराम से इसे पीते थे.
पानी में उतरे तो चर्म रोग होने का खतरा!
किसान नेता रविंद्र त्यागी ने बताया कि सोनीपत में बनी इंडस्ट्रीयल कंपनी का केमिकल वाला पानी जब-जब नदी में छोड़ा जाता है तो इसी तरह का मंजर देखने को मिलता है. वहीं इस पानी में इतनी बदबू है कि इसमें कोई हाथ तक नहीं धो सकता है. साथ ही जो पानी में उतरेगा उसे खुजली और चर्म रोग तक होने का खतरा है. 1978 से पहले का जिक्र करते हुए रविंद्र त्यागी कहते हैं कि उस वक्त यमुना का पानी इतना साफ होता था कि हम लोग आराम से इसे पीते थे.

मछुआरों को कितना हो रहा नुकसान
मछुआरों का कहना है कि ना ही कोई इन मरी हुई मछलियों को खरीदेगा और ना ही मछुआरे इन मरी हुई मछलियों को बेचने जाएंगे, जिससे उनका रोजगार ही बंद हो जाएगा. इसके कारण ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ेगा. वहीं कई मछुआरों ने कहा कि हम सब इस पानी में उतरते हैं तो चर्म रोग की शिकायत हो जाती है. इसके कारण बहुत अधिक खुजली होती है.
यमुना के प्रदूषण के लिए जिम्मेदार कौन?
सेंट्रल वॉटर कमीशन के पूर्व चेयरमैन एके बजाज हथिनीकुंड बैराज को याद करते हुए बताते हैं कि 1873 तक इसे ताजेवाला बैराज के नाम से जाना जाता था. यह हथिनीकुंड बैराज हरियाणा के यमुनानगर में है. इसका पानी दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में नहर के जरिए आता है.
उन्होंने कहा कि पानी में अमोनिया और अन्य दूषित पदार्थों की शिकायत हमेशा एनजीटी और ग्रीन ट्रिब्यूनल आदि को दी गई है. बुराड़ी में जिस तादाद में मछलियां मरी हुई मिली हैं, उससे पता चलता है कि यमुना में ज्यादातर प्रदूषित पानी हरियाणा से आता है. इसके कारण मछलियां मर रही हैं, क्योंकि पानी में केमिकल के जरिए जहर मिल जाता है और जिसके बाद यह सब होता है. इसके लिए हरियाणा पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड भी कम जिम्मेदार नहीं है.

क्या कह रहा हरियाणा प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड?
हमने हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वॉटर सेल के नोडल अधिकारी जतिंद्र पाल से बात की. उन्होंने NDTV की इस रिपोर्ट को संज्ञान में लिया और कहा कि जरूर इस पर जांच बिठाएंगे. जतिंद्र पाल ने कहा कि मछलियां मर रही हैं तो जरूर दूषित पानी की वजह से ही मर रही हैं.
उन्होंने कहा कि इस पर हम जांच और निरीक्षण करेंगे कि कहां पर कमी है क्योंकि सोनीपत से ड्रेन 6 के जरिए इंडस्ट्री का पानी यमुना में गिरता है. हम जांच करेंगे कि ड्रेन 6 में कोई लीकेज तो नहीं है. वहीं किसानों ने अपने आरोप में कहा है कि ड्रेन 8 में औद्योगिक कंपनी का केमिकल वाला पानी छोड़ा जाता है, जिससे ये हालात बने हैं. साथ ही जतिंद्र पाल सिंह ने कहा कि हम ड्रेन 8 तभी खोलते हैं, जब पानी ओवरफ्लो हो जाता है.
यमुना के प्रदूषण पर राजनीति भी हो गई शुरू
बीजेपी दिल्ली में यमुना की सफाई को लेकर चुनाव मैदान में उतरी थी. वहीं अब आम आदमी पार्टी इसे मुद्दा बना रही है. आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता कुलदीप यादव का कहना है कि सोनीपत से अगर बीजेपी चाहे तो केमिकल वाला पानी रुकवा सकती है, क्योंकि उनकी खुद वहां पर सरकार है, लेकिन वो दिल्ली की जनता के लिए केमिकल का पानी छुड़वा रहे हैं. वहीं बीजेपी के प्रवक्ता और दिल्ली एवं सेंट्रल प्रदूषण कंट्रोल कमेटी के सदस्य अनिल गुप्ता का कहना है कि इसकी जांच की जाएगी. साथ ही बीजेपी यमुना को 3-4 साल में सबसे बेहतर बनाएगी.
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