
- 114 वर्ष के ब्रिटिश मैराथन धावक फौजा सिंह का सोमवार को पंजाब के ब्यास पिंड के पास सड़क हादसे में निधन हो गया.
- फौजा सिंह ने 89 वर्ष की उम्र में मैराथन दौड़ना शुरू किया और लंदन मैराथन में छह घंटे चौवन मिनट में दौड़ पूरी की.
- फौजा सिंह ने अपने जीवन में कई अंतरराष्ट्रीय मैराथन में भाग लिया और सिख संस्कृति को विश्व स्तर पर बढ़ावा दिया.
सपने देखने और उसे पूरा करने की कोई उम्र नहीं होती. आप जो करना चाहते हैं, उसे कभी भी, किसी भी उम्र में शुरू कर सकते हैं. भारतीय मूल के ब्रिटिश मैराथन एथलीट फौजा सिंह की कहानी हमें यही सिखाती है. 114 वर्ष के मैराथन धावक फौजा सिंह नहीं रहे. सोमवार की शाम पंजाब के ब्यास पिंड गांव के पास जलंधर-पठानकोट एनएच के किनारे सड़क पार करने के दौरान तेज रफ्तार कार ने उन्हें टक्कर मार दी. इस सड़क हादसे में घायल होने के बाद अस्पताल में इलाज के दौरान उनका निधन हो गया.
टर्बन्ड टोर्नाडो के नाम से मशहूर फौजा सिंह ने 100 मीटर से लेकर 5,000 मीटर तक की दौड़ में कई विश्व रिकॉर्ड तोड़े हैं, जबकि लंदन, ग्लासगो, टोरंटो, हांगकांग में कई मैराथन दौड़ में बड़ी उपलब्धियां अपने नाम की हैं. जीवन के एक दुखद मोड़ ने उन्हें दौड़ने की प्रेरणा दी और फिर 89 साल की उम्र में उन्होंने मैराथन की दुनिया में कदम रखा. इस सिख धावक की यात्रा अविश्वसनीय रही है और दुनियाभर के लोगों के लिए प्रेरणादायक है.
एक किसान से 'टर्बन्ड टोर्नाडो' तक का सफर
2011 में टर्बन्ड टोर्नाडो नाम से फौजा सिंह की बायोग्राफी में स्तंभकार खुशवंत सिंह ने किसान परिवार में जन्में फौजा सिंह के जीवन-संघर्षों के बारे में बताया है. 1 अप्रैल, 1911 को जालंधर, पंजाब (जो उस समय ब्रिटिश भारत का हिस्सा था) के ब्यास पिंड में जन्मे फौजा सिंह एक किसान परिवार के चार बच्चों में सबसे छोटे थे.
उनका बचपन आसान नहीं था. पतले और कमजोर पैरों के कारण वे 5 साल की उम्र तक चल भी नहीं पाते थे, जिससे लंबी दूरी चलना उनके लिए मुश्किल था. बड़े होकर, उन्होंने अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए खेती करना शुरू किया. 1992 में, अपनी पत्नी जियान कौर के निधन के बाद, वे अपने बेटे के साथ इंग्लैंड चले गए और पूर्वी लंदन में बस गए.

एक दुख से जन्मी प्रेरणा और शुरू कर दिया दौड़ना
अगस्त 1994 में, अपने पांचवें बेटे कुलदीप को खोने के गहरे दुख से उबरने के लिए फौजा सिंह ने जॉगिंग शुरू की. लेकिन वे साल 2000 तक बहुत सीरियस नहीं थे. 89 साल की उम्र में, उन्होंने दौड़ने को गंभीरता से लेने का फैसला किया. उसी साल, उन्होंने अपनी पहली पूर्ण मैराथन, लंदन मैराथन, 6 घंटे 54 मिनट में पूरी करके सुर्खियां बटोरीं. इस असाधारण उपलब्धि ने 90-प्लस आयु वर्ग में पिछले विश्व के सर्वश्रेष्ठ समय में 58 मिनट की कटौती की.
इसके बाद, फौजा सिंह एक बहुमुखी(prolific) लंबी दूरी के धावक बन गए, जिन्होंने न्यूयॉर्क, टोरंटो और मुंबई में मैराथन में भाग लिया. उन्हें उनके निजी प्रशिक्षक, हरमिंदर सिंह का लगातार समर्थन मिला.
उनका व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ मैराथन समय 2003 टोरंटो वाटरफ्रंट मैराथन में आया, जहाँ उन्होंने '90 से अधिक' श्रेणी में 5 घंटे 40 मिनट में दौड़ पूरी की. अपनी प्रतिस्पर्धी दौड़ के अलावा, फौजा सिंह ने विभिन्न चैरिटी के लिए सक्रिय रूप से धन जुटाया और मैराथन में अपनी भागीदारी के माध्यम से विश्व स्तर पर सिख संस्कृति को बढ़ावा दिया.
