प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भारत को जच्चा-बच्चा में होने वाले टिटनेस से मुक्त घोषित कर दिया है। यह बात यहां गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कही।
मोदी ने यह बात दुनियाभर में जच्चा-बच्चा की असमय मौतों के मामलों में कमी लाने की एक पहल 'कॉल टू एक्शन समिट 2015' के उद्घाटन पर कही। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के दौरान लिए गए निर्णय अगले 15 वर्षो में दुनिया को एक आकार देंगे।
मोदी ने कहा, "मैं भारत द्वारा हासिल किए एक और मील के पत्थर के बारे में बताकर खुश हूं। भारत जच्चा-बच्चा टिटनेस से मुक्त हो गया है। इसकी पुष्टि वैश्विक लक्ष्य पाने की तारीख दिसंबर 2015 से बहुत पहले हो गई है। इससे हमें अन्य लक्ष्यों को निर्धारित समय से पूर्व हासिल करने का आत्मविश्वास मिलता है।"
मोदी ने कहा कि सरकार राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत नवजात की समुदाय और सुविधा दोनों स्तर पर सतत देखरेख पर जोर दे रही है।
उन्होंने यह भी बताया कि सरकार सरकारी योजना का लाभ उठा रही माताओं और बच्चों के ट्रैक रिकॉर्ड पर भी नजर रख रही है और कार्यक्रम में सुधार के लिए उसी के मुताबिक कदम उठा रही है।
दो दिवसीय शिखर सम्मेलन 'कॉल टू एक्शन' में दुनियाभर से 600 से अधिक प्रतिनिधि भाग लेंगे और जच्चा-बच्चा मृत्युदर में कमी लाने पर विचार-विमर्श करेंगे।
स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा और सेनेगल, दक्षिण सूडान, अफगानिस्तान एवं इथियोपिया सहित कई देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों ने इसमें शिरकत की।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, वैश्विक आबादी में 24 देशों का 36 फीसदी हिस्सा है और जच्चा-बच्चा मौतों के मामले में 70 फीसदी हिस्सा है। दुनियाभर में हर साल करीब 2,89,000 माताओं और पांच साल से कम उम्र के करीब 63 लाख बच्चों की असमय मौत होती है।
मोदी ने यह भी कहा कि एक ऐसी प्रणाली तैयार करने की जरूरत है, जहां हाशिए पर आए समुदायों को वैश्विक स्वास्थ्य देखभाल और वित्तीय सुरक्षा मिले।
उन्होंने कहा, "भारत को प्रौद्योगिकी, प्रणाली को मजबूत बनाने और कार्यक्रम क्रियान्वयन संक्षेपण की दिशा में किसी भी देश से सहायता लेने-देने में खुशी होगी। हम कर्मचारियों को बाल रोगों के बेहतर प्रबंधन और हमारे घरेलू नवजात देखरेख अनुभव को साझा करने का प्रशिक्षण दे सकते हैं।"
मोदी ने यह बात दुनियाभर में जच्चा-बच्चा की असमय मौतों के मामलों में कमी लाने की एक पहल 'कॉल टू एक्शन समिट 2015' के उद्घाटन पर कही। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के दौरान लिए गए निर्णय अगले 15 वर्षो में दुनिया को एक आकार देंगे।
मोदी ने कहा, "मैं भारत द्वारा हासिल किए एक और मील के पत्थर के बारे में बताकर खुश हूं। भारत जच्चा-बच्चा टिटनेस से मुक्त हो गया है। इसकी पुष्टि वैश्विक लक्ष्य पाने की तारीख दिसंबर 2015 से बहुत पहले हो गई है। इससे हमें अन्य लक्ष्यों को निर्धारित समय से पूर्व हासिल करने का आत्मविश्वास मिलता है।"
मोदी ने कहा कि सरकार राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत नवजात की समुदाय और सुविधा दोनों स्तर पर सतत देखरेख पर जोर दे रही है।
उन्होंने यह भी बताया कि सरकार सरकारी योजना का लाभ उठा रही माताओं और बच्चों के ट्रैक रिकॉर्ड पर भी नजर रख रही है और कार्यक्रम में सुधार के लिए उसी के मुताबिक कदम उठा रही है।
दो दिवसीय शिखर सम्मेलन 'कॉल टू एक्शन' में दुनियाभर से 600 से अधिक प्रतिनिधि भाग लेंगे और जच्चा-बच्चा मृत्युदर में कमी लाने पर विचार-विमर्श करेंगे।
स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा और सेनेगल, दक्षिण सूडान, अफगानिस्तान एवं इथियोपिया सहित कई देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों ने इसमें शिरकत की।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, वैश्विक आबादी में 24 देशों का 36 फीसदी हिस्सा है और जच्चा-बच्चा मौतों के मामले में 70 फीसदी हिस्सा है। दुनियाभर में हर साल करीब 2,89,000 माताओं और पांच साल से कम उम्र के करीब 63 लाख बच्चों की असमय मौत होती है।
मोदी ने यह भी कहा कि एक ऐसी प्रणाली तैयार करने की जरूरत है, जहां हाशिए पर आए समुदायों को वैश्विक स्वास्थ्य देखभाल और वित्तीय सुरक्षा मिले।
उन्होंने कहा, "भारत को प्रौद्योगिकी, प्रणाली को मजबूत बनाने और कार्यक्रम क्रियान्वयन संक्षेपण की दिशा में किसी भी देश से सहायता लेने-देने में खुशी होगी। हम कर्मचारियों को बाल रोगों के बेहतर प्रबंधन और हमारे घरेलू नवजात देखरेख अनुभव को साझा करने का प्रशिक्षण दे सकते हैं।"
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