पठानकोट हमले की फाइल फोटो।
पठानकोट:
2 जनवरी को तड़के 3 बजे एयरबेस गोलियों की गूंज से थर्रा उठा। छह आतंकियों के फिदायीन दस्ते ने इस हमले को अंजाम दिया। आतंकियों की सीमापार अपने आकाओं से फोन पर बातचीत के आधार पर माना जा रहा है कि यह सभी पठानकोट के सीमावर्ती बामियाल सेक्टर से घुसपैठ कर 31 दिसंबर की रात में भारतीय सीमा में दाखिल हुए होंगे।
यहां से जिस रास्ते से आतंकी एयरबेस तक पहुंचे, NDTV की टीम ने उसका जायजा लिया। आपको बताने की कोशिश करते हैं कि 31 दिसंबर की रात से 1 जनवरी तक क्या हुआ होगा।
1. उझ नदी : आतंकियों की पहली लोकेशन यहीं मिली है। इस नदी पर बना पुल बीएसएफ की डिंडा बॉर्डर आउटपोस्ट से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर है। रावी की यह उप नदी दो बार पाकिस्तान की सीमा में प्रवेश करती है और वापस आती है। इसके किनारे घने जंगल हैं और बॉर्डर की कटीली बाड़ कई जगह टूटी हुई है। ऐसा माना जा रहा है कि आतंकी यहां पर करीब 9 बजे पहुंचे होंगे।
2. बामियाल चौक: उझ पुल से पैदल करीब 15-20 किलोमीटर की दूरी पर है। आतंकियों ने यहां पहुंचकर इनोवा कार हाईजैक की। पास ही फगवाल गांव है, जहां के टैक्सी ड्राइवर इकागर सिंह किसी रिश्तेदार को अस्पताल ले जाने के लिए 9 बजे निकले थे। 9.30 बजे के बाद परिवार का उनसे कोई संपर्क नहीं हुआ।
3. कुथलार पुल : बामियाल से इकागर को बंधक बनाकर आतंकी पठानकोट की तरफ बढ़ रहे थे। रास्ते में उन्होंने इकागर के फोन से पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं से बात की। इसके बाद इकागर को आतंकियों के मंसूबे का पता चल गया। उसने यहीं पर अपनी गाड़ी दाहिनी तरफ सफेदे के पेड़ों में घुसा दी। गाड़ी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई। यहीं पर निहत्थे इकागर ने हथियारबंद आतंकियों से मुकाबला किया। लेकिन तादाद में कहीं ज्यादा आतंकियों ने उसे चाकुओं से गोद डाला। इकागर की लाश यहां झाड़ियों से 1 जनवरी को मिली थी।
4. कोहलियां : बुरी तरह छतिग्रस्त इनोवा कार से आतंकी आगे नहीं जा सकते थे। इकागर की बहादुरी के चलते उनका काफी वक्त बरबाद हो चुका था, इसलिए आतंकी हाइवे छोड़ वापस बामियाल की तरफ गए। कोहलियां गांव के मोड़ पर उन्हें 11.30-12.00 बजे के आस-पास एसपी सलविंदर सिंह की गाड़ी बामियाल की तरफ से आती दिखी। फौजी कपड़ों में आतंकियों को बीएसएफ समझकर गाड़ी चला रहे सलविंदर के दोस्त राजेश ने हाथ देने पर गाड़ी रोक दी। आतंकियों ने एके-47 के दम पर एसपी, उसके दोस्त और खानसामे मदन गोपाल को बंधक बना लिया और एक बार फिर पठानकोट की तरफ बढ़ चले।
5. सांबली गांव : इस बात से बेखबर कि उन्होंने पंजाब पुलिस के अफसर को बंधक बनाया है, आतंकियों ने सलविंदर सिंह के फोन से पाकिस्तान फोन किए। इसी गांव के पास आतंकियों ने सलविंदर और उनके खानसामे को कार से धक्का देकर नीचे गिरा दिया। यह साफ नहीं हो पाया है कि आतंकियों ने सलविंदर और उनके खानसामे को जिंदा क्यों छोड़ दिया। लेकिन एसपी का दावा है कि वह सादे कपड़ों में था और गलती से आतंकी ने उसकी गाड़ी का हूटर बजा दिया जिससे वह घबरा गए और दो लोगों को नीचे धकेल दिया।
6. अकालगढ़ गांव : 1 जनवरी को तड़के करीब 1.30-2.00 बजे एसपी की नीली बत्ती लगी गाड़ी के चलते आतंकियों को किसी भी नाके पर नहीं रोका गया। आतंकी बड़ी आसानी से अकालगढ़ गांव पहुंच गए। यह गांव एयरफोर्स बेस के पीछे नहर के किनारे है। आतंकियों ने एयरबेस से महज 1.5 किलोमीटर की दूरी पर झाड़ियों के पास गाड़ी रोककर एसपी के दोस्त राजेश का गला रेता और उसे मरा समझकर जंगलों की तरफ चल दिए। राजेश ने गांव के गुरुद्वारा पहुंचकर अपनी जान बचाई।