सौ साल की उम्र में रिकॉर्डों की झड़ी
2011 में, 100 साल की उम्र में, फौजा सिंह ने कनाडा के टोरंटो में बर्चमाउंट स्टेडियम में विशेष ओंटारियो मास्टर्स एसोसिएशन फौजा सिंह इंविटेशनल मीट में एक ही दिन में आठ विश्व रिकॉर्ड (एज-ग्रुप) बनाए. कनाडाई अधिकारियों द्वारा समयबद्ध, उन्होंने एक ही दिन में अपने आयु वर्ग के लिए पांच विश्व रिकॉर्ड तोड़े, जबकि बाकी तीन के लिए पहले कोई निशान नहीं थे, क्योंकि उनकी उम्र में किसी ने भी उन रिकॉर्डों का प्रयास नहीं किया था. उनके कुछ समय तो 95 वर्षीय आयु वर्ग के मौजूदा रिकॉर्डों से भी बेहतर थे.
वे विश्व रिकॉर्ड हैं जो उन्होंने ओंटारियो मास्टर्स एसोसिएशन इंविटेशनल मीट में तोड़े:
- 100 मीटर: 23.40 सेकंड (पिछला 29.83)
- 200 मीटर: 52.23 सेकंड (पिछला 77.59 सेकंड)
- 400 मीटर: 2:13.48 (पिछला 3:41.00)
- 800 मीटर: 5:32.18 (कोई पिछला रिकॉर्ड नहीं)
- 1,500 मीटर: 11:27.00 (पिछला 16:46.00)
- 1 मील: 11:53.45 (कोई पिछला रिकॉर्ड नहीं)
- 3,000 मीटर: 24:52.47 (कोई पिछला रिकॉर्ड नहीं)
- 5,000 मीटर: 49:57.39 (कोई पिछला रिकॉर्ड नहीं)
16 अक्टूबर, 2011 को, फौजा सिंह मैराथन पूरी करने वाले पहले शताब्दी वर्ष के व्यक्ति बन गए, उन्होंने टोरंटो वाटरफ्रंट मैराथन 8 घंटे, 11 मिनट और 6 सेकंड में पूरी की.
ओलंपिक के मशालवाहक रहे
फौजा सिंह लंदन 2012 ओलंपिक के लिए मशालवाहक थे. उन्होंने 101 साल की उम्र में प्रतिस्पर्धी लंबी दूरी की दौड़ से आधिकारिक तौर पर संन्यास ले लिया, हांगकांग, चीन में अपनी आखिरी दौड़, एक 10 किमी की दौड़, 1 घंटे, 32 मिनट और 28 सेकंड में पूरी की. मैराथन में उन्होंने कई रिकॉर्ड अपने नाम किए.
- 2000 लंदन मैराथन: 6 घंटे 54 मिनट
- 2001 लंदन मैराथन: 6 घंटे 54 मिनट
- 2002 लंदन मैराथन: 6 घंटे 45 मिनट
- 2003 लंदन मैराथन: 6 घंटे 2 मिनट
- 2003 टोरंटो वाटरफ्रंट मैराथन: 5 घंटे 40 मिनट (व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ)
- 2003 न्यूयॉर्क सिटी मैराथन: 7 घंटे 35 मिनट
- 2004 लंदन मैराथन: 6 घंटे 7 मिनट
- 2004 ग्लासगो सिटी हाफ मैराथन: 2 घंटे 33 मिनट
- 2004 टोरंटो वाटरफ्रंट हाफ मैराथन: 2 घंटे 29 मिनट 59 सेकंड
- 2011 टोरंटो वाटरफ्रंट मैराथन: 8 घंटे 11 मिनट
- 2012 लंदन मैराथन: 7 घंटे 49 मिनट 21 सेकंड
- 2012 हांगकांग मैराथन (10 किमी): 1 घंटे 34 मिनट
- 2013 हांगकांग मैराथन (10 किमी): 1 घंटे 32 मिनट 28 सेकंड
साल 2021 में, निर्देशक ओमंग कुमार बी ने फौजा नाम से एक बायोपिक अनाउंस किया. 13 नवंबर, 2003 को, उन्हें नेशनल एथनिक कोएलिशन द्वारा एलिस आइलैंड मेडल ऑफ ऑनर से सम्मानित किया गया. यह सम्मान पाने वाले वो पहले गैर-अमेरिकी बन गए. 2011 में, उन्हें प्राइड ऑफ इंडिया का खिताब भी दिया गया. फौजा सिंह ताउम्र शाकाहारी रहे और PETA अभियान में शामिल होने वाले सबसे उम्रदराज व्यक्ति थे. डेविड बेकहम और मोहम्मद अली जैसे मशहूर खिलाड़ियों के साथ एक प्रमुख स्पोर्ट्स ब्रैंड के विज्ञापन में भी दिखाई दिए.
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