देश के राष्ट्रगीत 'वंदे मातरम' के 150 साल पूरे होने पर दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में PM मोदी ने कहा कि एक समय भारत की GDP दुनिया की जीडीपी का एक चौथाई हिस्सा थी. उन्होंने इस कार्यक्रम में कहा, 'ये धरती हमेशा सोना उगलने की ताकत रखती है. सदियों तक दुनिया भारत की समृद्धि की कहानियां सुनती रही थी.कुछ ही शताब्दी पहले तक ग्लोबल जीडीपी का करीब एक चौथाई हिस्सा भारत के पास था.'
प्रधानमंत्री मोदी की कही इस बात के पीछे ठोस ऐतिहासिक डेटा और प्रमाण मौजूद हैं कि भारत की वैश्विक जीडीपी (GDP) में हिस्सेदारी ऐतिहासिक रूप से बहुत बड़ी रही है. भारत यूं ही नहीं 'सोने की चिड़िया' कहा जाता था... कई दशक पहले तक दुनिया का लगभग एक-चौथाई या उससे अधिक हिस्सा भारत के पास था. अंतरराष्ट्रीय इतिहासकार भी इस बात को दर्ज कर चुके हैं.

ऐतिहासिक डेटा और फैक्ट्स
एक बड़े अंतरराष्ट्रीय आर्थिक इतिहासकार हुए, एंगस मैडिसन. उनकी एक शोध रिपोर्ट के अनुसार, आज से 2024 साल पहले यानी ईस्वी सन 1 के आसपास वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत का योगदान करीब 33% था. रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 1000 में ग्लोबल इकोनॉमी में भारत का हिस्सा करीब 28% था, जबकि वर्ष 1700 आने तक भी भारत की हिस्सेदारी करीब 27% रही.
आर्थिक अध्ययन बताते हैं कि भारत की समृद्धि के पीछे यहां की कामकाजी आबादी, कृषि उत्पादन, हस्तशिल्प, सूती वस्त्र उद्योग और सोने-चांदी के व्यापार में नेतृत्व जैसे कारण थे.
हर 4 रुपये में 1 रुपया भारत का!
16वीं-17वीं सदी के दौरान भी भारत की जीडीपी वैश्विक जीडीपी का करीब 24-25% थी. इसका मतलब उस दौर में हर चार में से एक रुपया दुनिया के कुल उत्पादन का भारत से आता था.
1820 तक ये हिस्सेदारी घटकर 16% रह गई. खासकर औपनिवेशिक शोषण और ब्रिटिश काल में 1947 तक ग्लोबल इकोनॉमी में भारत की हिस्सेदारी गिरकर 4% रह गई.

इस तरह घटती गई हिस्सेदारी
अंग्रेजों के आने और औपनिवेशिक शोषण के कारण भारत की वैश्विक जीडीपी में हिस्सेदारी में भारी गिरावट आई. भारत पर मुगलों के आक्रमण के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी के जरिये अंग्रेजों द्वारा भारत पर पूर्ण नियंत्रण स्थापित करने के बाद से भारत के वैभवकाल को ग्रहण लग गया.
हॉर्वर्ड यूनिवर्सिटी के जेफ्रे विलियमसन के 'इंडियाज डीइंडस्ट्रीयलाइजेशन इन 18 एंड 19 सेंचुरीज' के अनुसार, वैश्विक औद्योगिक उत्पादन में भारत का हिस्सा, ईस्ट इंडिया कंपनी के भारत में रहते, जो 1750 में 25 फीसदी था, घट कर 1900 में 2 फीसदी तक आ गया. वहीं इंग्लैंड (ब्रिटेन) का हिस्सा जो 1700 में 2.9 फीसदी था, 1870 तक ही बढ़कर 9 फीसदी हो गया था.
अब फिर से तेजी से बढ़ रही देश की GDP
पिछले एक दशक में एक बार फिर देश की इकोनॉमी ने रफ्तार पकड़ी है. 2014 से 2025 के दौरान देश की GDP लगभग दोगुनी होकर 2 ट्रिलियन डॉलर से 4.5 ट्रिलियन डॉलर के पार पहुंच गई है. इस ग्रोथ के पीछे 6.5% से 7.8% की उच्च वार्षिक विकास दर, विदेशी निवेश (FDI) का तेजी से बढ़ना और निर्यात में भारी उछाल जैसे फैक्टर्स भी शामिल हैं. इस दौरान शेयर मार्केट भी तेजी से बढ़ा है. सेंसेक्स 27,000 से बढ़कर 81,000 अंक तक पहुंच गया है. भारत फिलहाल दुनिया की टॉप-5 इकोनॉमी में शामिल है, जबकि टॉप-3 इकोनॉमी में शामिल होने की ओर तेजी से बढ़ रहा है.
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