इसके बाद आतंकियों ने पाकिस्तान कोई फोन नहीं किया। इसलिए साफ नहीं है कि वे एयरबेस के भीतर उसी रात दाखिल हुए या फिर पूरे दिन जंगल में छिपे रहे और 2 जनवरी की रात को एयरबेस में दाखिल हुए।
यहां से जिस रास्ते से आतंकी एयरबेस तक पहुंचे, NDTV की टीम ने उसका जायजा लिया। आपको बताने की कोशिश करते हैं कि 31 दिसंबर की रात से 1 जनवरी तक क्या हुआ होगा।
1. उझ नदी : आतंकियों की पहली लोकेशन यहीं मिली है। इस नदी पर बना पुल बीएसएफ की डिंडा बॉर्डर आउटपोस्ट से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर है। रावी की यह उप नदी दो बार पाकिस्तान की सीमा में प्रवेश करती है और वापस आती है। इसके किनारे घने जंगल हैं और बॉर्डर की कटीली बाड़ कई जगह टूटी हुई है। ऐसा माना जा रहा है कि आतंकी यहां पर करीब 9 बजे पहुंचे होंगे।
2. बामियाल चौक: उझ पुल से पैदल करीब 15-20 किलोमीटर की दूरी पर है। आतंकियों ने यहां पहुंचकर इनोवा कार हाईजैक की। पास ही फगवाल गांव है, जहां के टैक्सी ड्राइवर इकागर सिंह किसी रिश्तेदार को अस्पताल ले जाने के लिए 9 बजे निकले थे। 9.30 बजे के बाद परिवार का उनसे कोई संपर्क नहीं हुआ।
3. कुथलार पुल : बामियाल से इकागर को बंधक बनाकर आतंकी पठानकोट की तरफ बढ़ रहे थे। रास्ते में उन्होंने इकागर के फोन से पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं से बात की। इसके बाद इकागर को आतंकियों के मंसूबे का पता चल गया। उसने यहीं पर अपनी गाड़ी दाहिनी तरफ सफेदे के पेड़ों में घुसा दी। गाड़ी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई। यहीं पर निहत्थे इकागर ने हथियारबंद आतंकियों से मुकाबला किया। लेकिन तादाद में कहीं ज्यादा आतंकियों ने उसे चाकुओं से गोद डाला। इकागर की लाश यहां झाड़ियों से 1 जनवरी को मिली थी।
4. कोहलियां : बुरी तरह छतिग्रस्त इनोवा कार से आतंकी आगे नहीं जा सकते थे। इकागर की बहादुरी के चलते उनका काफी वक्त बरबाद हो चुका था, इसलिए आतंकी हाइवे छोड़ वापस बामियाल की तरफ गए। कोहलियां गांव के मोड़ पर उन्हें 11.30-12.00 बजे के आस-पास एसपी सलविंदर सिंह की गाड़ी बामियाल की तरफ से आती दिखी। फौजी कपड़ों में आतंकियों को बीएसएफ समझकर गाड़ी चला रहे सलविंदर के दोस्त राजेश ने हाथ देने पर गाड़ी रोक दी। आतंकियों ने एके-47 के दम पर एसपी, उसके दोस्त और खानसामे मदन गोपाल को बंधक बना लिया और एक बार फिर पठानकोट की तरफ बढ़ चले।
5. सांबली गांव : इस बात से बेखबर कि उन्होंने पंजाब पुलिस के अफसर को बंधक बनाया है, आतंकियों ने सलविंदर सिंह के फोन से पाकिस्तान फोन किए। इसी गांव के पास आतंकियों ने सलविंदर और उनके खानसामे को कार से धक्का देकर नीचे गिरा दिया। यह साफ नहीं हो पाया है कि आतंकियों ने सलविंदर और उनके खानसामे को जिंदा क्यों छोड़ दिया। लेकिन एसपी का दावा है कि वह सादे कपड़ों में था और गलती से आतंकी ने उसकी गाड़ी का हूटर बजा दिया जिससे वह घबरा गए और दो लोगों को नीचे धकेल दिया।
6. अकालगढ़ गांव : 1 जनवरी को तड़के करीब 1.30-2.00 बजे एसपी की नीली बत्ती लगी गाड़ी के चलते आतंकियों को किसी भी नाके पर नहीं रोका गया। आतंकी बड़ी आसानी से अकालगढ़ गांव पहुंच गए। यह गांव एयरफोर्स बेस के पीछे नहर के किनारे है। आतंकियों ने एयरबेस से महज 1.5 किलोमीटर की दूरी पर झाड़ियों के पास गाड़ी रोककर एसपी के दोस्त राजेश का गला रेता और उसे मरा समझकर जंगलों की तरफ चल दिए। राजेश ने गांव के गुरुद्वारा पहुंचकर अपनी जान बचाई।
इसके बाद आतंकियों ने पाकिस्तान कोई फोन नहीं किया। इसलिए साफ नहीं है कि वे एयरबेस के भीतर उसी रात दाखिल हुए या फिर पूरे दिन जंगल में छिपे रहे और 2 जनवरी की रात को एयरबेस में दाखिल हुए।
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