- 1937 में कांग्रेस ने वंदे मातरम के कुछ छंद हटा दिए थे.
- बीजेपी प्रवक्ता सीआर केसवन ने कांग्रेस पर राष्ट्रीय गीत में जानबूझकर बदलाव करने का आरोप लगाया.
- प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वंदे मातरम के विभाजनकारी बदलाव आज भी राष्ट्र निर्माण के लिए चुनौती बने हुए हैं.
"1937 में, तब वंदेमातरम के टुकड़े करने वाली सोच आज भी चुनौती बनी हुई है. वंदेमातरम के अहम पदों को, उसकी आत्मा के एक हिस्से को अलग कर दिया गया था. वंदेमातरम को तोड़ दिया गया था. उसके टुकड़े किए गए थे. वंदे मातरम के इस विभाजन ने देश के विभाजन के बीज भी बो दिए थे. राष्ट्र निर्माण के इस महामंत्र के साथ यह अन्याय क्यों हुआ, यह आज की पीढ़ी को जानना जरूरी है. वही विभाजनकारी सोच देश के लिए आज भी चुनौती बनी हुई है. हमें इस सदी को भारत की सदी बनाना है."
पीएम मोदी ने नई दिल्ली के इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम' के वर्ष भर चलने वाले स्मरणोत्सव के उद्घाटन पर ये बातें कहीं.
बीजेपी ने बताया क्या है विवाद
इसके बाद बीजेपी प्रवक्ता सीआर केसवन ने कांग्रेस पार्टी पर राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम में जानबूझकर बदलाव करने का आरोप लगाया और दावा किया कि 1937 में जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में देवी दुर्गा की स्तुति वाले छंद हटा दिए गए थे. केसवन ने आरोप लगाया कि यह फैसला कुछ सांप्रदायिक समूहों को खुश करने के लिए लिया गया था, जिससे गीत के मूल स्वरूप और उद्देश्य को लेकर बहस छिड़ गई.
Nehru deliberately removed Maa Durga stanzas from Vande Mataram: BJP's CR Kesavan
— ANI Digital (@ani_digital) November 7, 2025
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एक्स पर एक पोस्ट में, केसवन ने दावा किया कि कांग्रेस ने वंद मातरम के केवल पहले दो छंदों को स्वीकार किया, और कथित सांप्रदायिक कारणों से देवी मां दुर्गा का आह्वान करने वाले बाद के छंदों को छोड़ दिया. सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा है, "हमारी युवा पीढ़ी के लिए यह जानना ज़रूरी है कि कैसे नेहरू की अध्यक्षता में कांग्रेस पार्टी ने अपने सांप्रदायिक एजेंडे को बेशर्मी से आगे बढ़ाते हुए 1937 के फैजपुर अधिवेशन में पार्टी के राष्ट्रीय गीत के रूप में केवल एक संक्षिप्त वंदे मातरम को अपनाया." उन्होंने आगे कहा कि यह गीत "किसी विशेष धर्म या भाषा से संबंधित नहीं है" लेकिन कांग्रेस ने इसे धर्म से जोड़कर देवी के प्रति भक्तिपूर्ण आह्वान को हटाकर एक "ऐतिहासिक पाप और भूल" की.
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मामला क्या है
दरअसल, वंदे मातरम की कुछ लाइनें 1937 में हटाई गई थीं. कांग्रेस ने इसे राष्ट्रगान बनाने का फैसला किया था तो उस समय, मुस्लिम लीग ने इसका विरोध किया था, क्योंकि इसमें कुछ लाइनें थीं जो हिंदू धर्म से जुड़ी हुई थीं. मोहम्मद अली जिन्ना ने 17 मार्च 1938 को पंडित नेहरू से मांग की कि वंदे मातरम को पूरी तरह से बदल दिया जाए, क्योंकि इसमें मुस्लिम विरोधी भावनाएं हैं. इसके बाद, कांग्रेस ने वंदे मातरम के कुछ हिस्सों को हटाने का फैसला किया, जिससे मुस्लिम समुदाय को कोई आपत्ति न हो.
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