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This Article is From Apr 08, 2024

क्या होता है पूर्ण सूर्य ग्रहण, कब होता है, कैसा दिखता है...?

Total Solar Eclipse, यानी पूर्ण सूर्य ग्रहण को भी पृथ्वी के एक बेहद छोटे हिस्से में ही देखा जा सकता है, जो आमतौर पर ज़्यादा से ज़्यादा 250 किलोमीटर के व्यास में आने वाला क्षेत्र होता है, तथा शेष पृथ्वी पर उसी ग्रहण को आंशिक सूर्य ग्रहण के रूप में ही देखा जा सकता है.

क्या होता है पूर्ण सूर्य ग्रहण, कब होता है, कैसा दिखता है...?
सोमवार को दिखाई देने वाला सूर्य ग्रहण भारत में नहीं देखा जा सकेगा...
नई दिल्ली:

बचपन में स्कूलों में मिली शिक्षा के चलते हम सभी जानते हैं कि हमारा ग्रह पृथ्वी बहुत बड़े तारे, यानी सूर्य के चारों और चक्कर काटता है, और हमारी पृथ्वी का एक उपग्रह है - चंद्रमा, जो पृथ्वी के चारों ओर चक्कर काटता रहता है. सूर्य की परिक्रमा करती पृथ्वी के चक्कर काटते-काटते कभी-कभी चंद्रमा अपने ग्रह पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है, जिसके कारण पृथ्वी पर रहने वालों के लिए सूर्य का दिखना बंद हो जाता है, और इसी स्थिति को सूर्य ग्रहण कहते हैं. इस स्थिति में पृथ्वी से सूर्य को पूरी तरह या आंशिक रूप से देखा जाना संभव नहीं रहता. दरअसल, ऐसी हालत में चंद्रमा सूरज की रोशनी को आंशिक या पूर्ण रूप से रोक लेता है, और पृथ्वी पर सूर्य का दिखना बंद हो जाता है.

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कब होता है सूर्य ग्रहण...?

यह आकाशीय या खगोलीय घटना हमेशा अमावस्या पर ही होती है. ग्रहण के दौरान चंद्रमा सूर्य के कुछ ही हिस्से को ढकता है, जिसे आंशिक या खण्ड सूर्य ग्रहण कहते हैं, लेकिन कभी-कभी ऐसा भी होता है, जब चंद्रमा पूरी तरह सूर्य को ढक लिया करता है, जिसे पूर्ण सूर्य ग्रहण कहा जाता है. ध्यान रहे, पूर्ण सूर्य ग्रहण को भी पृथ्वी के एक बेहद छोटे हिस्से में ही देखा जा सकता है, जो आमतौर पर ज़्यादा से ज़्यादा 250 किलोमीटर के व्यास में आने वाला क्षेत्र होता है, तथा शेष पृथ्वी पर उसी ग्रहण को आंशिक सूर्य ग्रहण के रूप में ही देखा जा सकता है. अपनी गति के चलते चंद्रमा को पूर्ण सूर्य ग्रहण के मौके पर सूर्य के सामने से गुज़रने में लगभग दो घंटे का वक्त लगता है, और इसी दौरान चंद्रमा ज़्यादा से ज़्यादा सात मिनट के लिए सूर्य को पूरी तरह ढकता है, और इस दौरान पृथ्वी के उस हिस्से में दिन के समय भी रात जैसा माहौल बन जाता है.

यह भी देखें : 54 साल में सबसे लंबा सूर्य ग्रहण सोमवार को

क्या होता है पूर्ण सूर्य ग्रहण...?

पृथ्वी की परिक्रमा करते-करते जिस वक्त चंद्रमा अपने ग्रह पृथ्वी के बेहद करीब हो, और उसी वक्त वह सूर्य को ढक ले, तो सूर्य का दिखना पूरी तरह रुक जाता है, जिसे पूर्ण सूर्य ग्रहण कहते हैं. इस स्थिति में सूर्य की रोशनी पृथ्वी तक कतई नहीं पहुंच पाती, और अंधेरा छा जाता है (हालांकि ऐसा पृथ्वी के बेहद छोटे हिस्से में ही होता है). ऐसे ग्रहण को पूर्ण सूर्य ग्रहण कहते हैं.

क्या होता है आंशिक सूर्य ग्रहण...?

इस स्थिति में चंद्रमा अपने ग्रह पृथ्वी से कुछ अधिक दूरी पर होता है, और सूर्य को पूरी तरह नहीं ढक पाता. ऐसी हालत में सूर्य का कुछ ही हिस्सा पृथ्वी से दिखना बंद होता है, और सूर्य का कुछ हिस्सा ग्रहण से ग्रस्त होता है, तथा कुछ हिस्सा कतई अप्रभावित रहता है. ऐसी हालत में दिखने वाले ग्रहण को आंशिक सूर्य ग्रहण कहा जाता है.

क्या होता है वलयाकार सूर्य ग्रहण...?

एक स्थिति ऐसी भी आती है, जब चंद्रमा पृथ्वी से काफ़ी दूर होता है, और ऐसी स्थिति में पृथ्वी और सूर्य के बीच आता है. इस हालत में सूर्य का सिर्फ़ बीच का हिस्सा चंद्रमा के पीछे छिप जाता है और पृथ्वी से सूर्य पूरी तरह ढका नहीं, छल्ले की तरह दिखाई देता है. यानी सूर्य का बीच का हिस्सा कतई अंधकारमय हो जाता है, जबकि उसके ढके हुए हिस्से के बाहर का हिस्सा रोशनी-युक्त छल्ले जैसा दिखता है, जिसे वलय भी कहा जाता है. इस आकार में दिखने वाले सूर्यग्रहण को वलयाकार सूर्य ग्रहण कहा जाता है.

NASA के ज़रिये यहां देख सकेंगे पूर्ण सूर्य ग्रहण

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