जगजीत सिंह डल्लेवाल 26 नवंबर से भूख हड़ताल पर हैं. 70 वर्षीय डल्लेवाल की हालत दिन-ब-दिन बिगड़ रही है. डॉक्टर्स कह चुके हैं कि डल्लेवाल अगर यूं ही भूख हड़ताल पर रहे, तो उनकी जान को खतरा है, लेकिन वह मानने को तैयार नहीं हैं. डल्लेवाल किसान नेता हैं, जो एमएसपी समेत कई मांगों को लेकर भूख हड़ताल कर रहे हैं. डल्लेवाल की सेहत का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है. अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल कर रहे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल को अस्पताल ले जाने के लिए मनाने के सिलसिले में पंजाब सरकार को 31 दिसंबर तक का समय दिया. पंजाब सरकार के पास अब सिर्फ एक दिन का समय है.
कौन हैं डल्लेवाल?
जगजीत सिंह डल्लेवाल की हुंकार पर ही पंजाब के हजारों किसान सड़कों पर विरोध प्रदर्शन के लिए उतरे हैं. डल्लेवाल भारतीय किसान यूनियन (एकता सिधपुर) के अध्यक्ष हैं. जगजीत सिंह डल्लेवाल, पंजाब के फरीदकोट में आने वाले डल्लेवाल गांव के रहने वाले हैं. वह पढ़े-लिखे किसान हैं. खेती उनका पुश्तैनी काम है. डल्लेवाल ने अपनी पोस्टग्रैजुएशन पंजाबी यूनिवर्सिटी से पूरा की और फिर खेती में जुट गए. उनकी भारतीय किसान यूनियन (एकता सिधपुर) 2022 में ही संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) से अलग होकर बना संगठन है. यह संगठन 150 किसान यूनियनों को मिलाकर बना है, जो कि राजनीति में शामिल नहीं हैं.
डल्लेवाल की सेहत पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की अवकाशकालीन पीठ ने एक अभूतपूर्व सुनवाई करते हुए, स्थिति को बिगड़ने देने तथा डल्लेवाल को चिकित्सकीय सहायता प्रदान करने के उसके पूर्व निर्देशों का पालन नहीं करने पर पंजाब सरकार को फटकार लगाई. डल्लेवाल 26 नवंबर से भूख हड़ताल पर हैं और उनकी हालत लगातार बिगड़ रही है. पंजाब सरकार ने डल्लेवाल को अस्पताल ले जाने में असमर्थता व्यक्त करते हुए कहा कि उसे प्रदर्शनकारी किसानों के प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है, जिन्होंने डल्लेवाल को घेर लिया है और वे उन्हें अस्पताल नहीं ले जाने दे रहे.
किसानों की क्या हैं मांगें
- डल्लेवाल फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी सहित किसानों की विभिन्न मांगों को लेकर केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए 26 नवंबर से खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन कर रहे हैं.
- किसानों की सबसे प्रमुख मांगों में से एक है न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी है. एमएसपी वह न्यूनतम मूल्य है जिस पर सरकार किसानों से उनकी फसल खरीदती है. किसानों का मानना है कि एमएसपी की गारंटी होने से उनकी आय सुनिश्चित होगी और उन्हें अपनी फसलों के उचित दाम मिलेंगे.
- कृषि कानूनों का वापस लिया जाना: 2020 में केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन नए कृषि कानूनों का किसानों ने विरोध किया था. इन कानूनों से किसानों को डर था कि इससे उन्हें मंडियों से बाहर निकाल दिया जाएगा और वे बड़े कॉर्पोरेट घरानों के शोषण का शिकार हो जाएंगे. इसलिए, किसान इन कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं.
- किसानों का एक बड़ा हिस्सा कर्ज में डूबा हुआ है. किसानों की मांग है कि सरकार उनका कर्ज माफ करे.
- किसानों को सिंचाई के लिए बिजली की आवश्यकता होती है. किसानों की मांग है कि बिजली दरों में कमी की जाए ताकि उनकी खेती की लागत कम हो सके.
- किसानों की फसल प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़, सूखा आदि से नष्ट हो जाती है. किसानों की मांग है कि सरकार फसल बीमा योजना को मजबूत बनाए ताकि उन्हें प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान की भरपाई मिल सके.
- किसानों का मानना है कि बड़े व्यापारी और बिचौलिए किसानों को उचित दाम नहीं देते हैं. किसानों की मांग है कि सरकार बाजार में हस्तक्षेप करके किसानों को उचित दाम दिलाए.
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