नई दिल्ली:
संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हो गया है और इस मौके पर लोकसभा में संविधान दिवस पर चर्चा हो रही है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी इस अवसर पर संविधान के निर्माता माने जाने वाले डॉ बी आर अंबेडकर के बारे में कहा कि उन्होंने अर्थशास्त्र की उच्च शिक्षा हासिल की थी और वह अपने क्षेत्र में बेजोड़ थे, साथ ही उन्होंने अनुसूचित जाति के लोगों को आवाज़ देने के लिए संघर्ष किया था। डॉ अंबेडकर के बारे में आगे बोलते हुए सोनिया ने कहा ‘जिस शानदार संविधान का हम सब सम्मान करते हैं, जिसकी रक्षा की हम शपथ लेकर संसद में प्रवेश करते हैं, उस पर ऐसे बेहतरीन दिमाग और महान आत्मा की छाप है जो इस संसार में कभी कभी ही जन्म लेती है।'
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सोनिया गांधी ने मौजूदा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि ‘हमने पिछले महीनों में जो कुछ भी देखा वो पूरी तरह उन मूल्यों के खिलाफ है जिसको संविधान द्वारा सुनिश्चित किया गया है। वह जिनकी संविधान में आस्था नही रही है, न इसके निर्माण में कोई भूमिका रही है वो आज इसका नाम जप रहे हैं, वह आज इसके अगुवा बनना चाहते हैं।‘ अपनी बात पूरी करते हुए सोनिया ने कहा कि ‘जिनकी संविधान में आस्था नहीं है ऐसे लोग आज संविधान की बहस कर रहे हैं, इससे बड़ा मजाक और क्या हो सकता है।'
अंबेडकर की दी गई चेतावनी
इसके बाद संविधान के इतिहास पर अपनी राय रखते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने मार्च 1931 में कराची में हुए अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के अधिवेशन का जिक्र किया जिसमें ‘जवाहरलाल नेहरू ने मूलभूत अधिकारों और आर्थिक नीति से संबंधित प्रस्ताव तैयार करके उसे पारित करवाया था।‘ सोनिया ने कहा कि भारतीय संविधान अदभुत रूप से लचीला साबित हुआ है और इसमें सौ से अधिक संशोधन हो चुके हैं जिनमें से अधिकांश बदलती परिस्थिति और उभरते चुनौतियों के नतीजे हैं।
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इसके साथ ही सोनिया ने अम्बेडकर की उस चेतावनी को याद दिलाया जब उन्होंने कहा था - कोई संविधान कितना भी अच्छा क्यों न हो, यदि उसे लागू करने वाले लोग बुरे निकले तो वह निश्चित रूप से बुरा ही साबित होगा। उसी तरह कितना भी बुरा संविधान क्यों न हो यदि उसे लागू करने वाले अच्छे हुए तो वो अच्छा ही साबित होगा।
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सोनिया गांधी ने मौजूदा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि ‘हमने पिछले महीनों में जो कुछ भी देखा वो पूरी तरह उन मूल्यों के खिलाफ है जिसको संविधान द्वारा सुनिश्चित किया गया है। वह जिनकी संविधान में आस्था नही रही है, न इसके निर्माण में कोई भूमिका रही है वो आज इसका नाम जप रहे हैं, वह आज इसके अगुवा बनना चाहते हैं।‘ अपनी बात पूरी करते हुए सोनिया ने कहा कि ‘जिनकी संविधान में आस्था नहीं है ऐसे लोग आज संविधान की बहस कर रहे हैं, इससे बड़ा मजाक और क्या हो सकता है।'
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इसके बाद संविधान के इतिहास पर अपनी राय रखते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने मार्च 1931 में कराची में हुए अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के अधिवेशन का जिक्र किया जिसमें ‘जवाहरलाल नेहरू ने मूलभूत अधिकारों और आर्थिक नीति से संबंधित प्रस्ताव तैयार करके उसे पारित करवाया था।‘ सोनिया ने कहा कि भारतीय संविधान अदभुत रूप से लचीला साबित हुआ है और इसमें सौ से अधिक संशोधन हो चुके हैं जिनमें से अधिकांश बदलती परिस्थिति और उभरते चुनौतियों के नतीजे हैं।
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इसके साथ ही सोनिया ने अम्बेडकर की उस चेतावनी को याद दिलाया जब उन्होंने कहा था - कोई संविधान कितना भी अच्छा क्यों न हो, यदि उसे लागू करने वाले लोग बुरे निकले तो वह निश्चित रूप से बुरा ही साबित होगा। उसी तरह कितना भी बुरा संविधान क्यों न हो यदि उसे लागू करने वाले अच्छे हुए तो वो अच्छा ही साबित होगा।
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